Sunday, December 7, 2025
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भारत करेगा यूनेस्को के 20वें आईसीएच सत्र की मेज़बानी

भारत करेगा यूनेस्को के 20वें आईसीएच सत्र की मेज़बानी

मुख्य बिंदु

प्रस्तावना

भारत सरकार 8 से 13 दिसंबर 2025 तक नई दिल्ली में अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए यूनेस्को अंतर-सरकारी समिति के 20वें सत्र की मेज़बानी करेगी। ऐतिहासिक लाल किला परिसर, जो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, को इस आयोजन स्थल के रूप में चुना गया है, जो भारत की मूर्त और अमूर्त विरासत के एक ही छत के नीचे समागम का प्रतीक है।

यह पहली बार होगा, जब भारत आईसीएच समिति के सत्र की मेज़बानी करेगा और इस बैठक की अध्यक्षता यूनेस्को में भारत के स्थायी प्रतिनिधि महामहिम विशाल वी. शर्मा करेंगे। यह आयोजन 2005 में अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए 2003 कन्वेंशन के भारत द्वारा अनुसमर्थन की बीसवीं वर्षगांठ के मौके पर हो रहा है, जो जीवंत सांस्कृतिक परंपराओं के संरक्षण के लिए भारत की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

यूनेस्को की परिभाषा के अनुसार, अमूर्त सांस्कृतिक विरासत में वे प्रथाएँ, ज्ञान, अभिव्यक्तियाँ, वस्तुएँ और स्थान शामिल हैं, जिन्हें समुदाय अपनी सांस्कृतिक पहचान के हिस्से के रूप में देखते हैं। पीढ़ियों से चली आ रही यह विरासत वक्त के साथ विकसित होती है, सांस्कृतिक पहचान को मज़बूत करती है और विविधता की सराहना करती है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए, यूनेस्को ने 17 अक्टूबर 2003 को पेरिस में अपने 32वें आम सम्मेलन के दौरान 2003 कन्वेंशन को अपनाया था। इस कन्वेंशन ने वैश्वीकरण, सामाजिक परिवर्तन और सीमित संसाधनों के कारण तेज़ी से ख़तरे में आ रही मौजूदा सांस्कृतिक परंपराएँ, मौखिक प्रथाएँ, प्रदर्शन कलाएँ, सामाजिक रीति-रिवाज, अनुष्ठान, ज्ञान प्रणालियाँ और शिल्प कौशल जैसी वैश्विक चिंताओं पर चर्चा की।

इस सम्मेलन में समुदायों, खास तौर पर स्वदेशी समुदायों, समूहों और व्यक्तिगत अनुयायियों को, सांस्कृतिक विरासत के निर्माण, रखरखाव और हस्तांतरण में उनकी अहम भूमिका को देखते हुए, सुरक्षा प्रयासों के केंद्र में रखा गया। इसमें मूर्त और अमूर्त विरासत के बीच परस्पर निर्भरता, वैश्विक सहयोग की ज़रुरत और युवा पीढ़ी के बीच जागरूकता बढ़ाने के महत्व पर ज़ोर दिया गया। मानवता की जीवंत विरासत की रक्षा के लिए एक साझा वैश्विक प्रतिबद्धता के साथ, इस सम्मेलन ने औपचारिक रूप से अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, समर्थन और मान्यता के लिए तंत्र स्थापित किए, जिसने यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूचियों और उसके बाद अंतर-सरकारी समिति के कार्यों की भी नींव रखी।

इस सम्मेलन के उद्देश्य हैं:

• अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करना,

• संबंधित समुदायों, समूहों और व्यक्तियों की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के प्रति सम्मान सुनिश्चित करना,

• स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना और उसकी पारस्परिक सराहना करना,

• वैश्विक सहयोग और सहायता प्रदान करना।

अंतर-सरकारी समिति के कार्य

अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा हेतु अंतर-सरकारी समिति, 2003 कन्वेंशन के उद्देश्यों पर आगे काम करती है और सदस्य देशों में उनके प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करती है। इस कार्य को पूरा करने में, समिति:

