मत्स्य पालन की समस्त मूल्य श्रृंखला को जीएसटी राहत: मछली पकड़ने के जाल, समुद्री खाद्य उत्पाद और जलीय कृषि इनपुट सभी पर जीएसटी दर घटाकर 5 प्रतिशत की गई
मत्स्य पालन की समस्त मूल्य श्रृंखला को जीएसटी राहत: मछली पकड़ने के जाल, समुद्री खाद्य उत्पाद और जलीय कृषि इनपुट सभी पर जीएसटी दर घटाकर 5 प्रतिशत की गई
जीएसटी को वास्तव में एक “अच्छा और सरल कर” बनाने और अर्थव्यवस्था के हर सेक्टर को सशक्त बनाने के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुरूप, 3 सितंबर 2025 को आयोजित अपनी 56वीं बैठक में जीएसटी परिषद द्वारा अनुमोदित नवीनतम जीएसटी सुधारों के तहत मत्स्य पालन सेक्टर को एक बड़ा प्रोत्साहन मिला है। मत्स्य पालन सेक्टर में कर दरों के महत्वपूर्ण विवेकीकरण से प्रचालन लागत में कमी लाने, घरेलू और निर्यात बाजारों में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने में मदद मिलेगी और देश में अपनी आजीविका के लिए मछली पकड़ने और जलीय कृषि पर निर्भर लाखों मछली किसानों और अन्य हितधारकों को प्रत्यक्ष रूप से लाभ पहुंचेगा।
संशोधित संरचना के तहत, मछली के तेल, मछली के अर्क और तैयार या संरक्षित मछली और झींगा उत्पादों पर जीएसटी दर को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे घरेलू उपभोक्ताओं के लिए मूल्यवर्धित समुद्री भोजन अधिक किफायती हो जाएगा और भारत के समुद्री खाद्य निर्यात की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ जाएगी। जलीय कृषि कार्यों और हैचरी के लिए आवश्यक डीजल इंजन, पंप, एरेटर और स्प्रिंकलर पर अब पहले के 12 से 18 प्रतिशत के बजाय केवल 5 प्रतिशत जीएसटी दर लागू होगी, जिससे मछली किसानों के लिए प्रचालन लागत में अत्यधिक कमी आएगी। तालाब की तैयारी और जल गुणवत्ता प्रबंधन में उपयोग किए जाने वाले अमोनिया और सूक्ष्म पोषक तत्वों जैसे महत्वपूर्ण रसायनों पर भी पहले के 12 से 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर लगाया जाएगा, जिससे चारे, तालाब की कंडीशनिंग और खेत-स्तरीय कार्यप्रणालियों की लागत में कमी आएगी। मछली पकड़ने की छड़ों, टैकल, लैंडिंग नेट, बटरफ्लाई नेट और गियर पर जीएसटी की दर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी गई है, जिससे मनोरंजक/खेल मछली पकड़ने के साथ-साथ छोटे स्तर पर जलीय कृषि और कैप्चर फिशरी करने वाले किसानों को भी लाभ होगा। इससे आवश्यक गियर अधिक किफायती होंगे, इनपुट लागत कम होगी और इस क्षेत्र में आजीविका को सहारा मिलेगा। इस निर्णय से प्रसंस्करण इकाइयों को और राहत मिलेगी, क्योंकि खाद्य और कृषि-प्रसंस्करण, जिसमें समुद्री भोजन भी शामिल है, में जॉब वर्क सेवाओं पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। जैविक खाद बनाने और पर्यावरण के अनुकूल तालाब प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण कम्पोस्टिंग मशीनों पर अब 5 प्रतिशत कर लगेगा, जिससे स्थायी जलीय कृषि कार्य प्रणालियों को बढ़ावा मिलेगा।
भारत का मत्स्य पालन और जलीय कृषि सेक्टर विश्व में सबसे तेज़ी से विकसित हो रहे सेक्टरों में से एक के रूप में उभरा है, जो खाद्य एवं पोषण सुरक्षा, किसानों की आय, ग्रामीण आजीविका और निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। यह सेक्टर आज 3 करोड़ से अधिक लोगों की आजीविका का आधार है और इसने भारत को लगभग 195 लाख टन (2024-25) के उत्पादन के साथ विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक बना दिया है। भारत विश्व का सबसे बड़ा झींगा निर्यातक भी है, जिसका समुद्री खाद्य निर्यात 2023-24 में 60,000 करोड़ रुपये को पार कर गया, जिससे बहुमूल्य विदेशी मुद्रा अर्जित हुई और देश की सामुद्रिक अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हुई।
इन सुधारों से मत्स्य पालकों, जलकृषकों, लघु स्तर के मछुआरों, महिला स्वयं सहायता समूहों और सहकारी समितियों को प्रत्यक्ष लाभ मिलने की उम्मीद है, जिससे उनका वित्तीय बोझ कम होगा और ग्रामीण आजीविका में सुधार होगा। संशोधित जीएसटी दरें 22 सितंबर 2025 से लागू होंगी। ये निर्णय भारत के मत्स्य पालन सेक्टर को अधिक उत्पादक, प्रतिस्पर्धी और टिकाऊ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं और ये सरकार के एक मज़बूत सामुद्रिक अर्थव्यवस्था के विजन के साथ पूरी तरह से संयोजित हैं जो विकासशील भारत में योगदान दे रही है।