पीएम-एफएमई के तहत सूक्ष्म उद्यमों को लाभ
पीएम-एफएमई के तहत सूक्ष्म उद्यमों को लाभ
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों के माध्यम से केंद्र प्रायोजित “सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों के औपचारिककरण के लिए प्रधानमंत्री योजना (पीएमएफएमई)” लागू कर रहा है, जिसका उद्देश्य देश में नए सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम स्थापित करने या उनके उन्नयन के लिए वित्तीय, तकनीकी और व्यवसायिक सहायता प्रदान करना है। योजना के तहत ऑनलाइन जमा कराए गए प्रस्तावों के लिए, बैंक द्वारा मूल्यांकन के बाद ऋण स्वीकृत किए जाते हैं। दो लाख सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों को क्रेडिट लिंक्ड सहायता प्रदान करने के लक्ष्य के मुकाबले, योजना के तहत अब तक 1,62,744 सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों के लिए क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी हेतु ऋण स्वीकृत किए जा चुके हैं।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय नियमित रूप से उपरोक्त लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए ऋण देने वाले बैंकों और राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों के साथ बैठकें आयोजित करता है। इसके अलावा, सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों की समस्याओं को वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) स्तर और राज्य स्तरीय बैंकर समिति (एसएलबीसी) में उठाया जाता है। योजना के लाभों को बिल्कुल अंतिम सिरे के लाभार्थियों तक पहुँचाने और जागरूकता बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर नियमित रूप से कार्यशालाएँ, सेमिनार और जागरूकता शिविर आयोजित किए जा रहे हैं।
देश भर में डीपीआर स्वीकृति के बाद औसत ऋण स्वीकृति समय लगभग 50 दिन है। हालाँकि, वास्तविक समय इस बात पर निर्भर करता है कि आवेदक योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार संबंधित अधिकारियों/ऋण देने वाले बैंकों को दस्तावेज़/जानकारी कितनी जल्दी प्रस्तुत करते हैं।
योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार, योजना के तहत एससी और एसटी उद्यमियों के लिए वार्षिक निधि आवंटन क्रमशः 8.3% और 4.3% निर्धारित किया गया है। महिला उद्यमियों के लिए कोई विशेष निधि आवंटन नहीं है। योजना में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए, खाद्य प्रसंस्करण गतिविधियों में संलग्न, स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) की महिला सदस्यों के लिए कार्यशील पूंजी और छोटे उपकरणों की खरीद हेतु प्रत्येक एसएचजी सदस्य के लिए 40,000 रुपये की प्रारंभिक पूंजी सहायता का प्रावधान किया गया है।
अगस्त 2025 के बाद पीएम-एफएमई योजना के तहत कोई नई पहल लागू नहीं की गई है। हालांकि, अगस्त 2025 के बाद, अर्थात् 01.09.2025 से 31.10.2025 तक महिलाओं, एससी और एसटी उद्यमियों के लिए पीएम-एफएमई योजना की प्रगति इस प्रकार है:
पीएम-एफएमई योजना के तहत अधिक वित्तपोषण के लिए ऐसे किसी भी प्रस्ताव को मंत्रालय द्वारा अंतिम रूप नहीं दिया गया है। हालाँकि, योजना के दिशानिर्देशों में मौजूदा प्रावधानों के अनुसार, किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ)/किसान उत्पादक कंपनियाँ (एफपीसी)/सहकारी समितियाँ/स्वयं-सेवी समूह (एसएचजी) और उनके महासंघ/सरकारी एजेंसियों द्वारा सामान्य अवसंरचना सुविधाओं की स्थापना के लिए अर्ह परियोजना लागत का 35% क्रेडिट-लिंक्ड पूंजी सब्सिडी के रूप में प्रदान किया जाता है, जिसकी अधिकतम सीमा 3.00 करोड़ रुपये है। ये सुविधाएँ सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को किराए पर उपलब्ध कराई जाती हैं।
यह जानकारी आज राज्यसभा में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री श्री रवनीत सिंह द्वारा लिखित उत्तर में दी गई।