• 2003 कन्वेंशन के उद्देश्यों और कार्यान्वयन को बढ़ावा देती है और उनकी निगरानी करती है।

• अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं पर मार्गदर्शन प्रदान करती है और उपायों की सिफ़ारिश करती है।

• अमूर्त सांस्कृतिक विरासत कोष के उपयोग हेतु मसौदा योजना तैयार करती है और महासभा को पेश करती है।

• कन्वेंशन के प्रावधानों के मुताबिक कोष के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाती है।

• कन्वेंशन के कार्यान्वयन के लिए परिचालन निर्देशों का मसौदा तैयार करती है और उनका प्रस्ताव रखती है।

• सदस्य देशों द्वारा प्रस्तुत आवधिक रिपोर्टों की जाँच करती है और महासभा के लिए सारांश संकलित करती है।

• सदस्य देशों के अनुरोधों का मूल्यांकन करती है और निम्नलिखित के संबंध में निर्णय लेती है:

अंतर-सरकारी समिति का 20वाँ सत्र

भारत सरकार का संस्कृति मंत्रालय (एमओसी) और उसकी स्वायत्त संस्था, संगीत नाटक अकादमी (एसएनए), नई दिल्ली स्थित लाल किले में अंतर-सरकारी समिति के 20वें सत्र की मेजबानी करने वाली नोडल एजेंसियां ​​हैं। दिल्ली स्थित यह 17वीं शताब्दी का भव्य किला, जो अपनी अद्भुत लाल बलुआ पत्थर की दीवारों और भव्य वास्तुकला, महलों, उद्यानों और संग्रहालयों के लिए जाना जाता है, स्वयं यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है।

प्रमुख एजेंडा

आईसीएच समिति के 20वें सत्र की मेजबानी करके, भारत का लक्ष्य है:

• संस्थागत समर्थन, सामुदायिक भागीदारी, दस्तावेज़ीकरण और राष्ट्रीय सूची प्रयासों को मिलाते हुए अपने राष्ट्रीय आईसीएच सुरक्षा मॉडल को पेश करना और एक वैश्विक अच्छे अभ्यास के रूप में साझा करना।

• सहयोगी नामांकन, संयुक्त सुरक्षा पहल, क्षमता निर्माण, संसाधनों के साझाकरण, तकनीकी आदान-प्रदान के ज़रिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में वृद्धि को और बढ़ाना।

स्थानीय शिल्प, क्षेत्रीय त्योहार जैसी कम ज्ञात परंपराओं समेत भारत की अमूर्त विरासत को अधिक वैश्विक दृश्यता प्रदान करना, जिससे वैश्विक समर्थन, रुचि, अनुसंधान, पर्यटन और संसाधन जुटाने को आकर्षित किया जा सके।

• सत्र के वैश्विक आकर्षण का उपयोग दस्तावेज़ीकरण, सूचीकरण, नामांकन, सामुदायिक सहभागिता जैसे घरेलू प्रयासों को विशेष रूप से युवाओं और भावी पीढ़ियों के बीच प्रोत्साहित करने के लिए करना।

• सांस्कृतिक कूटनीति के लिए एक मंच प्रदान करना: वैश्विक मंच पर भारत की सॉफ्ट-पावर, सांस्कृतिक समृद्धि, विविधता और विरासत नेतृत्व को प्रदर्शित करना।

• विरासत संरक्षण और सतत् विकास के बीच संबंध को मज़बूत करना: आजीविका, सामुदायिक पहचान, सामाजिक सामंजस्य और सांस्कृतिक पर्यटन के लिए एक संसाधन के रूप में अमूर्त विरासत।

भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत: एक राष्ट्रीय तथा वैश्विक संपत्ति

भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत केवल परंपरा या अतीत की यादें नहीं हैं, बल्कि यह एक जीवंत संपत्ति है, जिसका गहरा सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक और कूटनीतिक मूल्य है।

