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नीति आयोग ने समावेशी सामाजिक विकास के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर एक अभूतपूर्व रोडमैप प्रस्तुत किया

नीति आयोग ने समावेशी सामाजिक विकास के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर एक अभूतपूर्व रोडमैप प्रस्तुत किया

नीति आयोग ने आज एक अग्रणी अध्ययन, समावेशी सामाजिक विकास के लिए एआई जारी किया, जो व्यवस्थित रूप से यह पता लगाने का अपनी तरह का पहला प्रयास है कि कैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और अग्रणी प्रौद्योगिकियों का उपयोग भारत के 490 मिलियन अनौपचारिक श्रमिकों के जीवन और आजीविका को बदलने के लिए किया जा सकता है, जो देश की अर्थव्यवस्था का आधार हैं।

हांलाकि एआई पर वैश्विक चर्चा मुख्य रूप से कार्यालय आधारित प्रशासनिक अथवा प्रबंधन संबंधी नौकरियों और औपचारिक अर्थव्यवस्था के इर्द-गिर्द केन्द्रित रही है, यह ऐतिहासिक अध्ययन, डेलॉयट के साथ साझेदारी में विकसित अनौपचारिक क्षेत्र पर ध्यान केन्द्रित करता है, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग आधे का योगदान देता है, फिर भी संरक्षण, अवसर और उत्पादकता की औपचारिक प्रणालियों से बाहर है।

रिपोर्ट इस बात पर ज़ोर देती है कि एआई अनौपचारिक क्षेत्र में स्वतः परिवर्तन नहीं लाएगा। अकेले तकनीक व्यवस्थागत बाधाओं को नहीं तोड़ सकती। बिना सोचे-समझे मानवीय हस्तक्षेप, केन्द्रित निवेश और एक सक्षम इकोसिस्टम के, एआई की संभावना उन लोगों की पहुँच से बाहर रह सकती है जिन्हें इसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत है।

इस समस्या के समाधान के लिए, नीति आयोग ने मिशन डिजिटल श्रमसेतु का आह्वान किया है—एक प्रस्तावित राष्ट्रीय मिशन जो एक रोडमैप और इकोसिस्टम तैयार करेगा जो प्रत्येक कार्यकर्ता के लिए एआई को सुलभ, किफायती और प्रभावी बनाएगा। यह मिशन एआई, ब्लॉकचेन, इमर्सिव लर्निंग और अन्य अग्रणी तकनीकों का उपयोग करके संरचनात्मक बाधाओं को दूर करेगा—जिनमें वित्तीय असुरक्षा और सीमित बाजार पहुँच से लेकर कौशल और सामाजिक सुरक्षा का अभाव शामिल है—और अनौपचारिक श्रमिकों को ऐसे उपकरणों और प्लेटफार्मों से सशक्त बनाएगा जो उनके कौशल को बढ़ाएँगे, उत्पादकता बढ़ाएँगे और काम में गरिमा सुनिश्चित करेंगे।

यह प्रस्तावित मिशन इस बात पर ज़ोर देता है कि समावेशन के लिए मानवीय इरादे, समन्वित कार्य और सरकार, उद्योग, शिक्षा जगत और नागरिक समाज के बीच सहयोग की आवश्यकता है। तभी एआई लाखों अधिकारों से वंचित लोगों को भारत की विकास गाथा की मुख्यधारा में लाकर और विकसित भारत 2047 की कल्पना को हकीकत में बदलकर एक सच्चे समकारक के रूप में कार्य कर सकता है।

रोडमैप देरी की भारी कीमत पर भी जोर देता है: वर्तमान गति से, अनौपचारिक श्रमिकों की औसत वार्षिक आय 2047 तक $6,000 पर स्थिर रहेगी—जो भारत के लिए उच्च आय का दर्जा हासिल करने के लिए आवश्यक $14,500 के लक्ष्य से बहुत कम है। लाखों लोगों को पीछे छोड़ने और भारत की विकास गाथा को कमजोर करने से बचने के लिए तत्काल, समन्वित कार्य करने की आवश्यक है।

भारत सरकार के कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा शिक्षा राज्य मंत्री, श्री जयंत चौधरी ने कहा, “भारत के अनौपचारिक क्षेत्र के कामगारों को सशक्त बनाना केवल एक आर्थिक प्राथमिकता नहीं, बल्कि एक नैतिक अनिवार्यता भी है। कामगारों के लिए एआई में डिजिटल कौशल विकास का लक्ष्य, एआई और अग्रणी तकनीकों का लाभ उठाकर, सीखने के लिए अनुकूल, सुलभ और माँग-आधारित बनाने के हमारे राष्ट्रीय कौशल एजेंडे के साथ पूरी तरह से मेल खाता है। सरकार, उद्योग और नागरिक समाज को एक साथ लाकर, यह मिशन यह सुनिश्चित करेगा कि प्रत्येक कामगार—चाहे वह किसान हो, कारीगर हो या स्वास्थ्य सेवा सहायक—के पास भविष्य की डिजिटल अर्थव्यवस्था में फलने-फूलने के लिए आवश्यक कौशल, उपकरण और अवसर हों।”

नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने सहयोग की अनिवार्य आवश्यकता पर बल दिया:

“अगर हम भारत के 49 करोड़ अनौपचारिक कामगारों के जीवन में बदलाव लाने के लिए गंभीर हैं, तो सहयोग ऐच्छिक नहीं है—इस बारे में कोई बातीचत नहीं की जा सकती। इस लक्ष्य के लिए विभिन्न कार्यों की आवश्यकता है: तल्‍लीन होकर अग्रणी तकनीकों की लागत को कम करने वाले अनुसंधान एवं विकास से लेकर अनौपचारिक क्षेत्र के अनुरूप नवाचार का एक स्थायी इकोसिस्टम बनाने तक, और बड़े पैमाने पर कौशल और पुनर्कौशल प्रदान करने तक। सरकार, उद्योग, शिक्षा जगत और नागरिक समाज को एकजुट करके ही हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि यह मिशन न केवल तकनीक को अपनाए, बल्कि वास्तविक और स्थायी सशक्तिकरण भी प्रदान करे।”

नीति आयोग की विशिष्ट फेलो और फ्रंटियर टेक हब की मुख्य वास्तुकार सुश्री देबयानी घोष ने कहा:

भारत को अपने 30 ट्रिलियन डॉलर के विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, हम उन 49 करोड़ कामगारों को पीछे नहीं छोड़ सकते जो हमारी अर्थव्यवस्था को प्रतिदिन शक्ति प्रदान करते हैं। एआई अपने आप उनके जीवन को नहीं बदलेगा—इसके लिए हमें सोच-समझकर एक रोडमैप और इकोसिस्‍टम बनाने की आवश्यकता है जो इन तकनीकों को सुलभ और किफ़ायती बना सके। यह रोडमैप अद्वितीय है क्योंकि यह अंततः उनकी आवाज़ों, चुनौतियों और आकांक्षाओं को एआई संवाद के केन्द्र में रखता है और इस वादे को वास्तविकता में बदलने के मार्ग के रूप में एक मिशन-मोड दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।”

इस रोडमैप का शुभारंभ कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा शिक्षा राज्य मंत्री श्री जयंत चौधरी; नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी. के. पॉल; नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री बी. वी. आर. सुब्रह्मण्यम; इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव श्री एस. कृष्णन; कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय की सचिव सुश्री देबाश्री मुखर्जी; नीति आयोग की विशिष्ट फेलो सुश्री देबयानी घोष तथा अन्य विशिष्ट अतिथियों एवं गणमान्य व्यक्तियों द्वारा किया गया।

इस लॉन्च में उद्योग के सदस्यों और विकास भागीदारों की ओर से उत्साहपूर्वक भागीदारी देखी गई, जिनमें भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई), नैसकॉम फाउंडेशन, विश्व बैंक, गेट्स फाउंडेशन, सत्व कंसल्टिंग, हकदर्शक और पीरामल फाउंडेशन आदि शामिल थे, तथा डेलॉयट ज्ञान भागीदार के रूप में कार्य कर रहा था।

रोडमैप यहां देखें : https://niti.gov.in/sites/default/files/2025-10/Roadmap_On_AI_for_Inclusive_Societal_Development.pdf

नीति फ्रंटियर टेक हब के बारे में:

नीति फ्रंटियर टेक हब, विकसित भारत के लिए एक एक्शन टैंक है। सरकार, उद्योग और शिक्षा जगत के 100 से ज़्यादा विशेषज्ञों के सहयोग से, यह 20 से ज़्यादा प्रमुख क्षेत्रों में परिवर्तनकारी विकास और सामाजिक विकास के लिए अग्रणी तकनीकों का उपयोग करने हेतु 10-वर्षीय रोडमैप तैयार कर रहा है। देश भर के हितधारकों को सशक्त बनाकर और सामूहिक कार्रवाई को बढ़ावा देकर, यह हब आज ही कार्रवाई करने की तात्कालिकता पैदा कर रहा है और 2047 तक एक समृद्ध, लचीले और तकनीकी रूप से उन्नत भारत की नींव रख रहा है। 

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