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दूरसंचार विभाग के डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (डीआईपी) पर साइबर धोखाधड़ी में दूरसंचार संसाधन दुरुपयोग रोकथाम से सम्बंधित जानकारी के लिए 1000 से अधिक बैंक, टीपीएपी और वित्तीय संस्थान शामिल हुए

दूरसंचार विभाग के डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (डीआईपी) पर साइबर धोखाधड़ी में दूरसंचार संसाधन दुरुपयोग रोकथाम से सम्बंधित जानकारी के लिए 1000 से अधिक बैंक, टीपीएपी और वित्तीय संस्थान शामिल हुए

दूरसंचार विभाग बताया कि वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक (एफआरआई) की महत्वपूर्ण उपलब्धियां भारतीय रिज़र्व बैंक और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के सक्रिय सहयोग से संभव हुई हैं और इसके परिणामस्वरूप बैंकों, वित्तीय संस्थानों और तृतीयपक्ष अनुप्रयोग प्रदाताओं (टीपीएपी) का डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (डीआईपी ) पर बड़े पैमाने पर पंजीकरण हुआ है । आज तक, 1000 से अधिक बैंक, टीपीएपी और भुगतान प्रणाली संचालक (पीएसओ) डीआईपी पर पंजीकृत हो चुके हैं और एफआरआई को सक्रिय रूप से अपनाना शुरू कर चुके हैं। दूरसंचार विभाग हितधारकों के साथ नियमित रूप से ज्ञान साझाकरण सत्र भी आयोजित कर रहा है ताकि एफआरआई के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके और इसके प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित किया जा सके। अब तक 16 सत्र आयोजित किए जा चुके हैं।

वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक (एफआरआई) की मदद से , 22 मई, 2025 को इसके लॉन्च होने के बाद से महज 6 महीनों में 660 करोड़ रुपये के साइबर धोखाधड़ी के नुकसान होने से रोका गया है। विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, निजी क्षेत्र के बैंकों, सहकारी बैंकों, टीपीएपी और अन्य वित्तीय संस्थानों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, बैंकिंग विभाग के डीआईपी पर उपलब्ध एफआरआई का उपयोग करके बड़ी संख्या में संदिग्ध लेनदेन को या तो अस्वीकार कर दिया गया है या चेतावनी जारी की गई है। इससे बैंकिंग प्रणाली में लगभग 660 करोड़ रुपये के संभावित वित्तीय नुकसान को रोकने में मदद मिली है।

हाल के वर्षों में भारत में साइबर अपराध का परिदृश्य नाटकीय बदलाव आया है। साइबर अपराध करने के लिए जालसाज सुसंगठित डिजिटल गिरोहों की तरह काम कर रहे हैं। डिजिटल गिरफ्तारी घोटालों से लेकर कानूनी दूरसंचार मार्गों को दरकिनार करते हुए परिष्कृत सिमबॉक्स नेटवर्क तक, खतरा पहले से कहीं अधिक तेजी से बढ़ रहा है। फिर भी, इस जटिलता के बीच, जन भागीदारी साइबर अपराध से निपटने के लिए सबसे निर्णायक शक्ति के रूप में उभरी है। नागरिक, संचार साथी के माध्यम से भारत का सबसे शक्तिशाली क्राउडसोर्स्ड साइबरइंटेलिजेंस टूल बनकर उभरा है, इससे वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक के लिए निरंतर इनपुट प्रदान करने में सहयोग मिल रहा हैं।

दूरसंचार विभाग उन सभी जागरूक नागरिकों और साइबर योद्धाओं के प्रयासों को महत्व देता है और उनकी सराहना भी करता है जो संदिग्ध धोखाधड़ी वाले संचार, अपने नाम पर प्राप्त फर्जी कनेक्शन और खोए/चोरी हुए मोबाइल हैंडसेट की रिपोर्ट करने के लिए संचार साथी प्लेटफॉर्म www.sancharsaathi.gov.in  का सक्रिय रूप से उपयोग कर रहे हैं। यह प्लेटफॉर्म एंड्रॉइड और आईओएस दोनों पर मोबाइल ऐप के माध्यम से उपलब्ध है । संचार साथी मोबाइल ऐप के डाउनलोड और उपयोग में हालिया रुझान प्लेटफॉर्म पर नागरिकों के भरोसे और साइबर धोखाधड़ी को रोकने में उनकी सक्रिय भूमिका को दर्शाता है। नागरिकों की यह व्यापक भागीदारी धोखेबाजों द्वारा दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग को कम करने और एक सुरक्षित और अधिक मजबूत डिजिटल इको-सिस्टम बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।

