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भारत के खदान श्रमिकों के सशक्तिकरण हेतु नई श्रम संहिता

भारत के खदान श्रमिकों के सशक्तिकरण हेतु नई श्रम संहिता

 

प्रस्तावना

 

भारत का खनन क्षेत्र देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो सरकार के लिए महत्वपूर्ण कच्चा माल, रोजगार के मौके, निर्यात संवर्धन और राजस्व प्रदान करता है। भारतीय अर्थव्यवस्था के निरंतर विकास के साथ, खनिज और खनन संसाधनों की मांग में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।

भारत ने लंबे समय से खदान श्रमिकों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा के सुदृढ़ उपायों को प्राथमिकता दी है। अभी तक, श्रम स्थितियां खदान अधिनियम, 1952 और इससे संबंधित नियम खनन द्वारा शासित थे, जो श्रमिक सुरक्षा को आधारभूत फ्रेमवर्क देते थे, जिसका अब आधुनिकीकरण किया जा रहा है। नई श्रम संहिताओं, विशेष तौर पर व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य परिस्थितियां (ओएसएचएंडडब्ल्यूसी) संहिता, 2020 और सामाजिक सुरक्षा (एसएस) संहिता, 2020, ने पुराने खदान अधिनियम सहित कई कानूनों को अपने में समाहित कर लिया है।

ये नई संहिताएं खान श्रमिकों को सशक्त बनाने और साथ ही खनन उद्योग में व्यवसाय को सरलता को प्रोत्साहन देने के लिए बदलावकारी सुधार प्रस्तुत करती हैं। ये संहिताएं खान श्रमिकों के लिए व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थितियों के वैधानिक मानदंडों में मानकीकरण लाती हैं। लंबे समय से लंबित मुद्दों का समाधान करके, ये संहिताएं श्रमिकों को बेहतर अधिकार और सुरक्षा प्रदान करती हैं और साथ ही नियोक्ताओं के लिए नियामकीय बोझ को भी सरल बनाती हैं।

श्रमिक सुरक्षा का विकास

 

नए श्रम संहिताओं के लागू होने से पहले, खनन क्षेत्र मुख्य तौर पर खान अधिनियम, 1952 और अन्य पुराने कानूनों द्वारा शासित था। इस व्यवस्था के अंतर्गत:

हालांकि, इन प्रावधानों ने प्रारंभिक आधारशिला रखी, लेकिन वे खंडित थे और पुराने हो चुके थे, तथा अब वे श्रमिक सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा या वैश्विक रूप से एकीकृत अर्थव्यवस्था में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के आधुनिक मानकों के अनुरूप नहीं थे।

 

सुरक्षित और निष्पक्ष कार्यस्थलों के लिए व्यापक सुधार

ओएसएचएंडडब्ल्यूसी संहिता, 2020 और एसएस संहिता, 2020 पूर्ववर्ती प्रावधानों को समेकित और सुदृढ़ करते हैं। ये पूरे भारत में एक समान मानक स्थापित करते हैं, अनुपालन को सरल बनाते हैं, सामाजिक सुरक्षा कवरेज का विस्तार करते हैं, श्रमिकों की सुरक्षा बढ़ाते हैं और कार्य स्थितियों में अधिक लचीलापन प्रदान करते हैं।

कार्य के लिए लचीली और उचित परिस्थितियां

 

ये प्रावधान लचीले साप्ताहिक कार्यक्रम और सुनिश्चित विश्राम अंतराल के माध्यम से श्रमिकों को बेहतर संतुलन प्रदान करते हैं। ये प्रावधान थकान को रोककर, नियमित कार्य घंटों को सुनिश्चित करके और उचित पारिश्रमिक की गारंटी देकर कल्याण में भी सुधार करते हैं।

 

स्वास्थ्य एवं व्यावसायिक सुरक्षा प्रावधान

ये प्रावधान बीमारियों का शीघ्र पता लगाने, चिकित्सा व्यय कम करने और एक स्वस्थ, अधिक उत्पादक कार्यबल के विकास में सहायक होते हैं। ये निवारक स्वास्थ्य सेवा को भी बढ़ावा देते हैं और दीर्घकालिक व्यावसायिक जोखिमों को विशेष तौर पर कम करते हैं।

