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फसल विविधीकरण और उच्च-मूल्य वाली फसलों को बढ़ावा देना

फसल विविधीकरण और उच्च-मूल्य वाली फसलों को बढ़ावा देना

भारत सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएनएम-वाणिज्यिक फसल) के तहत कपास, जूट, गन्ना जैसी वाणिज्यिक फसलों के विविधीकृत उत्पादन और समेकित बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) के तहत लाभदायक बागवानी फसलों के उत्पादन को प्रोत्साहित कर रही है।

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग वर्ष 2013-14 से मूल हरित क्रांति वाले राज्यों अर्थात हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (पीएम-आरकेवीवाई) की एक उप-योजना, फसल विविधीकरण कार्यक्रम (सीडीपी) को क्रियान्वित कर रहा है, ताकि चावल की फसल के क्षेत्र को दलहन, तिलहन, मोटे अनाज, पोषक अनाज, कपास आदि जैसी वैकल्पिक फसलों की ओर परिवर्तित किया जा सके। सीडीपी किसानों को चार प्रमुख घटकों, अर्थात (i) वैकल्पिक फसल प्रदर्शन, (ii) कृषि मशीनीकरण और मूल्य संवर्धन, (iii) साइट विशिष्ट गतिविधियाँ और (iv) जागरूकता, प्रशिक्षण, कार्यान्वयन, निगरानी आदि के लिए सहायता प्रदान करता है।

सीडीपी को कार्यान्वित करने के अतिरिक्त, राज्य सरकारें विभिन्न हस्तक्षेपों के माध्यम से किसानों को चावल-गेहूं आधारित फसल प्रणाली से दूसरी फसल की ओर परिवर्तित करने  के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं, जैसे पंजाब में विभिन्न सतत कृषि पद्धतियां जैसे बाजरा की खेती को बढ़ावा देना / प्रोत्साहित करना, विभिन्न फलों, सब्जियों आदि की गुणवत्ता वाले रोपण सामग्री की आपूर्ति सुनिश्चित करना, नाशपाती, आड़ू, अमरूद, खट्टे फलों के लिए उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना को कार्यान्वित किया जा रहा है और हरियाणा में धान की फसल को वैकल्पिक उच्च मूल्य वाली फसलों में विविधता लाकर भूजल में गिरावट की समस्या को हल करने के लिए वर्ष 2020 से “मेरा पानी मेरी विरासत” योजना को कार्यान्वित किया जा रहा है।

 

यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने आज राज्यसभा में एक लिखित जवाब में दी।

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