मत्स्य पालन और जलीय कृषि में ट्रेसेबिलिटी पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क
मत्स्य पालन और जलीय कृषि में ट्रेसेबिलिटी पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क
मत्स्यपालन विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार ने हाल ही में, 21 नवंबर, 2025 को विश्व मात्स्यिकी दिवस के अवसर पर मात्स्यिकी और जलीय कृषि में नेशनल फ्रेमवर्क ऑन ट्रैसेबिलिटी 2025 जारी किया। यह फ्रेमवर्क घरेलू और अंतरराष्ट्रीय नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने, खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने, सतता बढ़ाने और बाजार पहुंच में सुधार करने के लिए मात्स्यिकी और जलीय कृषि के लिए एक नेशनल डिजिटल ट्रैसेबिलिटी सिस्टम की स्थापना का प्रावधान करता है। यह फ्रेमवर्क भारत के मात्स्यिकी और जलीय कृषि क्षेत्र को आधुनिक बनाने, सतता, खाद्य सुरक्षा और वैश्विक प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने के लिए एक परिवर्तनकारी पहल है।
फ्रेमवर्क के उद्देश्य निम्नानुसार हैं:
i.) मात्स्यिकी और जलीय कृषि के लिए एक एकीकृत नेशनल डिजिटल ट्रैसेबिलिटी सिस्टम स्थापित करना।
ii.) मत्स्य और मात्स्यिकी उत्पादों पर घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करना।
iii.) पारदर्शी डिजिटल दस्तावेज़ीकरण प्रणाली के माध्यम से खाद्य सुरक्षा, स्वच्छता और गुणवत्ता आश्वासन को बढ़ावा देना।
iv.) IUU मत्स्यन को हतोत्साहित करके, पारिस्थितिकी तंत्र-आधारित प्रबंधन को सहायता प्रदान करके सतता और संसाधन प्रबंधन को बढ़ाना।
v.) मात्स्यिकी और जलीय कृषि वैल्यू चैन में पारदर्शिता, जवाबदेही लाना और उपभोक्ता विश्वास बढ़ाना।
vi.) लाइसेंसिंग, निरीक्षण, प्रमाणन और जोखिम प्रबंधन के लिए डिजिटल उपकरणों के साथ नियामकों को सशक्त बनाना।
vii.) मत्स्य और मात्स्यिकी उत्पादों के घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में लघु स्तर के मछुआरों और किसानों की भागीदारी को सुविधाजनक बनाना।
viii.) मात्स्यिकी प्रशासन और व्यापार करने में आसानी के लिए डेटा-संचालित निर्णय लेने के लिए सहायता प्रदान करना।
फिशरीस और एक्वाकल्चर चेन को मैप करके तथा घरेलू और निर्यात बाजार की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, नेशनल ट्रैसेबिलिटी सिस्टम संपूर्ण मात्स्यिकी और जलीय कृषि वैल्यू चैन में ट्रेसेबिलिटी के कार्यान्वयन की परिकल्पना करती है, जिसमें सभी उत्पादन स्रोतों, पोस्ट-हार्वेस्ट गतिविधियों और फिशिंग वेसेल्स, जलीय कृषि फार्मों, प्रोसेसिंग यूनिट्स और सप्लाई चैन सहित बाजार क्षेत्रों को शामिल किया जाता है। यह फ्रेमवर्क चरणबद्ध, समावेशी और प्रौद्योगिकी-संचालित दृष्टिकोण प्रदान करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लघु स्तर के ऑपरेटर और बड़े वाणिज्यिक उद्यम बिना किसी व्यवधान के अनुपालन कर सकें।
(घ) से (ड): चूंकि यह फ्रेमवर्क हाल ही में 21.11.2025 को प्रारम्भ किया गया है, इसलिए मत्स्यपालन विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार ने अब तक ट्रेसेबिलिटी पर कोई पायलट परियोजना शुरू नहीं की है। यह फ्रेमवर्क एक नेशनल लेवल गवर्नेंस कमेटी (NLGC) का प्रावधान करता है, जो नीतिगत मार्गदर्शन, अंतर-एजेंसी समन्वय और रणनीतिक निगरानी प्रदान करके फ्रेमवर्क के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने वाली सर्वोच्च संस्था होगी। यह यह भी सुनिश्चित करता है कि NLGC की समग्र मार्गदर्शन में एक दत्तक ग्रहण समिति (एडोप्शन कमेटी) बनी रहे, जो मात्स्यिकी और जलीय कृषि में मछुआरों, जलीय कृषि किसान और अन्य संबंधित हितधारकों सहित विभिन्न पक्षों द्वारा आईटी-आधारित राष्ट्रीय ट्रेसबिलिटी को अपनाने के लिए तंत्र की सिफारिश करे। इसके अलावा, यह फ्रेमवर्क इन हितधारकों को बेहतर समझ, कार्यान्वयन और अंगीकरण के लिए प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण और अभिविन्यास प्रदान करने का भी प्रावधान करता है।
यह जानकारी मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार के कैबिनेट मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ लल्लन सिंह ने आज लोकसभा में पूछे गए प्रश्न के जवाब में दी।