पीएम गतिशक्ति के तहत लॉजिस्टिक्स दक्षता बढ़ाने के लिए 105वीं NPG बैठक में रेल और सड़क परियोजनाओं की समीक्षा की गई
पीएम गतिशक्ति के तहत लॉजिस्टिक्स दक्षता बढ़ाने के लिए 105वीं NPG बैठक में रेल और सड़क परियोजनाओं की समीक्षा की गई
बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं का मूल्यांकन करने के लिए आज नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप (एनपीजी) की 105वीं बैठक बुलाई गई। बैठक में पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान (पीएमजीएस एनएमपी) के अनुसार मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक्स दक्षता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
एनपीजी ने 07 रेल परियोजनाओं और 01 सड़क परियोजना का मूल्यांकन किया जिससे पीएम गतिशक्ति के एकीकृत मल्टीमॉडल बुनियादी ढांचे के सिद्धांतों और आर्थिक तथा सामाजिक केंद्रों के अंतिम छोर तक संपर्क के सरकार के समग्र दृष्टिकोण का अनुपालन हो सके। पीएम गतिशक्ति सिद्धांतों के अनुरूप उम्मीद है कि इन पहलों से लॉजिस्टिक्स दक्षता बढ़ेगी, यात्रा में लगने वाला समय कम होगा, और परियोजना के दायरे में आने वाले क्षेत्रों को महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक लाभ मिलेंगे। इन परियोजनाओं के मूल्यांकन और अपेक्षित प्रभावों का विवरण नीचे दिया गया है:
प्रोजेक्ट्स का संक्षिप्त विवरण नीचे दिया गया है:
रेल मंत्रालय
i. तीसरी और चौथी लाइन अराक्कोनम – रेनिगुंटा
रेल मंत्रालय ने बढ़ते यात्रियों की मांग को पूरा करने, लाइन क्षमता बढ़ाने, रेलगाड़ियों को समय पर चलाने और बढ़ती माल ढुलाई की मांग को पूरा करने के लिए अराक्कोनम और रेनिगुंटा के बीच 76.559 किमी लंबी तीसरी और चौथी रेलवे लाइन बनाने का प्रस्ताव दिया है। यह कॉरिडोर तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के जिलों को जोड़ने वाला है और “मिशन 3000 एमटी” और अत्यधिक घनत्व वाले यातायात मार्गों (अमृत चतुर्भुज) कार्यक्रम का एक अहम हिस्सा है।
इस प्रस्ताव से पूर्व उद्योग जगत से विचार-विमर्श किया गया है ताकि इस रेलवे लाइन का निर्माण ऐसे क्षेत्रों से हो जहां से प्रमुख राजमार्गों और हवाई अड्डों से संपर्क सुनिश्चित हो सके, और उद्योग केंद्रों तथा प्रमुख ट्रांसपोर्ट नोड्स जुड़ सकें और मजबूत मल्टीमॉडल लिंक का लाभ मिले। माल लादने के लिए बेहतर संपर्क सड़कें ढुलाई की दक्षता को और मजबूत करेंगी। मंत्रालय इस बात पर ज़ोर देता है कि यह परियोजना रेल बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और क्षेत्रीय आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक रणनीतिक निवेश है।
ii. इरोड – करूर सेक्शन के बीच दोहरिकरण
