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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मुंबई में ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2025 को संबोधित किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मुंबई में ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2025 को संबोधित किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज महाराष्ट्र के मुंबई में ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2025 को संबोधित किया। मुंबई में सभी उपस्थित लोगों का हार्दिक स्वागत करते हुए, श्री मोदी ने मुंबई को ऊर्जा का शहर, उद्यम का शहर और अनंत संभावनाओं का शहर बताया। उन्होंने अपने मित्र, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री श्री कीर स्टारमर का विशेष रूप से स्वागत किया और ग्लोबल फिनटेक फेस्टिवल में उनकी उपस्थिति, साथ ही, कार्यक्रम में शामिल होने के लिए उनके द्वारा दिए गए समय के लिए आभार व्यक्त किया।

प्रधानमंत्री ने इस बात का स्मरण किया कि पांच वर्ष पूर्व, जब ग्लोबल फिनटेक फेस्टिवल की शुरुआत हुई थी, उस समय दुनिया एक वैश्विक महामारी से जूझ रही थी। प्रधानमंत्री ने  ज़ोर देते हुए कहा कि आज यह फेस्टिवल वित्तीय नवोन्मेषण और सहयोग के लिए एक वैश्विक मंच के रूप में विकसित हो गया है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष, ब्रिटेन एक भागीदार देश के रूप में भाग ले रहा है और इस बात पर बल दिया कि दुनिया दो प्रमुख लोकतंत्रों के बीच साझेदारी वैश्विक वित्तीय परिदृश्य को और सुदृढ़ करेगी। श्री मोदी ने आयोजन स्थल के जीवंत वातावरण, ऊर्जा और गतिशीलता की सराहना करते हुए इसे उल्लेखनीय बताया। उन्होंने कहा कि यह भारत की अर्थव्यवस्था और विकास में वैश्विक विश्वास को दर्शाता है। प्रधानमंत्री ने इस कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए श्री कृष गोपालकृष्णन, सभी आयोजकों और प्रतिभागियों को बधाई दी।

श्री मोदी ने प्रौद्योगिकी को इस लोकतांत्रिक भावना का एक प्रमुख उदाहरण बताते हुए कहा, “भारत लोकतंत्र की जननी है और भारत में लोकतंत्र केवल चुनाव या नीति-निर्माण तक सीमित नहीं है, बल्कि शासन के एक मज़बूत स्तंभ के रूप में स्थापित हो चुका है।” उन्होंने कहा कि जहां दुनिया लंबे समय से प्रौद्योगिकी विभाजन पर चर्चा करती रही है—और भारत स्वयं भी कभी इससे प्रभावित रहा था—वहीं पिछले एक दशक में भारत ने सफलतापूर्वक प्रौद्योगिकी का लोकतंत्रीकरण किया है। श्री मोदी ने कहा, “आज का भारत दुनिया के प्रौद्योगिकीय रूप से सबसे समावेशी समाजों में से एक है।”

यह रेखांकित करते हुए कि भारत ने डिजिटल प्रौद्योगिकी का लोकतंत्रीकरण किया है और इसे देश के हर नागरिक और हर क्षेत्र के लिए सुलभ बनाया है, प्रधानमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि यह अब भारत के सुशासन का मॉडल बन गया है। उन्होंने बताया कि इस मॉडल में, सरकार जनहित में डिजिटल बुनियादी ढांचा विकसित करती है और निजी क्षेत्र उस प्लेटफ़ॉर्म पर नवोन्मेषी उत्पाद तैयार करता है। श्री मोदी ने कहा कि भारत ने यह प्रदर्शित किया है कि कैसे प्रौद्योगिकी न केवल सुविधा के साधन के रूप में, बल्कि समानता के एक माध्यम के रूप में भी काम कर सकती है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत के समावेशी दृष्टिकोण ने बैंकिंग इको-सिस्टम को पूरी तरह बदल दिया है।” उन्होंने कहा कि बैंकिंग कभी एक विशेषाधिकार हुआ करती थी, लेकिन डिजिटल प्रौद्योगिकी ने इसे सशक्तिकरण का माध्यम बना दिया है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि भारत में डिजिटल भुगतान अब एक आम बात हो गई है और इस सफलता का श्रेय जेएएम (जन धन, आधार और मोबाइल) की त्रिमूर्ति को दिया। उन्होंने बताया कि अकेले यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) हर महीने बीस बिलियन लेनदेन की सुविधा प्रदान करता है, जिसका कारोबारी मूल्य पच्चीस लाख करोड़ रुपये से अधिक है। श्री मोदी ने ज़ोर देकर कहा कि विश्व भर में हर सौ रियल-टाइम डिजिटल लेनदेन में से पचास लेनदेन अकेले भारत में होते हैं।

