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भारत ने वित्त वर्ष 2025-26 में अक्टूबर 2025 तक 31.2 गीगावाट गैर-जीवाश्म क्षमता हासिल की

भारत ने वित्त वर्ष 2025-26 में अक्टूबर 2025 तक 31.2 गीगावाट गैर-जीवाश्म क्षमता हासिल की

भारत ने अपनी स्थापित बिजली क्षमता का 50% गैरजीवाश्म ईंधन स्रोतों से प्राप्त कर लिया है, जो पेरिस समझौते में राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित लक्ष्य से पाँच वर्ष पहले ही प्राप्त कर लिया है। 31 अक्टूबर 2025 तक, गैरजीवाश्म स्रोतों से प्राप्त स्थापित क्षमता लगभग 259 गीगावाट है, जिसमें चालू वित्त वर्ष में अक्टूबर 2025 तक 31.2 गीगावाट की वृद्धि की उम्मीद है।

31 अक्टूबर, 2025 तक, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) की नवीकरणीय ऊर्जा कार्यान्वयन एजेंसियों (आरईआईए) अर्थात् सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसईसीआई), एनटीपीसी लिमिटेड (एनटीपीसी), एनएचपीसी लिमिटेड (एनएचपीसी) और एसजेवीएन लिमिटेड (एसजेवीएन) ने अप्रैल 2023 से उनके द्वारा जारी नवीकरणीय ऊर्जा खरीद निविदाओं के संबंध में 67,554 मेगावाट के लेटर ऑफ अवार्ड (एलओए) जारी किए हैं और लेटर ऑफ अवार्ड जारी करने के बाद कोई रद्दीकरण नहीं किया गया है।

राज्य भी नवीकरणीय ऊर्जा खरीद निविदाएँ जारी कर रहे हैं। हरित ऊर्जा मुक्त पहुँच/कैप्टिव मार्ग के माध्यम से वाणिज्यिक एवं औद्योगिक क्षेत्रों में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता भी बढ़ाई जा रही है। इस प्रकार, नवीकरणीय ऊर्जा की क्षमता वृद्धि केवल आरईआईए के नेतृत्व वाली बोलियों के माध्यम से ही नहीं बल्कि विभिन्न माध्यमों से हो रही है।

सौरप्लसभंडारण और प्रेषण योग्य नवीकरणीय ऊर्जा की घटती लागत के साथ, वितरण कंपनियों और अंतिम खरीदारों के बीच में इस प्रकार के समाधानों के प्रति रुझान बढ़ रहा है। इस बदलाव के साथसाथ साधारण सौर ऊर्जा की मांग में भी कमी आई है। पवनसौर हाइब्रिड परियोजनाओं की तुलना में सौरप्लसभंडारण विन्यास को भी प्राथमिकता दी जा रही है, खासकर व्यस्ततम मांग के समय बिजली आपूर्ति करने की उनकी क्षमता के कारण। तदनुसार, सरकार ने आरईआईए को साधारण सौर निविदाओं के बजाय ऊर्जा भंडारण के साथ सौर निविदाओं, व्यस्ततम समय के दौरान नवीकरणीय ऊर्जा आपूर्ति हेतु विन्यास वाली निविदाओं और फर्म एवं प्रेषण योग्य नवीकरणीय ऊर्जा (एफडीआरई) आपूर्ति हेतु विन्यास वाली निविदाओं की ओर बढ़ने के लिए संवेदनशील बनाया है।

आरईआईए द्वारा जारी बोलियों के संबंध में पीपीए के आगे के निष्पादन को सुगम बनाने के लिए, सरकार ने कई सक्रिय कदम उठाए हैं। इनमें राज्यों से ऊर्जा संरक्षण अधिनियम के तहत नवीकरणीय उपभोग दायित्व (आरसीओ) का अनुपालन करने का आग्रह करना और निविदाएँ तैयार करने और जारी करने से पहले वितरण कंपनियों और अन्य उपभोक्ताओं की माँग को एकत्रित करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा कार्यान्वयन एजेंसियों (आरईआईए) को सलाह देना शामिल है। कार्यान्वयन चुनौतियों का समाधान करने और पीपीए पर हस्ताक्षर में तेजी लाने के लिए प्रमुख नवीकरणीय ऊर्जाखरीदार राज्यों के साथ क्षेत्रीय कार्यशालाएँ आयोजित की गई हैं।

केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए), नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) द्वारा घोषित नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) क्षमता के आधार पर, नवीकरणीय ऊर्जा विकासकर्ताओं को पारेषण प्रणाली की स्पष्ट जानकारी प्रदान करने हेतु, पहले से ही पारेषण योजना तैयार करता है। पारेषण प्रणाली को अनुकूलित करने के लिए, उत्पादन क्षमता वृद्धि के अनुरूप, पारेषण प्रणाली को चरणों में क्रियान्वित किया जाता है।

वर्ष 2032 तक पारेषण प्रणाली की योजना के लिए लगभग 47.2 गीगावाट बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (बीईएसएस) पर विचार किया गया है। बीईएसएस की शुरुआत से पीक शिफ्टिंग संभव होगी, नेटवर्क की भीड़ कम होगी और पारेषण परिसंपत्तियों का उपयोग बेहतर होगा, जिससे समग्र पारेषण प्रणाली का अनुकूलन होगा।

केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (अंतरराज्यीय पारेषण प्रणाली तक कनेक्टिविटी और सामान्य नेटवर्क पहुँच) (तृतीय संशोधन) विनियम, 2025 के अनुसार, सौर और गैरसौर ऊर्जा घंटों के लिए कनेक्टिविटी प्रदान की जानी है। इससे पारेषण प्रणाली के कुशल उपयोग में और मदद मिलेगी। इससे अतिरिक्त पारेषण अवसंरचना की आवश्यकता के बिना, ग्रिड में सहस्थित बीईएसएस के साथ अतिरिक्त नवीकरणीय ऊर्जा को एकीकृत करना भी संभव होगा।

केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री प्रह्लाद जोशी ने राज्यसभा में आज यह जानकारी प्रस्तुत की।

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