रेल मंत्रालय ने भीड़ कम करने, क्षमता बढ़ाने और यात्री तथा माल ढुलाई दोनों सेवाओं के लिए संचालन दक्षता को बेहतर बनाने के लिए तमिलनाडु में 66.67 किमी लंबी इरोड-करूर रेलवे लाइन के दोहरिकरण का प्रस्ताव दिया है। यह परियोजना कम दूरी वाले माल ढुलाई मार्गों को मदद करेगी, औद्योगिक विकास को बढ़ावा देगी और क्षेत्रीय गतिशीलता को मजबूत करेगी।
इस कॉरिडोर का राष्ट्रीय राजमार्गों और राज्यों के राजमार्गों, हवाई संपर्क और औद्योगिक केंद्रों से मौजूदा सड़क लिंक के साथ मजबूत जुड़ाव सहज मल्टीमॉडल परिवहन को सक्षम करेगा। लाइन को डबल करने से कोयला, स्टील, सीमेंट और ग्रेनाइट जैसी प्रमुख वस्तुओं की बिजली संयंत्रों और उद्योगों तक आवाजाही में भी सुधार होगा, जिसे लोडिंग पॉइंट्स तक पर्याप्त संपर्क सड़क मार्गों से मदद मिलेगी।
मंत्रालय इस बात पर ज़ोर देता है कि यह परियोजना आपूर्ति शृंखला को बेहतर करते हुए संपर्क में सुधार करेगी, और तमिलनाडु के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली होगी।
iii. गुंटाकल – बेल्लारी स्टेशनों के बीच तीसरी और चौथी लाइन
रेल मंत्रालय ने गुंटकल और बेल्लारी के बीच 45.92 किमी लंबी तीसरी और चौथी लाइन बनाने का प्रस्ताव दिया है, जिससे आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में मौजूदा डबल-लाइन कॉरिडोर की क्षमता चार गुना हो जाएगी। यह परियोजना जेएसडब्ल्यू, कल्याणी स्टील्स, अल्ट्राटेक सीमेंट, एसीसी सीमेंट और केपीसीएल जैसे प्रमुख उद्योगों को सेवा देने वाले एक महत्वपूर्ण माल ढुलाई और यात्री मार्ग पर क्षमता को बढ़ाने वाली होगी।
हुबली-गडग-बेल्लारी-गुंटकल मार्ग पर स्थित यह महत्वपूर्ण रेल खंड, उत्तर-पश्चिम कर्नाटक को सम्पूर्ण भारत के प्रमुख क्षेत्रों से जोड़ता है। बेल्लारी, तोरनागल्लू, होसपेटे और गिनिगेरा खनिज समृद्ध क्षेत्र हैं, जहाँ प्रमुख स्टील और पावर प्लांट हैं, ऐसे में बेहतर माल ढुलाई और दबाव कम होने से काफी लाभ होगा।
iv. गुंटकल – वाडी स्टेशनों के बीच तीसरी और चौथी लाइन
रेल मंत्रालय ने कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से गुज़रने वाली गुंटकल और वाडी के बीच 230 किमी लंबी तीसरी और चौथी लाइन के निर्माण का प्रस्ताव दिया है। यह परियोजना मौजूदा डबल-लाइन सेक्शन को चार लाइन वाला बना देगी, जिससे सबसे महत्वपूर्ण माल ढुलाई मार्गों में से एक इस खंड पर पर क्षमता बढ़ेगी।
यह कॉरिडोर नागपुर-बलहारशाह-कोठागुडेम बेल्ट से वाडी-गुंटकल-रेनिगुंटा एक्सिस के साथ ऊर्जा संयंत्रों तक कोयला पहुंचाने के लिए बहुत आवश्यक है और वाडी तथा तांदूर के बीच प्रमुख सीमेंट उद्योगों की सहायता करता है। इस विस्तार से रुकावटें कम होंगी, समय पर माल ढुलाई सुनिश्चित होगी, औसत गति में सुधार होगा, और यात्री और मालगाड़ियों दोनों के लिए अतिरिक्त रास्तों का विकल्प होगा।
v. सेलम–करूर–डिंडीगुल के बीच दोहरिकरण
रेल मंत्रालय ने यात्री भीड़ का दबाव कम करने, लाइन की क्षमता बढ़ाने और यात्री तथा मालगाड़ी के संचालन को आसान व तेज़ बनाने के लिए 159.26 किमी लंबे सेलम-करूर-डिंडीगुल रेलवे कॉरिडोर के दोहरिकरण का प्रस्ताव दिया है।
