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नदियों को आपस में जोड़ने के सम्बन्ध में हुई प्रगति, मंजूरी और वित्तपोषण

नदियों को आपस में जोड़ने के सम्बन्ध में हुई प्रगति, मंजूरी और वित्तपोषण

राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (एनपीपी) के अंतर्गत चिन्हित 30 लिंक परियोजनाओं में से, राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी (एनडब्ल्यूडीए) ने सभी 30 लिंकों के लिए पूर्व-व्यवहार्यता रिपोर्ट (पीएफआर), 26 लिंकों के लिए व्यवहार्यता रिपोर्ट (एफआर) और 13 लिंकों के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) पूर्ण कर ली हैं। सभी 30 लिंक परियोजनाओं की समग्र स्थिति अनुलग्नक में संलग्न है।

 

लिंक परियोजनाओं के कार्यान्वयन की स्थिति:

गोदावरी (पोलावरम)-कृष्णा (विजयवाड़ा) लिंक परियोजना राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (1980) के प्रायद्वीपीय घटक का हिस्सा है। बाद में इस लिंक को इंदिरासागर पोलावरम परियोजना के तहत आंध्र प्रदेश राज्य के अधीन ले लिया गया। आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद, यह परियोजना पोलावरम परियोजना प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र में आ गई और आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 के तहत घोषित पोलावरम सिंचाई राष्ट्रीय परियोजना का हिस्सा बन गई। तब से लिंक नहर में जल संपर्क स्थापित हो चुका है।

इसके अलावा, एनपीपी के अंतर्गत पांच परियोजनाओं को प्राथमिकता वाली परियोजनाओं के रूप में नामित किया गया है, जो इस प्रकार हैं:

गोदावरी-कावेरी लिंक परियोजना, जिसमें तीन उप-लिंक शामिल हैं:

 

प्राथमिकता वाली लिंक परियोजना की स्थिति:

केन-बेतवा लिंक परियोजना (केबीएलपी):

केन-बेतवा लिंक परियोजना राष्‍ट्रीय परिप्रेक्ष्‍य योजना के अंतर्गत एकमात्र प्राथमिकता वाली परियोजना है जो कार्यान्वयन चरण में प्रवेश कर चुकी है। इस परियोजना की अनुमानित लागत 44,605 ​​करोड़ रूपए है, जिसमें से 39,317 करोड़ रूपए की केंद्रीय सहायता केन-बेतवा लिंक परियोजना प्राधिकरण (केबीएलपीए) नामक एक स्‍पेशल पर्पस वेहिकल के माध्यम से प्रदान की जा रही है। प्रारंभिक गतिविधियों में भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन (आर एंड आर) तथा पर्यावरण प्रबंधन योजना (ईएमपी) का कार्यान्वयन शामिल है। परियोजना को वर्ष 2030 तक पूरा करने का लक्ष्य है और इसके मुख्य घटक, दौधन बांध पर कार्य का ठेका पहले ही दिया जा चुका है।

 

संशोधित पारबती-कालीसिंध-चंबल (संशोधित पीकेसी) लिंक परियोजना:

चंबल नदी प्रणाली के इष्‍टतम उपयोग के लिए, ईआरसीपी को पीकेसी लिंक परियोजना के साथ एकीकृत करने हेतु अध्ययन किया गया, जिसके परिणामस्वरूप संशोधित पीकेसी लिंक परियोजना का निर्माण हुआ, जिसे बाद में नदियों को जोड़ने संबंधी विशेष समिति (एससीआईएलआर) द्वारा एनपीपी के तहत एक प्राथमिकता प्राप्‍त परियोजना घोषित किया गया।

जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार के साथ मध्य प्रदेश और राजस्थान द्वारा डीपीआर तैयार करने हेतु एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। कार्यान्वयन हेतु संबंधित राज्यों के माननीय मुख्यमंत्रियों और माननीय केंद्रीय जल शक्ति मंत्री द्वारा एक समझौता ज्ञापन (एमओए) पर हस्ताक्षर किए गए। राजस्थान घटक के डीपीआर को केंद्रीय जल आयोग (सीडब्‍ल्‍यूसी) द्वारा मूल्यांकन हेतु ई-पीएएमएस पोर्टल पर अपलोड कर दिया गया है।