आईसीएच में भारत का योगदान

जीवंत परंपराओं, मौखिक अभिव्यक्तियों, प्रदर्शन कलाओँ, अनुष्ठान, शिल्प और सामुदायिक प्रथाओं को समेटे भारत की विशाल और विविध अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और प्रसार के लिए व्यवस्थित संस्थागत समर्थन की ज़रुरत है। इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए, संस्कृति मंत्रालय ने वर्तमान में जारी लेकिन बिखरे हुए संरक्षण प्रयासों को सुदृढ़ करने के लिए एक केंद्रीकृत तंत्र के रूप में “भारत की अमूर्त विरासत और विविध सांस्कृतिक परंपराओं के संरक्षण हेतु योजना” शुरू की। इस बीच, संगीत नाटक अकादमी (एसएनए) व्यक्तियों को प्रशिक्षित करने और अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (आईसीएच) के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए क्षमता निर्माण कार्यशालाओं का आयोजन करती है।

इस योजना का मकसद आईसीएच की सुरक्षा में लगे संस्थानों, व्यवसायियों, समुदायों, विद्वानों और संगठनों को फिर से क्रियाशील बनाना है, साथ ही यूनेस्को नामांकनों के ज़रिए भारत की सांस्कृतिक परंपराओं की राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मान्यता को बढ़ाना है। यह विश्वविद्यालयों, राज्य सरकारों, गैर सरकारी संगठनों, सांस्कृतिक निकायों, शोधकर्ताओं और व्यक्तिगत व्यवसायियों समेत विभिन्न हितधारकों को सहायता प्रदान करती है।

इस योजना के अंतर्गत प्रमुख गतिविधियों में आईसीएच सूची का दस्तावेजीकरण और निर्माण, सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों का संरक्षण और संवर्धन, यूनेस्को नामांकन डोजियर तैयार करना, कलाकारों के लिए प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण, कार्यशालाएँ और प्रदर्शन, प्रसार से जुड़ी पहल, शिक्षा-संस्कृति एकीकरण और राष्ट्रीय व्यावसायिक शैक्षिक योग्यता ढाँचे (एनवीईक्यूएफ) के अंतर्गत क्षेत्र कौशल परिषदों के ज़रिए कौशल विकास के लिए समर्थन शामिल हैं।

यूनेस्को द्वारा अंकित भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत

अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा हेतु यूनेस्को 2003 कन्वेंशन के एक राज्य पक्षकार के रूप में, भारत ने संस्कृति मंत्रालय और संगीत नाटक अकादमी जैसे राष्ट्रीय संस्थानों के ज़रिए अपनी जीवंत सांस्कृतिक परंपराओं के संरक्षण को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाया है। अब तक, 15 भारतीय तत्वों को यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में अंकित किया जा चुका है, जो देश की असाधारण सभ्यतागत गहनता और सांस्कृतिक निरंतरता को दर्शाता है।

Did You Know?

This year, India has nominated Chhath Mahaparva and Diwali for UNESCO’s ICH List.

ये अंकन सामुदायिक भागीदारी, दस्तावेज़ीकरण, प्रशिक्षण और प्रसारण के माध्यम से विविध सांस्कृतिक अभिव्यक्ति की सुरक्षा के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को भी दर्शाते हैं, जो 2003 के सम्मेलन के केंद्रीय सिद्धांत हैं। इन शिलालेखों में कुटियाट्टम और छाऊ जैसी प्राचीन प्रदर्शन कलाओं से लेकर वैदिक मंत्रोच्चार, लद्दाख में बौद्ध मंत्रोच्चार जैसी पवित्र परंपराएँ और रामलीला, रम्माण और संकीर्तन जैसी समुदाय-आधारित प्रथाएँ भी शामिल हैं। जंडियाला गुरु के ठठेरों की धातुकला, कालबेलिया समुदाय के उत्साहवर्धक संगीत और नृत्य और कुंभ मेले जैसे बड़े पैमाने पर होने वाले सामाजिक-आध्यात्मिक समारोहों के ज़रिए दैनिक सांस्कृतिक ज्ञान प्रणालियों का समान रूप से प्रतिनिधित्व किया जाता है। योग, दुर्गा पूजा और गरबा जैसे तत्व भारत की जीवंत समकालीन सांस्कृतिक पहचान को प्रदर्शित करते हैं, जबकि भारत सहित कई देशों में मनाया जाने वाला नवरोज़, क्षेत्रीय सांस्कृतिक अंतर्संबंधों को उजागर करता है।

