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पेट्रोलियम उद्योग को नई श्रम संहिताओं से मिलेगी दोहरी शक्ति: कारोबार में सुगमता और श्रमिकों को सुरक्षा का कवच

पेट्रोलियम उद्योग को नई श्रम संहिताओं से मिलेगी दोहरी शक्ति: कारोबार में सुगमता और श्रमिकों को सुरक्षा का कवच

महत्त्वपूर्ण तथ्य

भारत सरकार ने चार श्रम संहिताओं—व्यवसायगत सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थितियां संहिता, 2020  (ओएसएचडब्ल्यूसी), सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 और वेतन संहिता, 2019—को लागू करके श्रम कानूनों का एक ऐतिहासिक एकीकरण किया है। ये सुधार औद्योगिक प्रतिष्ठानों में सुरक्षा, कार्य स्थितियां और सामाजिक सुरक्षा के लिए एक व्यापक और सुसंगत संरचना स्थापित करते हैं। इस संदर्भ में, पेट्रोलियम उद्योग एक प्रमुख क्षेत्र है जहाँ इन एकीकृत नियामक प्रावधानों की भूमिका अत्यंत आवश्यक और महत्वपूर्ण है।

नए श्रम संहिताओं के कारण, पेट्रोलियम उद्योग पुराने, बिखरे हुए कानूनों और सिर्फ दंड देने वाले निरीक्षकों पर निर्भरता वाले माहौल से बाहर निकलकर, अब एक ऐसे आधुनिक सिस्टम में प्रवेश करेगा जो सरल, प्रौद्योगिकी-आधारित है और जहाँ कानूनों का पालन करना आसान होगा। ये नियम विशेष रूप से तेल और गैस जैसे खतरनाक एवं उच्च जोखिम वाले उद्योगों के लिए बनाए गए हैं, ताकि उत्पादन से लेकर वितरण तक, हर चरण में सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

पेट्रोलियम उद्योग के बदलते आयाम और संरचना

पेट्रोलियम उद्योग बहुत ही जोखिम भरा क्षेत्र है क्योंकि यहाँ लगातार ज्वलनशील तेल-गैस, खतरनाक गैसें जैसे हाइड्रोजन सल्फाइड, कैंसर पैदा करने वाली बेंजीन वाष्प, क्रायोजेनिक एलएनजी, उच्च दबाव वाली एलपीजी और गर्म तरल पदार्थों का काम होता है। इस वजह से, कर्मचारियों को थर्मल रेडिएशन के खतरों और इन रसायनों के संपर्क से होने वाली बीमारियों का बड़ा जोखिम बना रहता है।

पहले, इस क्षेत्र में सुरक्षा नियम मुख्य रूप से कारखाना अधिनियम, 1948 पर आधारित थे। यह अधिनियम, हालांकि ऐतिहासिक रूप से प्रगतिशील था, लेकिन पेट्रोलियम उद्योग के लिए अपर्याप्त थे क्योंकि वे केवल कारखाने तक सीमित थे। इन प्रावधानों में चिकित्सा निगरानी सीमित थी, आपातकालीन आवश्यकताएँ बिखरी हुई थीं और प्रवर्तन तंत्र परिवर्तनशील थे। इन सभी को अन्वेषण और उत्पादन, रिफाइनरियों, पेट्रोकेमिकल संयंत्रों, एलएनजी टर्मिनलों, पाइपलाइनों, टैंक फार्मों और खुदरा ईंधन सुविधाओं में मौजूद जटिल जोखिमों से निपटने के लिए विकसित होने की आवश्यकता थी। वर्तमान व्यवस्था के तहत प्रवर्तन मुख्य रूप से इंस्पेक्टर द्वारा ड्रिवन था, डॉक्यूमेंटेशन फिजिकल था, आपातकालीन प्रबंधन अलग-अलग इकाइयों में संचालित होता था और रिकॉर्ड-कीपिंग में पेट्रोलियम के दीर्घकालिक खतरों के संपर्क में आने वाले श्रमिकों के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा की कमी थी। इसके अलावा, क्रॉस-कंट्री पाइपलाइनों, खुदरा ईंधन आउटलेट्स और बहु-स्थान भंडारण केंद्रों को अलग-अलग स्थानों पर अनुमोदन के लिए कई विभागों की आवश्यकता होती थी, जिससे सुरक्षा निगरानी बंटी हुई रहती थी। ये सब जटिल जोखिमों से निपटने के लिए कारगर नहीं थे।

व्यवसायगत सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थितियां संहिता, 2020 (ओएसएचडब्ल्यूसी) के तहत प्रावधान

व्यवसायगत सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थितियां संहिता, 2020 (ओएसएचडब्ल्यूसी) की शुरुआत ने पेट्रोलियम सुविधाओं के लिए सुरक्षा प्रणाली में एक निर्णायक परिवर्तन को चिह्नित किया है। यह कदम अलग-अलग, फैक्ट्री-केंद्रित विनियमन से हटकर, एक एकीकृत, राष्ट्रीय और जोखिम-केंद्रित सुरक्षा प्रणाली की स्थापना की ओर बढ़ रहा है। ओएसएचडब्ल्यूसी संहिता के व्यापक दायरे में अब सभी पेट्रोलियम इकाइयाँ शामिल हैं। रिफाइनरियों से लेकर ईंधन डिपो तक, ये सभी एक ही, व्यापक सुरक्षा दायरे के अधीन आ गए हैं।

सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 के प्रमुख प्रावधान

निष्कर्ष

एक ओर, ओएसएचडब्ल्यूसी संहिता एक आधुनिक, एकीकृत और सक्रिय सुरक्षा ढाँचा स्थापित करती है, जो अधिक सुरक्षित पेट्रोलियम प्रतिष्ठान, मजबूत इमरजेंसी रेजिलिएंस, स्वस्थ श्रमिक और अधिक विश्वसनीय, वैश्विक रूप से कम्प्लायंट ऑपरेशन प्रदान करती है। दूसरी ओर, सामाजिक सुरक्षा संहिता इस क्षेत्र में कल्याणकारी लाभों का विस्तार करती है और अनुपालन को मजबूत करती है। सामूहिक रूप से, ये संहिताएँ पेट्रोलियम क्षेत्र की सुरक्षा को एक प्रतिक्रियाशील, कम्प्लायंस-हैवी सिस्टम से बदलकर, एक आधुनिक, प्रिवेंशन-फोकस्ड, टेक्नोलॉजी-इनेबल्ड और वेलफेयर-सेंट्रिक फ्रेमवर्क में बदल देती हैं। इन प्रावधानों से परिचालन अनुशासन, वर्कफोर्स कैपेबिलिटी, इमरजेंसी रेडीनेस, चिकित्सा निगरानी, रेगुलेटरी क्लैरिटी और समन्वय में वृद्धि होती है। इसका अंतिम परिणाम सुरक्षित परिचालन, स्वस्थ कुशल कार्यबल, उच्च उत्पादकता, कम व्यवधान और मज़बूत वैश्विक अनुपालन के रूप में सामने आता है।

सामूहिक रूप से ये परिणाम भारत के पेट्रोलियम क्षेत्र में सेफ्टी कल्चर को सुदृढ़ करते हैं और इंडस्ट्रियल रेजिलिएंस को मजबूत बनाते हैं।

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