 

 

गोदावरी-कावेरी लिंक परियोजना

इस लिंक परियोजना के अंतर्गत तीन लिंक परियोजनाओं के डीपीआर तैयार करने और भागीदार राज्यों के साथ निरंतर विचार-विमर्श के बाद, गोदावरी से लगभग 4189 एमसीएम पानी के स्थानांतरण का प्रस्ताव, साथ ही बेदती-वर्दा लिंक के माध्यम से कृष्णा बेसिन में जल आपूर्ति बढ़ाने के प्रस्ताव को मिलाकर एक अंतरिम व्यवस्था के रूप में तैयार किया गया। इस प्रस्ताव के कार्यान्वयन के लिए तकनीकी व्यवहार्यता रिपोर्ट (टीएफआर), मसौदा डीपीआर और समझौता ज्ञापन का मसौदा राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण (एनडब्ल्यूडीए) द्वारा तैयार किया गया है और संबंधित राज्यों को भेज दिया गया है।

 

 

व्यवहार्यता रिपोर्ट (एफआर) और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करते समय प्रत्येक नदी जोड परियोजना के लिए पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) किया जाता है। इस अध्ययन का उद्देश्य परियोजना के भौतिक, जैविक और सामाजिक-आर्थिक पर्यावरण पर संभावित सकारात्मक और प्रतिकूल प्रभावों का व्यवस्थित मूल्यांकन करना है, यह सुनिश्चित करते हुए कि पर्यावरणीय पहलुओं को योजना और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में शामिल किया जाए।

केन-बेतवा लिंक परियोजना (केबीएलपी) के संबंध में, पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) पूर्ण हो चुका है और पर्यावरण मंजूरी प्रदान कर दी गई है। केबीएलपी के लिए, पर्यावास की गुणवत्ता बढ़ाने, आस-पास के संरक्षित क्षेत्रों (पीए) को जोड़ते हुएं महत्वपूर्ण वाइल्‍ड लाइफ कॉरिडोर गलियारों को बनाए रखने और बाघ, गिद्ध और घड़ियाल जैसी प्रमुख प्रजातियों के समग्र संरक्षण और प्रबंधन को सुगम बनाने के लिए एक एकीकृत भूदृश्य प्रबंधन योजना (आईएलएमपी) तैयार की गई है। आईएलएमपी का उद्देश्य पन्ना बाघ अभ्यारण्य (पीटीआर) और इसके आसपास के पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में जैव विविधता संरक्षण को बढ़ावा देना भी है।

आईएलएमपी के व्यवस्थित और समयबद्ध कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए, मध्य प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक ग्रेटर पन्ना भूदृश्य परिषद (जीपीएलसी) का गठन किया गया है। दौधन बांध के निर्माण के लिए, मध्य प्रदेश सरकार द्वारा भूमि अर्जन पुनर्वासन और पनुर्व्‍यस्‍थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम, 2013 (आरएफसीटीएलएआर अधिनियम, 2013) के तहत भू‍मि अधिग्रहण किया जा रहा है। धारा 11 की अधिसूचना जारी होने के समय, परियोजना से लगभग 7193 परिवार प्रभावित होने का अनुमान था। मध्य प्रदेश सरकार ने एक विशेष पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन पैकेज को मंजूरी दी है।

 

पोलावरम सिंचाई परियोजना (पीआईपी) के संबंध में, जिसमें गोदावरी (पोलावरम) – कृष्णा (विजयवाड़ा) लिंक परियोजना भी शामिल है, आंध्र प्रदेश राज्य में कार्यान्वित की जा रही है और इसे भारत सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त हो रही है। पोलावरम सिंचाई परियोजना के लिए आंध्र प्रदेश राज्य को दी गई कुल केंद्रीय सहायता/वित्तीय सहायता अब तक 20,658 करोड़ रूपए है।

 