मेट्टूर थर्मल पावर प्लांट और स्टील, सीमेंट, कपड़ा, कृषि और खाद्य प्रसंस्करण जैसे प्रमुख क्षेत्रों को सेवा देने वाले एक प्रमुख ऊर्जा और औद्योगिक मार्ग के रूप में, अपग्रेड की गई लाइन से माल ढुलाई की लागत में काफी कमी आएगी, मालढुलाई दक्षता में सुधार होगा और क्षेत्रीय आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। सेलम, नमक्कल, करूर और डिंडीगुल में मजबूत औद्योगिक समूहों को बेहतर संपर्क से फायदा होगा।
इस परियोजना से रेल सेवा की विश्वसनीयता में सुधार होने के साथ स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन और तमिलनाडु के रणनीतिक माल ढुलाई नेटवर्क को मजबूती मिलने की उम्मीद है।
vi. यादाद्री और काजीपेट स्टेशनों के बीच तीसरी और चौथी लाइन तथा घाटकेसर और यादाद्री स्टेशनों के बीच चौथी लाइन
रेल मंत्रालय ने यादाद्री और काजीपेट के बीच 77.958 किमी रेल खंड पर तीसरी और चौथी रेलवे लाइन और घाटकेसर और यादाद्री के बीच 32.448 किमी रेल खंड पर चौथी लाइन बनाने का प्रस्ताव दिया है। ये रेल खंड भारतीय रेलवे की परियोजनाओं के यूनिवर्स के अंतर्गत चिन्हित किए गए अत्यधिक यात्री दबाव वाले कॉरिडोर का हिस्सा है, जो उनके रणनीतिक महत्व को बताता है।
यादाद्री-काजीपेट-घाटकेसर कॉरिडोर तेलंगाना के सबसे महत्वपूर्ण रेल मार्गों में से एक है, जो पूरे दक्षिण भारत में यात्री और माल ढुलाई दोनों के लिए एक मुख्य मार्ग के रूप में सेवा देता है और हैदराबाद, चेन्नई, कोलकाता और दिल्ली सहित प्रमुख महानगरीय शहरों से संपर्क प्रदान करता है। इस रेलखंड ने अपनी रणनीतिक स्थिति और क्षेत्र में प्रमुख औद्योगिक प्रतिष्ठानों की मौजूदगी के कारण महत्वपूर्ण विकास देखा है।
यह रेल खंड मज़बूत मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी से जुड़ा है, जिसमें राष्ट्रीय राजमार्ग-163 और राज्य के राजमार्ग एस एच -1 और एस एच -2 जैसे मुख्य मार्गों तक सीधी पहुँच है। यह बड़े एयरपोर्ट—राजीव गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (सिकंदराबाद से लगभग 31 किमी) और बेगमपेट एयरपोर्ट (लगभग 40 किमी) के भी पास है। रेलवे स्टेशनों और इंडस्ट्रियल ज़ोन, जिसमें फार्मास्युटिकल क्लस्टर भी शामिल हैं, के बीच मौजूदा सड़क संपर्क को और मज़बूत किया जाएगा ताकि परियोजना पूरा होने के बाद सड़क मार्गों पर बढ़ते दबाव को संभाला जा सके। आस-पास कोई बंदरगाह नहीं है।
प्रस्तावित विस्तार का उद्देश्य नेटवर्क क्षमता को बढ़ाना, समय की पाबंदी में सुधार करना और क्षेत्र की बढ़ती यात्री और माल ढुलाई की मांग को पूरा करना है।
vii. तलेगांव–उरुली के बीच तीसरी और चौथी इलेक्ट्रीफाइड मल्टी ट्रैकिंग लाइन
