प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय सद्भाव के लिए क्रोध को त्यागने की आवश्यकता पर बल देते हुए संस्कृत श्लोक का उद्धरण दिया
प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय सद्भाव के लिए क्रोध को त्यागने की आवश्यकता पर बल देते हुए संस्कृत श्लोक का उद्धरण दिया
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने क्रोध की विनाशकारी प्रकृति और व्यक्तिगत कल्याण एवं सामूहिक प्रगति के लिए आंतरिक संयम के महत्व का उल्लेख करते हुए एक गहन संदेश साझा किया।
प्रधानमंत्री ने एक प्राचीन संस्कृत श्लोक का उद्धरण देते हुए बताया कि क्रोध किस प्रकार से विवेक को कमजोर करता है, सामाजिक सद्भाव को बाधित करता है और मानवीय क्षमता को कम करता है।
एक्स पर अपनी पोस्ट में श्री मोदी ने कहा:
“क्रोधः प्राणहरः शत्रुः क्रोधो मित्रमुखो रिपुः।
क्रोधो ह्यसिर्महातीक्ष्णः सर्व क्रोधोऽपकर्षति॥”
क्रोधः प्राणहरः शत्रुः क्रोधो मित्रमुखो रिपुः।
क्रोधो ह्यसिर्महातीक्ष्णः सर्व क्रोधोऽपकर्षति॥ pic.twitter.com/GBxlYC0oIH