इस वर्ष के ग्लोबल फिनटेक फेस्ट की थीम को भारत की लोकतांत्रिक भावना को सुदृढ़ और उन्नत करने वाला बताते हुए, श्री मोदी ने रेखांकित किया कि भारत के डिजिटल स्टैक पर विश्व स्तर पर चर्चा हो रही है। उन्होंने यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई), आधार-आधारित भुगतान प्रणाली, भारत बिल भुगतान प्रणाली, भारत-क्यूआर, डिजिलॉकर, डिजीयात्रा और सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) जैसे प्रमुख घटकों को भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था की रीढ़ बताया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि इंडिया स्टैक अब नए खुले इको-सिस्टम को बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने कहा कि ओएनडीसीडिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क – छोटे दुकानदारों और एमएसएमई के लिए वरदान साबित हो रहा है, जिससे उन्हें देश भर के बाजारों तक पहुंच प्राप्त हो रही है। उन्होंने कहा कि  ओपन क्रेडिट इनेबलमेंट नेटवर्क (ओसीईएन)  छोटे उद्यमियों के लिए ऋण तक पहुंच को सरल बना रहा है और एमएसएमई के लिए ऋण की कमी की समस्या का समाधान कर रहा है। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि भारतीय रिजर्ब बैंक (आरबीआई) द्वारा अपनाई जा रही डिजिटल मुद्रा पहल इसके परिणामों को और बेहतर बनाएगी। उन्होंने कहा कि ये सभी प्रयास भारत की अप्रयुक्त क्षमता को राष्ट्र की विकास गाथा के लिए एक प्रेरक शक्ति में बदल देंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा, “इंडिया स्टैक केवल भारत की सफलता गाथा नहीं है, बल्कि विश्व, विशेषकर विकासशील देशों के लिए आशा की किरण है।” उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि अपने डिजिटल नवाचारों के माध्यम से भारत वैश्विक स्तर पर डिजिटल सहयोग और डिजिटल साझेदारी को बढ़ावा देना चाहता है। उन्होंने रेखांकित किया कि भारत अपने अनुभव और ओपन-सोर्स प्लेटफ़ॉर्म, दोनों को वैश्विक सार्वजनिक वस्तुओं के रूप में साझा कर रहा है। श्री मोदी ने भारत में विकसित मॉड्यूलर ओपन-सोर्स आइडेंटिटी प्लेटफ़ॉर्म (एमओएसआईपी) का एक प्रमुख उदाहरण दिया और कहा कि पच्चीस से अधिक देश अपनी संप्रभु डिजिटल पहचान प्रणाली बनाने के लिए इसे अपना रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत न केवल प्रौद्योगिकी साझा कर रहा है, बल्कि इसे विकसित करने में अन्य देशों की सहायता भी कर रहा है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि यह डिजिटल सहायता नहीं, बल्कि डिजिटल सशक्तिकरण है।

यह रेखांकित करते हुए कि भारत के फिनटेक समुदाय के प्रयासों ने स्वदेशी समाधानों को वैश्विक प्रासंगिकता प्रदान की है, श्री मोदी ने अंतर-संचालनीय क्यूआर नेटवर्क, मुक्त वाणिज्य और खुले वित्त ढांचे को ऐसा प्रमुख क्षेत्र बताया जहां भारतीय स्टार्टअप्स के विकास को दुनिया भर में मान्यता मिल रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वर्ष के पहले छह महीनों में ही, भारत वैश्विक स्तर पर शीर्ष तीन सबसे अधिक वित्त पोषित फिनटेक इको-सिस्टम में शामिल हो गया है।