केन बेतवा लिंक परियोजना के संबंध में, 4469.41 करोड़ रुपए के बजटीय प्रावधान में से, पिछले तीन वित्त वर्षों में केबीएलपी की वास्तविक व्यय 3969.79 करोड़ रुपए रहा है।

 

नदियों को आपस में जोड़ने की परियोजनाओं के कार्यान्वयन में राज्यों का सहयोग सर्वोपरि है। राज्यों के बीच आम सहमति बनाना सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य है, जिसके कारण अंतर-राज्यीय मुद्दों, भूमि अधिग्रहण या वैधानिक स्वीकृतियों सहित आईएलआर परियोजनाओं के कार्यान्वयन में देरी होती है। राज्यों को जल आवंटन और आईएलआर के उनकी मौजूदा सिंचाई और बिजली आवश्यकताओं पर पड़ने वाले प्रभाव से संबंधित आशंकाएं हैं। कुछ परियोजनाओं का अंतर्राष्ट्रीय आयाम है और उन्हें पड़ोसी देशों के सहयोग की आवश्यकता है।

 

अंतरराज्यीय सहयोग आईएलआर कार्यक्रम का मूलभूत आधार है। समन्वित कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए, भारत सरकार संबंधित राज्यों के साथ परामर्शदात्री दृष्टिकोण अपनाते हुए, उनकी राय, चिंताओं और आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए, आम सहमति बनाने में सक्रिय रूप से लगी हुई है। एनडब्ल्यूडीए द्वारा तैयार की गई पीएफआर, एफआर और डीपीआर सभी अध्ययन रिपोर्टें – प्रतिक्रिया के लिए राज्य सरकारों के साथ साझा की जाती हैं, जिन्हें विधिवत रूप से शामिल किया जाता है।

राज्य एनडब्ल्यूडीए सोसायटी (माननीय जल शक्ति मंत्री की अध्यक्षता में), एनडब्ल्यूडीए का शासी निकाय (जल संसाधन सचिव की अध्यक्षता में), नदियों को आपस जोड़ने के लिए विशेष समिति (एससीआईएलआर) और नदियों को जोड़ने के लिए कार्य बल (टीएफआईएलआर) जैसे प्रमुख निर्णय लेने वाले मंचों में भी शामिल हैं। ये मंच, समर्पित परामर्श बैठकों के साथ, सक्रिय भागीदारी और राज्य-विशिष्ट मुद्दों के समाधान को सुगम बनाते हैं, जिससे लिंक परियोजनाओं का समय पर और सहयोगात्मक कार्यान्वयन संभव हो पाता है।

 

यह सूचना जल शक्ति राज्यमंत्री श्री राज भूषण चौधरी द्वारा राज्यसभा में लिखित प्रश्न के उत्तर में प्रदान की गई है।

***

एनडी

 

 

अनुलग्नक

एनपीपी के अंतर्गत नदियों को आपस में जोड़ने वाली परियोजनाओं का ब्यौरा और मौजूदा स्थिति

प्रायद्वीपीय घटक

क्र.सं.

नाम

लाभान्वित राज्‍य

स्थिति

1

महानदी (मणिभद्रा) – गोदावरी (दौलैस्वरम) लिंक

आंध्र प्रदेश (एपी) और ओडिशा

व्यवहार्यता रिपोर्ट पूर्ण

वैकल्पिक महानदी (बरमूल) – ऋषिकुल्या – गोदावरी (दौलैस्वरम) लिंक

आंध्र प्रदेश और ओडिशा

व्यवहार्यता रिपोर्ट पूर्ण

2

गोदावरी (पोलावरम)-कृष्णा (विजयवाड़ा) लिंक@

आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तेलंगाना

व्यवहार्यता रिपोर्ट पूर्ण

3

क.) गोदावरी (इंचमपल्ली) – कृष्णा (नागार्जुनसागर) लिंक

तेलंगाना

व्यवहार्यता रिपोर्ट पूर्ण

ख. वैकल्पिक गोदावरी (इंचमपल्ली)-कृष्णा (नागार्जुनसागर) लिंक *

तेलंगाना

डीपीआर पूर्ण

4

गोदावरी (इंचमपल्ली/एसएसएमपीपी) – कृष्णा (पुलिचिंताला) लिंक

तेलंगाना और आंध्र प्रदेश

डीपीआर पूर्ण

5

क.) कृष्णा (नागार्जुनसागर) – पेन्नार (सोमासिला) लिंक

आंध्र प्रदेश

व्यवहार्यता रिपोर्ट पूर्ण

ख.) वैकल्पिक कृष्णा (नागार्जुनसागर) – पेन्नार (सोमसिला) लिंक *

आंध्र प्रदेश

 