रेल मंत्रालय ने यात्रियों और माल ढुलाई संपर्क बेहतर बनाने के लिए महाराष्ट्र के पुणे जिले में तलेगांव और उरुली के बीच एक ब्रॉड-गेज, इलेक्ट्रीफाइड मल्टी-ट्रैकिंग रेलवे लाइन का प्रस्ताव दिया है। यह परियोजना तलेगांव, वाघोली और उरुली जैसे प्रमुख कस्बों को जोड़ेगी, और बड़े औद्योगिक और लॉजिस्टिक्स हब को मदद करेगी।
आवागमन आकलन के लिए जेएसडब्ल्यू डोल्वी, जेएनपीए, अदानी एपीईजेड, एमआईडीसी चाकन, निफाड ड्राई पोर्ट्स और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री जैसे प्रमुख स्टेकहोल्डर्स से सलाह ली गई है। यह परियोजना एयरपोर्ट और हाईवे के साथ मल्टीमॉडल इंटीग्रेशन सुनिश्चित करने वाली है, साथ ही इससे प्रमुख राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों पर अत्यधिक दबाव को कम करने में मदद मिलती है।
यह लाइन उरुली में आने वाले मेगा कोचिंग टर्मिनल से जुड़ेगी, मुंबई-चेन्नई हाई-डेंसिटी नेटवर्क पर पुणे-सोलापुर-वाड़ी रूट के साथ एकीकृत होगी, और पुणे-सतारा रेलखंड पर आलंदी तक अतिरिक्त लाइनों को जोड़ेगी, जिससे कुल नेटवर्क क्षमता और संचालन दक्षता में सुधार होगा।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय
viii. आंध्र प्रदेश राज्य में विनूकोंडा–गुंटूर सेक्शन से अमरावती आउटर रिंग रोड तक एनएच-544डी के उन्नयन हेतु निर्माण
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने विनूकोंडा से गुंटूर तक नेशनल हाईवे एनएच-544डी को उन्नत करने का प्रस्ताव दिया है, जिसमें इसे दो-लेन से चार-लेन हाईवे में बदलना है। इसमें पक्के शोल्डर बनाना शामिल है। इस परियोजना का उद्देश्य इस रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कॉरिडोर पर सड़क की क्षमता, सुरक्षा और कुल संचालन दक्षता को बढ़ाना है, जो एनएच-44 (बेंगलुरु-हैदराबाद) और एनएच -16 (कोलकाता-चेन्नई) के बीच एक महत्वपूर्ण लिंक प्रदान करता है।
प्रस्तावित मार्ग खंड विनूकोंडा में पोडिली जंक्शन से अमरावती आउटर रिंग रोड तक फैला हुआ है, जिसकी कुल लंबाई लगभग 85.9 किमी है, जिसमें लगभग 44.6 किमी ब्राउनफील्ड और 41.3 किमी ग्रीनफील्ड खंड शामिल हैं। हालांकि यह परियोजना काफी हद तक मौजूदा हाईवे को फॉलो करता है, लेकिन मौजूदा कमियों को ठीक करने और यातायात आवगमन को बेहतर बनाने के लिए चुने हुए हिस्सों में ज्यामितीय सुधार, रीअलाइनमेंट और बाईपास का विकास किया जाएगा।
इस परियोजना के पूरा होने से यात्रा का समय लगभग 52% कम होने, माल ढुलाई की लागत कम होने के साथ वाहनों की आवाजाही में काफी सुधार होने की उम्मीद है। यह नरसारावपेट, गुंटूर, विजयवाड़ा और तेलंगाना की नई बन रही राजधानी अमरावती जैसे प्रमुख शहरी केंद्रों के बीच संपर्क को मजबूत करेगा, साथ ही क्षेत्रीय आर्थिक विकास, रोजगार सृजन, शहरी विकास और पर्यटन को भी बढ़ावा देगा।
उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) लॉजिस्टिक्स के संयुक्त सचिव ने इस बैठक की अध्यक्षता की।