भारत टेलीकॉम 2025 के 23वें संस्करण का उद्घाटन
भारत टेलीकॉम 2025 के 23वें संस्करण का उद्घाटन
दूरसंचार उपकरण एवं सेवा निर्यात संवर्धन परिषद (टीईपीसी) ने नई दिल्ली में चल रहे इंडिया मोबाइल कांग्रेस (आईएमसी) के साथ-साथ वैश्विक क्रेता-विक्रेता बैठक, भारत दूरसंचार 2025 के 23वें संस्करण का आयोजन किया।
भारत टेलीकॉम 2025 में 30 से अधिक देशों के 70 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। यहां 60 से अधिक भारतीय दूरसंचार कंपनियों ने टीईपीसी द्वारा स्थापित आत्मनिर्भर भारत पवेलियन में अपने अत्याधुनिक उत्पादों और क्षमताओं का प्रदर्शन किया। यह आयोजन दुनिया भर के संभावित खरीदारों और हितधारकों के लिए भारत के बढ़ते दूरसंचार इको-सिस्टम का अन्वेषण करने हेतु एक गतिशील मंच के रूप में कार्य कर रहा है।
केंद्रीय संचार राज्य मंत्री डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी ने भारत दूरसंचार 2025 का उद्घाटन करते हुए कहा कि भारत तेजी से दूरसंचार नवाचार, डिजाइन और विनिर्माण के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में उभर रहा है। यह सिर्फ उपकरणों को असेंबल करने से आगे बढ़कर डिजाइन, विकास और नवाचार का केंद्र बन रहा है।
उन्होंने प्रौद्योगिकी और दूरसंचार क्षेत्र में एक विश्वसनीय वैश्विक साझेदार के रूप में भारत की बढ़ती भूमिका पर ज़ोर देते हुए कहा, “भारत अब सिर्फ़ उत्पादों को असेंबल करने से आगे बढ़कर डिज़ाइन, विकास और नवाचार के लिए पहचाने जाने वाले देश की ओर बढ़ रहा है। हमारा ध्यान नए बाज़ारों तक पहुंच सुनिश्चित करके और नवाचार एवं विनिर्माण के इको-सिस्टम को मज़बूत करके सभी सेवा प्रदाताओं और निर्यातकों के लिए अवसर पैदा करना है।”
डॉ. पेम्मासानी ने अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों, प्रौद्योगिकी प्रदाताओं और भारतीय उद्यमों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति और उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना जैसी पहल दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों में बड़े पैमाने पर निवेश को बढ़ावा दे रही हैं। इससे स्थानीय विनिर्माण और निर्यात को बढ़ावा मिल रहा है।
उन्होंने कहा, “भारत टेलीकॉम वैश्विक और भारतीय कंपनियों को एक साथ आने, विचारों का आदान-प्रदान करने और सभी पक्षों के लिए मूल्य सृजन करने वाली साझेदारियां बनाने का अवसर प्रदान करता है। हम विनिर्माण, सिस्टम एकीकरण, सॉफ्टवेयर विकास और सेवा वितरण में सहयोग को प्रोत्साहित करते है। इससे नवाचार और बाजार पहुंच दोनों को बढ़ावा मिल सके।”
भारत का दूरसंचार इको-सिस्टम आज वैश्विक रुझानों के अनुरूप महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है। इसमें उपग्रह संचार, ग्रामीण संपर्क समाधान और विकासशील देशों में शासन, कृषि और शिक्षा को सहायता प्रदान करने वाले आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-संचालित अनुप्रयोग शामिल हैं। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने और नवाचार-आधारित विकास को बढ़ावा देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए कहा, “भारत दुनिया के साथ साझेदारी करने, नवाचार करने, निर्यात करने और वैश्विक प्रभाव डालने वाली तकनीकों का निर्माण करने के लिए तैयार है।”
दूरसंचार विभाग के उप महानिदेशक, श्री अशोक कुमार जैन ने इस कार्यक्रम में कहा, “भारत का दूरसंचार क्षेत्र एक महत्वपूर्ण परिवर्तन का अनुभव कर रहा है। यह मुख्य रूप से उपकरण संयोजन के लिए जाने जाने वाले देश से डिज़ाइन, विकास और प्रौद्योगिकी निर्यात के केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है। यह बदलाव नवाचार, प्रतिस्पर्धात्मकता और सतत विकास को बढ़ावा देने वाले एक मज़बूत इको-सिस्टम के निर्माण के लिए देश की गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।”
उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि भारत वैश्विक साझेदारियों को बढ़ावा देने, अपने नवाचार का विस्तार करने तथा यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि उसका दूरसंचार क्षेत्र घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समावेशी विकास को आगे बढ़ाता रहे।
टीईपीसी के उपाध्यक्ष श्री संजीव कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति और पीएलआई योजना जैसी नीतिगत पहल घरेलू विनिर्माण को मज़बूत करने, निर्यात क्षमता बढ़ाने और व्यापार सुगमता को बढ़ावा देने में निरंतर योगदान दे रही हैं। उन्होंने कहा, “इन उपायों का उद्देश्य एक ऐसा वातावरण तैयार करना है जहां घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों कंपनियां फल-फूल सकें और आपस में जुड़ी हुई वैश्विक अर्थव्यवस्था में योगदान दे सकें।”
उन्होंने उपग्रह संचार, ग्रामीण संपर्क और एआई आधारित अनुप्रयोगों में सहयोग के बढ़ते क्षेत्रों पर भी जोर दिया, जो विशेष रूप से विकासशील क्षेत्रों में शासन, कृषि और शिक्षा को समर्थन देते हैं।
टीईपीसी के पूर्व अध्यक्ष, श्री संजीव अग्रवाल ने समापन भाषण में कहा कि भारत का दूरसंचार क्षेत्र नवाचार, डिज़ाइन और सहयोग पर आधारित परिवर्तन की एक नई लहर चला रहा है। उन्होंने एशिया और अफ्रीका के देशों के साथ साझेदारी और ज्ञान-साझाकरण की भारत की दीर्घकालिक परंपरा को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी साझेदारी के प्रति देश का पारदर्शी और गैर-हस्तक्षेपकारी दृष्टिकोण वैश्विक विश्वास को लगातार मज़बूत कर रहा है।
उन्होंने सभी प्रतिनिधियों को सहयोग का संदेश आगे बढ़ाने और भारत तथा अपने-अपने देशों के बीच बेहतर व्यावसायिक अवसरों की तलाश करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा, “संचार प्रगति के सबसे शक्तिशाली साधनों में से एक है और एक साथ काम करके हम सभी के लिए साझा समृद्धि और तकनीकी प्रगति का निर्माण कर सकते हैं।”
यह कार्यक्रम मजबूत अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियां बनाने, नवाचार-संचालित निर्यात को बढ़ावा देने तथा भारत को वैश्विक दूरसंचार उत्कृष्टता के लिए एक अग्रणी केंद्र के रूप में स्थापित करने की नई प्रतिबद्धता के साथ संपन्न हुआ।