निष्कर्ष

यूनेस्को अंतर-सरकारी समिति के 20वें सत्र की भारत द्वारा मेजबानी एक मील का पत्थर है, जो प्रतीकात्मक महत्व के साथ-साथ नेतृत्व के एक वास्तविक अवसर का भी मिश्रण है। विरासत के एक सशक्त ढ़ांचे और सांस्कृतिक विविधता के इतिहास के साथ, भारत अपने संरक्षण मॉडल को प्रदर्शित और साझा करने के लिए तैयार है। यह आयोजन भारत को अपनी जीवंत विरासत को उजागर करने, वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने और वर्तमान तथा भावी पीढ़ियों के लिए अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण हेतु एक नए दृष्टिकोण को आकार देने का अवसर प्रदान करता है।

नई दिल्ली में अंतर-सरकारी समिति के 20वें सत्र की सफलता यूनेस्को, भारत सरकार और भारत की सांस्कृतिक परंपराओं की जीवंतता पर सकारात्मक प्रभाव डालेगी। भारत की विरासत उसके लोगों के माध्यम से जीवित है, जो उसकी भाषाओं, कलाओं, रीति-रिवाजों, त्योहारों और विश्वास प्रणालियों में अभिव्यक्त होती है। इस वर्ष के सत्र की मेजबानी, भावी पीढ़ियों के लिए अपनी सांस्कृतिक विरासत को सुरक्षित रखने के प्रति भारत की सतत् प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

संदर्भ

यूनेस्को

https://ich.unesco.org/en/what-is-intangible-heritage-00003

https://ich.unesco.org/en/20com

https://ich.unesco.org/en/state/india-IN?info=elements-on-the-lists

https://ich.unesco.org/en/news/india-to-host-the-20th-session-of-the-committee-in-2025-13542

https://www.unesco.org/en/intangible-cultural-heritage/committee-2025

संस्कृति मंत्रालय

https://20com2025.culture.gov.in/intangible_cultural_heritage_in_India

https://20com2025.culture.gov.in/session_venue

https://20com2025.culture.gov.in/home#:~:text=All%20participants%20as%20well%20as%20the%20general,stream%20from%208th%20to%2013th%20DECEMBER%202025.

https://culture.gov.in/intangible-cultural-heritage

संगीत नाटक अकादमी

https://www.sangeetnatak.gov.in/sections/ICH

आईजीएनसीए

https://ignca.gov.in/divisionss/janapada-sampada/loka-parampara/intangible-cultural-heritage/inventory-on-the-intangible-cultural-heritage/

पीआईबी

https://www.google.com/url?sa=t&source=web&rct=j&opi=89978449&url=https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2024/jul/doc2024715349801.pdf&ved=2ahUKEwiLjP_hho2RAxWtcGwGHTeMJmIQFnoECCIQAQ&usg=AOvVaw3yJyfq0iCsZHp_aBrRtEn6

https://www.pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1839891

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2122423

https://www.pib.gov.in/PressNoteDetails.aspx?id=154536&NoteId=154536&ModuleId=3

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2153599

See in PDF

  1. यूनेस्को की आईसीएच सूचियों में तत्वों का अंकन (अनुच्छेद 16, 17 और 18 के अनुसार)।
  2. अंतर्राष्ट्रीय सहायता प्रदान करना।

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