भारत एआई के उपयोग से अपने लोगों को सशक्त बनाने, उनकी सुरक्षा करने और उनके उत्थान के लिए नवाचार कर रहा है: केंद्रीय संचार राज्य मंत्री डॉ. पेम्मासानी चंद्रशेखर
भारत एआई के उपयोग से अपने लोगों को सशक्त बनाने, उनकी सुरक्षा करने और उनके उत्थान के लिए नवाचार कर रहा है: केंद्रीय संचार राज्य मंत्री डॉ. पेम्मासानी चंद्रशेखर
संचार और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ. पेम्मासानी चंद्रशेखर ने नई दिल्ली के यशोभूमि में इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2025 के दौरान आयोजित अंतर्राष्ट्रीय एआई शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “भारत के नवाचार केवल प्रौद्योगिकी के लिए प्रौद्योगिकी के बारे में नहीं हैं – वे जीवन बदलने के बारे में हैं।”
मंत्री महोदय ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे डिजिटल प्रौद्योगिकियां रोज़मर्रा के जीवन को नया आकार दे रही हैं। उन्होंने बताया कि यूपीआई ने निर्बाध भुगतान को सार्वभौमिक बना दिया है, ओएनडीसी ने छोटे विक्रेताओं के लिए ई-कॉमर्स के अवसर खोले हैं और एआई-संचालित अलर्ट सिस्टम ने 2024 की केरल बाढ़ के दौरान 500,000 से अधिक लोगों की जान बचाई।
दूरसंचार विभाग के एआई-संचालित धोखाधड़ी जोखिम संकेतक का हवाला देते हुए, जिसने 48 लाख घोटालों को रोका और 140 करोड़ रुपये की हानि को टाल दिया, उन्होंने कहा कि ये नवाचार दर्शाते हैं कि भारत अपने लोगों को सशक्त बनाने, उनको सुरक्षा देने और उनको ऊपर उठाने के लिए एआई का उपयोग कैसे करता है।
एआई की परिवर्तनकारी क्षमता को पहचानते हुए डॉ. पेम्मासानी ने इसके अनियंत्रित जोखिमों के प्रति आगाह किया। उन्होंने कहा, “डीपफेक लोकतंत्र को कमजोर कर रहे हैं।” उन्होंने 2024 के चुनावों के दौरान प्रसारित हुए 50 से ज़्यादा फ़र्ज़ी वीडियो का उल्लेख किया, जिन्होंने गलत सूचना फैलाई और सार्वजनिक विमर्श में विश्वास को खत्म किया।
एल्गोरिथम संबंधी पूर्वाग्रह के मुद्दे पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि “एआई भर्ती टूल्स ने आईटी नौकरियों में 40 प्रतिशत अधिक महिलाओं को अस्वीकार कर दिया और लेंडिंग एल्गोरिदम ने ग्रामीण आवेदकों को अनुचित तरीके से अस्वीकार कर दिया।” उन्होंने कहा कि तटस्थ होने के लिए बनाई गई प्रौद्योगिकी ने सामाजिक पूर्वाग्रहों को दर्शाया है, जिससे असमानता और गहरी हुई है।
डॉ. पेम्मासानी चन्द्रशेखर ने स्वचालन और निजता के उल्लंघनों के जोखिमों की पर भी ध्यान आकर्षित किया और चेतावनी दी कि 2030 तक आईटी और विनिर्माण में 15-30 प्रतिशत नौकरियाँ प्रभावित हो सकती हैं। उन्होंने बताया कि चेहरे की पहचान प्रणालियों ने अल्पसंख्यकों की गलत पहचान 80 प्रतिशत तक त्रुटि दर के साथ की है, जबकि स्वास्थ्य सेवा में एआई ने उत्तर प्रदेश के अस्पतालों में 20 प्रतिशत तपेदिक मामलों का गलत निदान किया – ये अपारदर्शी, गैर-जवाबदेह प्रणालियों के खतरे को रेखांकित करता है।
सामूहिक और नैतिक एआई प्रतिक्रिया का आह्वान करते हुए डॉ. पेम्मासानी चन्द्रशेखर ने सरकारों, उद्योगों और नागरिकों से निर्णायक कार्रवाई करने का आग्रह किया। उन्होंने जिम्मेदार एआई शासन के लिए एक पाँच-सूत्रीय रूपरेखा प्रस्तुत की:
संगठनों और व्यक्तियों से सतर्क और सक्रिय रहने का आग्रह करते हुए डॉ. पेम्मासानी चन्द्रशेखर ने विश्वसनीय, समावेशी और मानव-केंद्रित एआई विकसित करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दौहराया।
आईएमसी 2025 के एक हिस्से के रूप में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय एआई शिखर सम्मेलन ने एआई के भविष्य, इसके सामाजिक प्रभाव और ज़िम्मेदारीपूर्ण तैनाती के लिए फ्रेमवर्क पर विचार-विमर्श करने हेतु वैश्विक विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं और नवप्रवर्तकों को एक साथ लाया।
- पूर्वाग्रह का मुकाबला: निष्पक्ष ऑडिट अनिवार्य करें और विविध डेटासेट का उपयोग करें।
- नौकरियों की सुरक्षा: इंडियाएआई फ्यूचरस्किल्स जैसी पहलों के माध्यम से कार्यबल को पुनर्कौशल प्रदान करें, जिससे लाखों लोगों को एआई-संचालित भूमिकाओं के लिए तैयार किया जा सके।
- निजता की रक्षा: मज़बूत डेटा संरक्षण कानूनों को लागू करें और फ़ेडरेटेड लर्निंग मॉडल को बढ़ावा दें।
- पारदर्शिता सुनिश्चित करें: स्वास्थ्य सेवा, वित्त और न्याय क्षेत्रों में व्याख्यायोग्य एआई की आवश्यकता रखें।
- नैतिकता के साथ नेतृत्व करें: भारतीय मूल्यों में निहित रहते हुए वैश्विक मानकों के अनुरूप शासन ढाँचे का निर्माण करें।