इस बात पर ज़ोर देते हुए कि भारत की शक्ति केवल परिमाण में नहीं, बल्कि समावेशिता, गतिशीलता और स्थिरता के साथ परिमाण को एकीकृत करने में निहित है, श्री मोदी ने अंडरराइटिंग पूर्वाग्रह को कम करने, वास्तविक समय में धोखाधड़ी का पता लगाने और विभिन्न सेवाओं को बेहतर बनाने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की भूमिका पर प्रकाश डाला। इस क्षमता को उजागर करने के लिए प्रधानमंत्री ने डेटा, कौशल और शासन में संयुक्त निवेश की अपील की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि, “एआई के प्रति भारत का दृष्टिकोण तीन प्रमुख सिद्धांतों – न्यायसंगत पहुंच, जनसंख्या-स्तरीय कौशल निर्माण और उत्तरदायी तैनाती – पर आधारित है।” भारत-एआई मिशन के तहत, सरकार प्रत्येक नवप्रवर्तक और स्टार्ट-अप के लिए किफायती और सुलभ संसाधन सुनिश्चित करने हेतु उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग क्षमता विकसित कर रही है। श्री मोदी ने पुष्टि की कि एआई के लाभों को हर ज़िले और हर भाषा में पहुंचाने के प्रयास जारी हैं। उन्होंने कहा कि भारत के उत्कृष्टता केंद्र, कौशल केंद्र और स्वदेशी एआई मॉडल इस लोकसंपर्क को सक्रिय रूप से सुनिश्चित कर रहे हैं।

यह रेखांकित करते हुए कि भारत नैतिक एआई के लिए एक वैश्विक ढांचे के निर्माण का निरंतर समर्थन करता रहा है, श्री मोदी ने कहा कि डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और उसके शिक्षण भंडार के क्षेत्र में भारत का अनुभव विश्व के लिए मूल्यवान हो सकता है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना में भारत ने जो रास्ता अपनाया है, वही दृष्टिकोण वह एआई के क्षेत्र में भी अपना रहा है। श्री मोदी ने कहा, “भारत के लिए एआई का अर्थ है सर्वसमावेशी।”

यह उल्लेख करते हुए कि एआई के लिए विश्वास और सुरक्षा नियमों पर वैश्विक बहस जारी है और भारत ने पहले ही इसके लिए विश्वास हासिल कर लिया है, प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि भारत का एआई मिशन डेटा और गोपनीयता दोनों मामलों को संभालने में सक्षम है। उन्होंने ऐसे प्लेटफ़ॉर्म विकसित करने की भारत की मंशा व्यक्त की जो नवप्रवर्तकों को समावेशी अनुप्रयोगों का निर्माण करने में सक्षम बनाएं। भुगतान में, भारत गति और आश्वासन को प्राथमिकता देता है; क्रेडिट में, अनुमोदन और सामर्थ्य पर ध्यान केंद्रित किया जाता है; बीमा में, लक्ष्य प्रभावी पॉलिसी और समय पर क्लेम हैं; और निवेश में, हमारा लक्ष्य पहुंच और पारदर्शिता में सफलता प्राप्त करना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि एआई इस रूपांतरण के पीछे प्रेरक शक्ति हो सकती है। इसके लिए, एआई अनुप्रयोगों को लोगों को केंद्र में रखकर डिजाइन किया जाना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि पहली बार डिजिटल वित्त उपयोगकर्ता को विश्वास होना चाहिए कि त्रुटियों को तेजी से हल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस विश्वास से डिजिटल समावेशन और वित्तीय सेवाओं में भरोसे को और बल मिलेगा।