जागरूक उपयोगकर्ता पहले से ही कई धोखाधड़ी वाली कॉलों को पहचान लेते हैं और उन्हें अनदेखा कर देते हैं या काट देते हैं, इससे वे सुरक्षित तो रहते हैं लेकिन इससे धोखेबाज कम जानकारी वाले नागरिकों को निशाना बनाने से नहीं रुकते। कॉल लॉग से कुछ ही टैप में ऐसी संदिग्ध धोखाधड़ी वाली कॉलों की रिपोर्ट करना आसान बनाकर, संचार साथी उन लोगों को सक्षम बनाता है जो जोखिम को समझते हैं, ताकि वे उन लोगों की सक्रिय रूप से रक्षा कर सकें जो नहीं समझते। इससे अधिकारियों और दूरसंचार ऑपरेटरों को धोखाधड़ी के पैटर्न पहचानने, धोखाधड़ी करने वाले नंबरों को ब्लॉक करने, फर्जी कनेक्शनों को निष्क्रिय करने और बारबार अपराध करने वालों को रोकने में मदद मिलती है।

दूरसंचार विभाग सभी नागरिकों से नागरिक केंद्रित सेवाओं का लाभ उठाने के लिए संचार साथी वेब पोर्टल और मोबाइल ऐप का उपयोग करने का आग्रह करता है। दूरसंचार विभाग अंतरएजेंसी सहयोग, सक्रिय धोखाधड़ी रोकथाम और खुफिया जानकारी पर आधारित नीतिगत हस्तक्षेपों के माध्यम से एक सुरक्षित डिजिटल भुगतान प्रणाली को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराता है। भारत की तेजी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था की सुरक्षा के लिए आरबीआई, एनपीसीआई, एसईबीआई, पीएफआरडीए, सभी बैंकों, वित्तीय संस्थानों, भुगतान ऑपरेटरों और जन भागीदारी का निरंतर सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है।

संचार साथी पहल के बारे में

संचार साथी दूरसंचार विभाग की नागरिक केंद्रित पहल है। इसका उद्देश्य मोबाइल ग्राहकों को सशक्त बनाना, उनकी सुरक्षा को मजबूत करना और सरकार की नागरिक केंद्रित पहलों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। संचार साथी मोबाइल ऐप और वेब पोर्टल www.sancharsaathi.gov.in  के रूप में उपलब्ध है। संचार साथी विभिन्न नागरिक केंद्रित सेवाएं प्रदान करता है।

संचार साथी पहल की प्रमुख विशेषताएं:

संचार साथी मोबाइल ऐप को यहां से डाउनलोड किया जा सकता है: एंड्रॉइड: https://play.google.com/store/apps/details?id=com.dot.app.sancharsaathi

आईओएस: https://apps.apple.com/app/sanchar-saathi/id6739700695

वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक (एफआरआई) के बारे में

एफआरआई एक जोखिमआधारित मापदंड है। यह संदिग्ध मोबाइल नंबर को वित्तीय धोखाधड़ी के मध्यम, उच्च या अत्यंत उच्च जोखिम से संबंधित के रूप में वर्गीकृत करता है। यह वर्गीकरण विभिन्न हितधारकों से प्राप्त सूचनाओं का परिणाम है और इसमें भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (चौदह सी) के राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी), दूरसंचार विभाग के चक्षु प्लेटफॉर्म, बैंकों और वित्तीय संस्थानों, टीएसपी आदि द्वारा साझा की गई खुफिया जानकारी शामिल है। यह हितधारकों विशेष रूप से बैंकों, एनबीसीएफसी और यूपीआई सेवा प्रदाताओं को एफआरआई के अंतर्गत आने वाले मोबाइल नंबर की स्थिति में अतिरिक्त ग्राहक सुरक्षा उपाय करने में सक्षम बनाता है।

डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (डीआईपी) के बारे में

दूरसंचार विभाग द्वारा विकसित डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (डीआईपी) दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग से सम्बंधित जानकारी को विभिन्न हितधारकों के बीच साझा करने के लिए एक सुरक्षित ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है। इसमें केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों, 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस, चौदह सी, जीएसटीएन, बैंक, वित्तीय संस्थान, टीएसपी, व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, सीबीडीटी, यूआईडीएआई, एमओआरटीएच, पीएफएमएस आदि सहित लगभग 1050 से अधिक संगठन शामिल हैं।

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