 

बेहतर सुविधाएं और अवकाश के अधिकार

ये पैमाने एक अधिक सहायक और आरामदायक कार्यस्थल का निर्माण करके, आवश्यक सुविधाओं तक पहुंच को मजबूत करके, श्रमिकों की भलाई में सुधार करते हैं। ये पैमाने श्रमिकों के लिए सवेतन अवकाश प्राप्त करना भी आसान बनाते हैं, जिससे उन्हें पर्याप्त आराम और स्वास्थ्य लाभ मिलता है।

सुदृढ़ सुरक्षा फ्रेमवर्क

ये प्रावधान खदान में कार्यरत श्रमिकों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और कल्याण पर जोर देते हैं। पूरे भारत में एक समान मानक बनाकर, यह नियोक्ताओं के लिए अनुपालन आवश्यकताओं को कम करता है, जिससे व्यवसाय करने में आसानी होती है। यह यह भी सुनिश्चित करता है कि श्रमिकों को देश भर में निरंतर और भरोसेमंद सुरक्षा और कल्याणकारी संरक्षण प्राप्त हो।

सामाजिक सुरक्षा सुधार कल्याण और सम्मान को बेहतर बनाते हैं

नए श्रम संहिताएं स्पष्ट अधिकारों, विस्तारित कवरेज और पोर्टेबल लाभों के माध्यम से खदान श्रमिकों के लिए वित्तीय और सामाजिक सुरक्षा को सुदृढ़ बनाती हैं। ये पूरे क्षेत्र में पारदर्शिता और एक समान कल्याण मानकों को बढ़ावा देती हैं।

मजबूत सामाजिक सुरक्षा

ये प्रावधान रोजगार, वेतन, पद और सामाजिक सुरक्षा में पारदर्शिता सुनिश्चित करके कर्मचारियों को लाभान्वित करते हैं, जिससे वेतन और काम के घंटों को लेकर विवादों या गलतफहमियों से बचने में मदद मिलती है। ये प्रावधान सामूहिक तौर पर खदान श्रमिकों और उनके परिवारों के लिए चिकित्सा पहुंच, वित्तीय सुरक्षा और दीर्घकालिक सुरक्षा में सुधार करते हैं, साथ ही पूरे भारत में सामाजिक सुरक्षा लाभ सुनिश्चित करते हैं।

 

महिला सुरक्षा एवं युवा कल्याण

 

इससे महिलाओं के लिए सुरक्षित रोजगार के अवसरों को बढ़ाने, विस्तारित मातृत्व लाभों के माध्यम से मातृ स्वास्थ्य को सहयोग देने और युवाओं की सुरक्षा को सुदृढ़ करने में मदद मिलती है।

सुव्यवस्थित अनुपालन और व्यवसाय में सुगमता

नई संहिताएं अनुपालन प्रक्रियाओं को सरल बनाती हैं, प्रशासनिक और कानूनी बोझ को कम करती हैं, और नियामक आवश्यकताओं को अधिक पारदर्शी बनाती हैं। ये संहिताएं सुचारू निरीक्षण, समस्याओं के त्वरित समाधान और एक डिजिटल अनुपालन वातावरण में सहयोग करती हैं, जिससे नियोक्ताओं और खदान प्रबंधन के लिए प्रक्रियाओं में सुधार होता है।

निष्कर्ष

व्यापक लाभों और समान सुरक्षा उपायों की व्यवस्था पर आधारित, भारत खनन क्षेत्र में सतत विकास की नींव रख रहा है। नई श्रम संहिताओं ने एक समग्र ढांचा तैयार किया है, जो बेहतर कार्य समय, स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों, सामाजिक सुरक्षा और लैंगिकसमावेशी प्रथाओं के माध्यम से खदान श्रमिकों को सशक्त बनाता है, साथ ही नियोक्ताओं को इन मानकों को बनाए रखने के लिए आवश्यक लचीलापन और स्पष्टता भी प्रदान करता है।

ये सुधार इस बात का उदाहरण हैं कि कैसे श्रमिक सशक्तिकरण और व्यवसाय करने में आसानी एक साथ चल सकते हैं, और अंततः देश की सामाजिक-आर्थिक प्रगति में योगदान दे सकते हैं।

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