यह उल्लेख करते हुए कि कुछ वर्ष पहले ब्रिटेन में एआई सेफ्टी समिट आरंभ हुआ था और अगले वर्ष, एआई इंपैक्ट समिट भारत में आयोजित किया जाएगा, प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि सुरक्षा पर बातचीत ब्रिटेन में शुरू हुई थी, लेकिन अब प्रभाव पर बातचीत भारत में होगी। उन्होंने कहा कि भारत और ब्रिटेन ने वैश्विक व्यापार में विश्व को सबके  लिए लाभप्रद साझेदारी मॉडल प्रदर्शित किया है और एआई तथा फिनटेक ने प्रौद्योगिकी में उनका सहयोग इस भावना को और मज़बूत करता है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि ब्रिटेन की अनुसंधान और वैश्विक वित्तीय विशेषज्ञता, भारत के परिमाण और प्रतिभा के साथ मिलकर, दुनिया के लिए अवसरों के नए द्वार खोल सकती है। उन्होंने स्टार्ट-अप्स, संस्थानों और नवाचार केंद्रों के बीच संबंधों को गहरा करने के लिए नई प्रतिबद्धता की घोषणा की। प्रधानमंत्री ने कहा कि ब्रिटेन-भारत फिनटेक कॉरिडोर नए स्टार्ट-अप्स को आरंभ करने और उसे आगे बढ़ाने के अवसर सृजित करेगा और लंदन स्टॉक एक्सचेंज तथा गिफ्ट सिटी के बीच सहयोग बढ़ाने का मार्ग भी प्रशस्त करेगा। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच यह वित्तीय एकीकरण कंपनियों को मुक्त व्यापार समझौते का अधिकतम लाभ उठाने में मदद करेगा।

सभी हितधारकों की साझा ज़िम्मेदारियों को रेखांकित करते हुए, श्री मोदी ने मंच से ब्रिटेन सहित प्रत्येक वैश्विक साझेदार को भारत के साथ सहयोग करने का निमंत्रण दिया। उन्होंने भारत के विकास के साथ-साथ आगे बढ़ने के लिए प्रत्येक निवेशक का स्वागत किया। प्रधानमंत्री ने एक ऐसे फिनटेक विश्व के निर्माण का आह्वान करते हुए समापन किया जो प्रौद्योगिकी, लोगों और दुनिया सबको समृद्ध बनाए—जहां नवोन्मेषण का उद्देश्य न केवल विकास बल्कि अच्छाई भी हो, और जहां वित्त केवल संख्याओं का नहीं, बल्कि मानव प्रगति का प्रतीक हो। कदम उठाने की इस अपील के साथ, उन्होंने उपस्थित सभी लोगों को अपनी शुभकामनाएं दीं।

इस कार्यक्रम में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री श्री कीर स्टारमर, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर श्री संजय मल्होत्रा ​​सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

 

पृष्ठभूमि

ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2025 दुनिया भर के नवप्रवर्तकों, नीति निर्माताओं, केंद्रीय बैंकरों, नियामकों, निवेशकों, शिक्षाविदों और उद्योग जगत के नेताओं को एक साथ लाएगा। सम्मेलन का मुख्य विषय, ‘एक बेहतर विश्व के लिए वित्त का सशक्तिकरण हैं जो एआई, संवर्धित बुद्धिमत्ता, नवाचार और समावेशन द्वारा समर्थित हैं तथा एक नैतिक और टिकाऊ वित्तीय भविष्य को आकार देने में प्रौद्योगिकी और मानवीय अंतर्दृष्टि के संयोजन को रेखांकित करता है।

इस वर्ष के आयोजन में 75 से अधिक देशों के 1,00,000 से अधिक प्रतिभागियों के भाग लेने की उम्मीद है, जिससे यह विश्व के सबसे बड़े फिनटेक सम्मेलनों में से एक बन जाएगा। इस आयोजन में लगभग 7,500 कंपनियां, 800 वक्ता, 400 प्रदर्शक और भारतीय तथा अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्राधिकारों का प्रतिनिधित्व करने वाले 70 विनियामक भाग लेंगे।

भाग लेने वाले अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में सिंगापुर का मोनेटरी अथॉरिटी, जर्मनी का ड्यूश बुंडेसबैंक, बैंक डी फ्रांस और स्विस फाइनेंसियल मार्केट सुपरवाइजरी अथॉरिटी (फिनमा) जैसे प्रतिष्ठित नियामक शामिल हैं। उनकी भागीदारी वित्तीय नीति संवाद और सहयोग के वैश्विक मंच के रूप में जीएफएफ की बढ़ती प्रतिष्ठा को रेखांकित करती है।

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