डीपीआर पूर्ण

6

कृष्णा (श्रीशैलम) – पेन्नार लिंक

आंध्र प्रदेश

डीपीआर पूर्ण

7

कृष्णा (अलमट्टी) – पेन्नार लिंक

कर्नाटक और आंध्र प्रदेश

डीपीआर पूर्ण

8

क.) पेन्नार (सोमसिला) – कावेरी (ग्रैंड एनीकट) लिंक

आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और पुद्दुचेरी

व्यवहार्यता रिपोर्ट पूर्ण

ख.) वैकल्पिक पेन्नार (सोमसिला) – कावेरी (ग्रैंड एनीकट) लिंक *

आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और पुद्दुचेरी

डीपीआर  पूर्ण

9

कावेरी (कट्टलाई) – वैगई – गुंडर लिंक

तमिलनाडु

डीपीआर पूर्ण

10

पार्बती-कालीसिंध – चंबल लिंक

 

मध्‍य प्रदेश (एमपी) और राजस्‍थान

व्यवहार्यता रिपोर्ट पूर्ण

ख.) संशोधित पार्बती-कालीसिंध-चंबल लिंक

मध्‍य प्रदेश और राजस्‍थान

कार्यान्वयन के लिए समझौता ज्ञापन

पर दोनों राज्यों द्वारा हस्ताक्षर किए गए हैं

11

दमनगंगा – पिंजल लिंक

महाराष्‍ट्र (केवल मुंबई को जल  की आपूर्ति)

डीपीआर  पूर्ण और प्राथ‍िमिकता प्राप्‍त लिंक की स्थिति से हटा दिया गया

12

पार-तापी-नर्मदा लिंक

गुजरात और महाराष्‍ट्र

डीपीआर  पूर्ण और प्राथ‍िमिकता प्राप्‍त लिंक की स्थिति से हटा दिया गया

13

केन-बेतवा लिंक

उत्तर प्रदेश (यूपी) और मध्य प्रदेश

डीपीआर  पूर्ण और परियोजना कार्यान्वयन के अधीन है

14

पंबा – अचनकोविल – वैप्पर लिंक

तमिलनाडु और केरल

व्यवहार्यता रिपोर्ट पूर्ण

15

बेदती – वरदा लिंक@@

कर्नाटक

डीपीआर  पूर्ण

16

नेत्रवती – हेमवती लिंक**

कर्नाटक

पूर्व व्यवहार्यता रिपोर्ट पूर्ण

 

* मणिभद्र और इंचमपल्ली बांधों पर लंबित सहमति के कारण गोदावरी नदी के अप्रयुक्त जल को डायवर्ट करने के लिए परियोजना के चरण-I, एक वैकल्पिक अध्ययन किया गया था और गोदावरी (इंचमपल्ली)-कृष्णा (नागार्जुन सागर)-पेन्नार (सोमसिला)-कावेरी (ग्रैंड एनीकट) लिंक परियोजनाओं (संयुक्‍त) जिसे गोदावरी-कावेरी लिंक के रूप में जाना जाता है, की डीपीआर पूरी कर ली गई थी। रिपोर्ट को आगे अपडेट करते हुए लिंक नहर को वेल्‍लर नदी की सहायक नदी मणिमुक्‍ता नदी पर समाप्‍त किया गया है जो कावेरी बेसिन के निकट स्थित है।

 

@@ बेदतीवरदा लिंक पीएफआर तैयार होने के बाद सीधे डीपीआर तैयार की गई, कोई एफआर तैयार नहीं की गई थी।

