भारत के निर्यात क्षेत्र में वृद्धि को गति देती श्रम संहिताएं
भारत के निर्यात क्षेत्र में वृद्धि को गति देती श्रम संहिताएं
मुख्य बातें
एक सशक्त निर्यात क्षेत्र के लिए श्रम सुधार
निर्यात के क्षेत्र में भारत का प्रदर्शन नवाचार और दुनिया के साथ गहराई से जुड़ने की दिशा में निरंतर प्रयास को दर्शाता है। निर्यातोन्मुखी उद्योग (ईओआई) – जिनमें वस्त्र, परिधान, चमड़ा, इलेक्ट्रॉनिक्स, रत्न एवं आभूषण, फार्मास्यूटिकल्स, ऑटो कंपोनेंट और आईटी-आधारित सेवाएं शामिल हैं – भारत के रोजगार सृजन और विदेशी मुद्रा के अर्जन की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता अंतरराष्ट्रीय श्रम मानकों का पालन करते हुए एक सुदृढ़, कर्तव्यनिष्ठ और कुशल श्रमबल को बनाए रखने की क्षमता पर बहुत अधिक निर्भर करती है। इस क्षेत्र के विकास की गति को उत्प्रेरित करने के हेतु, सरकार द्वारा हाल ही में 29 कानूनों को 4 सुव्यवस्थित संहिताओं में एकीकृत करने से एक ऐसा वातावरण तैयार हुआ है, जो श्रमिकों के हितों की रक्षा करते हुए औद्योगिक दक्षता को बढ़ावा देता है।
निर्यातोन्मुखी उद्योगों / नियोक्ताओ के लिए लाभ
यह श्रम सुधार भारत के निर्यात क्षेत्र के लिए अनेक लाभ लेकर आया है। खासकर, नियोक्ताओं के लिए अनुपालन को सरल बनाने तथा श्रमबल के बेहतर प्रबंधन को संभव बनाने के मामले में।

मजदूरी संबंधी सुधार
रोजगार संबंधी लचीलापन और श्रमबल का प्रबंधन
सरलीकृत अनुपालन और व्यवसाय करने में आसानी
सामाजिक सुरक्षा और श्रमिकों का संरक्षण
पेशेगत सुरक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण
श्रमबल में महिलाओं की भागीदारी
अनुबंध पर काम करने वाले श्रमिक एवं प्रवासी श्रमिकों का प्रबंधन
निर्यात क्षेत्र के श्रमिकों के लिए लाभ
विस्तारित सामाजिक सुरक्षा, मजबूत संरक्षण और अधिकारों की राष्ट्रव्यापी सुवाह्यता (पोर्टेबिलिटी) से लैस श्रम सुधार श्रमिकों, विशेष रूप से महिलाओं, युवाओं, असंगठित, गिग और प्रवासी श्रमिकों को श्रम संबंधी प्रशासन के केन्द्र में मजबूती से रखता है।
मजदूरी संबंधी सुधार और आय संबंधी संरक्षण
लैंगिक समानता और श्रमबल में महिलाओं की भागीदारी

रोजगार का औपचारिकीकरण एवं नौकरी की सुरक्षा
सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और श्रमिक कल्याण
कामकाज की स्थितियां, काम के घंटे और अवकाश
औद्योगिक सद्भाव और श्रमिकों का प्रतिनिधित्व
निष्कर्ष

श्रम संहिताओं के अंतर्गत प्रत्येक प्रावधान भारत के निर्यात इकोसिस्टम को एक विशिष्ट किन्तु परस्पर संबद्ध तरीके से सुदृढ़ करता है। ये संहिताएं निर्यातोन्मुख उद्योगों (ईओआई) को गतिशील वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धा करने के लिए आवश्यक लचीलापन, सरलीकरण और पूर्वानुमेयता प्रदान करती हैं। साथ ही, बढ़ते अंतरराष्ट्रीय अनुपालन मानकों को भी पूरा करती हैं। यही सुधार श्रमिकों को उचित वेतन, सामाजिक सुरक्षा, सुरक्षा, समानता और कौशल उन्नयन के अवसरों की गारंटी देते हैं, जिससे कार्यस्थल पर उनके कल्याण और सम्मान दोनों में वृद्धि होती है। ये संहिताएं मिलकर भारत को एक ऐसे आधुनिक श्रम व्यवस्था की ओर अग्रसर करती हैं जो व्यवसाय करने में आसानी और श्रमिकों के जीवनयापन में आसानी के बीच संतुलन स्थापित करती है, जिससे निर्यात क्षेत्र में आर्थिक प्रगति और समावेशी विकास दोनों को गति मिलती है।