भारत 2027 तक अंतरिक्ष और गहरे समुद्र में एक साथ मानव मिशन के साथ दुर्लभ वैश्विक उपलब्धि हासिल करेगा: डॉ. जितेंद्र सिंह
भारत 2027 तक अंतरिक्ष और गहरे समुद्र में एक साथ मानव मिशन के साथ दुर्लभ वैश्विक उपलब्धि हासिल करेगा: डॉ. जितेंद्र सिंह
विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), और पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज अगले दशक के लिए भारत के महत्वाकांक्षी रोडमैप की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 2027 तक भारत बाहरी अंतरिक्ष और गहरे समुद्र में एक साथ मानव मिशन शुरू करके दुर्लभ वैश्विक उपलब्धि हासिल करेगा। यह देश के एकीकृत और दूरदर्शी वैज्ञानिक दृष्टिकोण को दर्शाता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने एक मीडिया कॉन्क्लेव में कहा कि विकसित भारत@2047 की ओर भारत की वैज्ञानिक यात्रा आत्मविश्वास, क्षमता और उद्देश्य की स्पष्टता से आकार ले रही है। उन्होंने कहा कि जैसे–जैसे भारत 2047 में अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी के करीब पहुंच रहा है, दुनिया न केवल यह देखेगी कि भारत ने क्या हासिल किया है, बल्कि उन मूल्यों, प्रणालियों और रास्तों को भी देखेगी जिनके माध्यम से राष्ट्र ने प्रगति की है।
मंत्री ने कहा कि भारत का स्थायी लोकतंत्र, संवैधानिक ताकत और सभ्यता की निरंतरता उसकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से हैं और भविष्य के विकास की नींव बनाते हैं।
भारत की बढ़ती खोज की सीमाओं की जानकारी देते हुए, मंत्री ने कहा कि देश अब पारंपरिक क्षेत्रों से आगे बढ़कर अंतरिक्ष और गहरे समुद्र में अनुसंधान जैसे पहले से कम खोजे गए क्षेत्रों में निर्णायक रूप से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि 2026 की शुरुआत में, भारत 500 मीटर की गहराई तक पहुंचने वाले मानवयुक्त गहरे समुद्र मिशन को संपन्न करने की योजना बना रहा है, जो डीप ओशन मिशन के तहत महत्वपूर्ण कदम होगा। यह आने वाले वर्षों में और गहरी गोताखोरी का मार्ग प्रशस्त करेगा, जिससे अंततः भारत स्वदेशी सबमर्सिबल मत्स्य (MATSYA) का उपयोग करके 6,000 मीटर तक की गहराई का पता लगा सकेगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि 2027 निर्णायक वर्ष होगा, जब भारत से भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने की उम्मीद है, साथ ही गहरे समुद्र में मानव अन्वेषण मिशन भी चलाया जाएगा, यह उपलब्धि दुनिया भर में केवल कुछ ही देशों ने हासिल की है। उन्होंने इस दोहरे मिशन को भारत की वैज्ञानिक परिपक्वता और एकीकृत तरीके से जटिल, समानांतर अन्वेषण करने की क्षमता का प्रतीक बताया।
मंत्री ने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र में, पिछले एक दशक में शुरू किए गए सुधारों का परिवर्तनकारी प्रभाव पड़ा है, विशेष रूप से निजी भागीदारी के लिए अंतरिक्ष गतिविधियों को खोलना बहुत प्रभावी रहा। उन्होंने कहा कि भारत स्वयं–लगाए गए नियमों से बंधे होने से लेकर तेजी से बढ़ते इकोसिस्टम के साथ आत्मविश्वासी अंतरिक्ष–यात्री राष्ट्र बन गया है। आज, भारत में सैकड़ों अंतरिक्ष स्टार्ट–अप और उद्यमी हैं। अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के आने वाले वर्षों में कई गुना बढ़ने का अनुमान है, जो राष्ट्रीय विकास और वैश्विक सहयोग में प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में उभरेगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत की अनोखी प्राकृतिक, सांस्कृतिक और सभ्यतागत संपत्तियों की ओर भी ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा कि चाहे वह हिमालय हो, महासागर हों, पारंपरिक ज्ञान प्रणालियाँ हों, या जैव विविधता हो, देश का विकास मॉडल अपनी विरासत संसाधनों में मूल्य संवर्धन पर आधारित है। उन्होंने कहा कि विरासत को विकास के साथ जोड़ने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजन भारत को ऐसा विकास करने में सक्षम बनाता है जो टिकाऊ, समावेशी और विश्व स्तर पर प्रासंगिक हो।
डीप ओशन मिशन का जिक्र करते हुए मंत्री ने कहा कि भारत की 11,000 किलोमीटर से ज़्यादा लंबी तटरेखा और इसके समृद्ध समुद्री संसाधन – महत्वपूर्ण खनिजों और मत्स्य पालन से लेकर औषधीय और जैविक संपदा तक – दशकों से कम इस्तेमाल किए गए थे। उन्होंने कहा कि यह मिशन इस क्षमता को अनलॉक करने के साथ–साथ वैश्विक ब्लू इकोनॉमी में भारत की भूमिका को मजबूत करने के लिए रणनीतिक पहल है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस के लगातार भाषणों में गहरे समुद्र की खोज के महत्व पर व्यक्तिगत रूप से जोर दिया है, जो इसकी राष्ट्रीय प्राथमिकता को दर्शाता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि भारत अब सिर्फ वैश्विक रुझानों का पालन नहीं कर रहा है, बल्कि दूसरों के लिए नए रास्ते बना रहा है। चाहे वह अंतरिक्ष विज्ञान हो, बायोटेक्नोलॉजी हो, गहरे समुद्र अनुसंधान हो या एकीकृत नवाचार हो, भारत खुद को ऐसे विकास के लिए रोल मॉडल के रूप में स्थापित कर रहा है जो तकनीकी प्रगति को नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी के साथ संतुलित करता है।
मंत्री ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि 2047 की ओर भारत की यात्रा सिर्फ आर्थिक मील के पत्थरों से ही नहीं, बल्कि अज्ञात को खोजने के आत्मविश्वास, सुधार करने के साहस और वैश्विक प्रगति में सार्थक योगदान देने की क्षमता से परिभाषित होगी। उन्होंने कहा, ” जमीन पर, समुद्र की गहराइयों में और अंतरिक्ष में, भारत के मिशन आखिरकार मानवता के लिए मिशन हैं।”