 

@ गोदावरी (पोलावरम) – कृष्णा (विजयवाड़ा) लिंक – यह परियोजना आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई है और पोलावरम परियोजना प्रधिकरण के अंतर्गत इसका क्रियान्‍वयन किया जा रहा है।

*** नेत्रावती – हेमावती लिंक: पीएफआर तैयार होने के बाद आगे के अध्ययन नहीं किए गए हैं क्योंकि कर्नाटक सरकार द्वारा येत्तिनाहोल परियोजना के कार्यान्वयन के बाद, नेत्रावती बेसिन में इस लिंक के माध्यम से मोड़ने के लिए कोई अतिरिक्त जल उपलब्ध नहीं है।

 

 

हिमालयी घटक

क्र.सं.

नाम

लाभान्वित राज्‍य/देश

स्थिति

1.

कोसीमेची लिंक**

बिहार और नेपाल

पीएफआर पूर्ण

2.

कोसीघाघरा लिंक

बिहार, यूपी और नेपाल

व्यवहार्यता रिपोर्ट पूर्ण

3.

गंडक गंगा लिंक

यूपी और नेपाल

व्यवहार्यता रिपोर्ट पूर्ण

4.

घाघरायमुना लिंक

यूपी और नेपाल

व्यवहार्यता रिपोर्ट पूर्ण

5.

सारदायमुना लिंक

यूपी और उत्तराखंड

व्यवहार्यता रिपोर्ट पूर्ण

6.

यमुनाराजस्थान लिंक

हरियाणा और राजस्थान

व्यवहार्यता रिपोर्ट पूर्ण

7.

राजस्थानसाबरमती लिंक

राजस्थान और गुजरात

व्यवहार्यता रिपोर्ट पूर्ण

8.

चुनारसोन बैराज लिंक

बिहार और उत्तर प्रदेश

व्यवहार्यता रिपोर्ट पूर्ण

9.

सोन बांध गंगा लिंक की दक्षिणी सहायक नदियाँ

बिहार और झारखंड

मसौदा एफआर पूर्ण

10.

मानससंकोशतीस्तागंगा (एमएसटीजी) लिंक

असम, पश्चिम बंगाल और बिहार

व्यवहार्यता रिपोर्ट पूर्ण

11.

जोगीघोपातीस्ताफरक्का लिंक (एमएसटीजी का विकल्प)

असम, पश्चिम बंगाल और बिहार

पीएफआर पूर्ण

(प्रस्‍ताव छोड़ दिया गया।)

12.

फरक्कासुंदरबन लिंक

पश्चिम बंगाल

व्यवहार्यता रिपोर्ट पूर्ण

13.

गंगा (फरक्का) – दामोदरसुवर्णरेखा लिंक

पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड

व्यवहार्यता रिपोर्ट पूर्ण

14.

सुवर्णरेखामहानदी लिंक

पश्चिम बंगाल और ओडिशा

व्यवहार्यता रिपोर्ट पूर्ण

 

 

30 लिंक परियोजनाओं में से 4 परियोजनाओं के लिए एफआर तैयार करना आवश्यक नहीं है:

 

** कोसी-मेची अंतरराज्यीय लिंक – पीएफआर तैयार किया गया था और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के कारण प्रस्ताव को छोड दिया गया था, बाद में, बिहार सरकार के अनुरोध पर, एनडब्ल्यूडीए ने कोसी-मेची अंतरराज्यीय लिंक परियोजना का कार्य आरंभ कर दिया है।

 

जोगीघोपा-तिस्ता-फरक्का लिंक – पीएफआर तैयार किया गया और प्रस्ताव छेाड़ दिया गया

 

बेदती-वर्दा लिंक – डीपीआर को इसके पीएफआर की तैयारी के तुरंत बाद तैयार किया गया था, कोई एफआर तैयार नहीं किया गया था।

 

  1. केन-बेतवा लिंक परियोजना (केबीएलपी)
  2. संशोधित पारबती-कालीसिंध-चंबल (पीकेसी) लिंक परियोजना

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