Current Affairs

डॉ. मांडविया ने ईपीएफओ स्थापना दिवस पर नागरिक-केंद्रित, प्रौद्योगिकी-संचालित सामाजिक सुरक्षा प्रणाली की आवश्‍यकता बताई

डॉ. मांडविया ने ईपीएफओ स्थापना दिवस पर नागरिक-केंद्रित, प्रौद्योगिकी-संचालित सामाजिक सुरक्षा प्रणाली की आवश्‍यकता बताई

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने आज नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में अपना 73वां स्थापना दिवस मनाया। इस कार्यक्रम में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार तथा युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस अवसर पर श्रम एवं रोजगार सचिव सुश्री वंदना गुरनानी, केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त (सीपीएफसी) श्री रमेश कृष्णमूर्ति, केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) के सदस्य, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के वरिष्‍ठ अधिकारी, ईपीएफओ अधिकारी और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

डॉ. मनसुख मांडविया ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए देश के कार्यबल की सामाजिक और वित्तीय कल्‍याण सुनिश्चित करने में ईपीएफओ की ऐतिहासिक भूमिका की सराहना की। उन्होंने संगठन से आग्रह किया कि वह नए उद्देश्य और दूरदर्शिता के साथ “नागरिक-केंद्रित सेवा वितरण में एक नया अध्याय लिखे।”

केंद्रीय मंत्री ने कहा, “ईपीएफओ केवल एक कोष नहीं है—यह सामाजिक सुरक्षा में देश के कार्यबल के भरोसे का प्रतिनिधित्व करता है। इस स्थापना दिवस के अवसर पर, यह सभी अधिकारियों को नई प्रेरणा और ऊर्जा प्रदान करेगा, और आने वाले वर्षों के लिए एक विज़न तैयार करने के लिए प्रेरित करेगा। यह विज़न ईपीएफओ की संकल्प से सिद्धि की यात्रा का मार्गदर्शन करेगा।”

डॉ. मांडविया ने ज़ोर देकर कहा कि दक्षता, पारदर्शिता और सहानुभूति ईपीएफओ के परिवर्तन की प्रेरक शक्तियां बनी रहनी चाहिए। उन्होंने कहा, “हर सुधार स्पष्ट और सरल शब्दों में कर्मचारियों तक पहुंचना चाहिए ताकि बदलाव का असर उनके जीवन में सीधे महसूस हो।” अधिकारियों से व्यावसायिक दक्षता और करुणा के माध्यम से विश्वास बनाए रखने का आह्वान करते हुए, उन्होंने कहा, “ईपीएफओ को सेवा वितरण में निष्पक्षता, गति और संवेदनशीलता सुनिश्चित करके नागरिकों का विश्वास मज़बूत करना जारी रखना चाहिए। आइए, हम विकसित भारत 2047 की ओर बढ़ते हुए सामाजिक सुरक्षा में वैश्विक मानक स्थापित करें।”

आज EPFO के 73वें स्थापना दिवस कार्यक्रम में सम्मिलित हुआ।

प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के नेतृत्व में EPFO ने देश में सामाजिक सुरक्षा का दायरा अभूतपूर्व रूप से बढ़ाया है।

मैंने कहा कि सदस्यों की संतुष्टि ही EPFO की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।#73YearsOfEPFO pic.twitter.com/oO1XGiI04m

अपने संबोधन में, सचिव (श्रम एवं रोजगार) सुश्री वंदना गुरनानी ने ईपीएफओ के एक अनुपालन-आधारित निकाय से एक नागरिक-केंद्रित संस्था के रूप में विकसित होने की सराहना की। उन्होंने कहा, “हर फ़ाइल के पीछे एक समर्पित कर्मचारी, एक परिवार और एक सपना छिपा होता है। प्रत्येक कर्मचारी के साथ पूर्ण सम्मान और गरिमा के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए, क्योंकि सामाजिक सुरक्षा केवल व्यवस्थाओं से संबंधित नहीं है, बल्कि लोगों से संबंधित है।”

उन्‍होंने प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना (पीएमवीबीआरवाई) के क्रियान्वयन में ईपीएफओ की केंद्रीय भूमिका को सराहा जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 15 अगस्त 2025 को की थी। उन्होंने कहा, “इस दूरदर्शी कार्यक्रम का उद्देश्य 3.5 करोड़ नए रोजगारों को प्रोत्साहित करना और सभी क्षेत्रों में औपचारिक रोजगार का विस्तार करना है। इस पहल में ईपीएफओ का नेतृत्व, इसकी संस्थागत शक्ति में सरकार के विश्वास को दर्शाता है।” उन्होंने यह भी कहा कि ईपीएफओ को सामाजिक सुरक्षा से राष्ट्रीय समृद्धि की ओर अपनी यात्रा जारी रखनी चाहिए और “एक आत्मविश्वासी, संवेदनशील और विकासशील भारत का एक मज़बूत स्तंभ” बनना चाहिए।

केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त श्री रमेश कृष्णमूर्ति ने दक्षता, पारदर्शिता और सुधार के प्रति ईपीएफओ की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने कहा, “केंद्रीकृत पेंशन भुगतान प्रणाली, आधार और चेहरा प्रमाणीकरण, और संशोधित ईसीआर प्रणाली जैसी पहलों के माध्यम से ईपीएफओ ने निर्बाध और तकनीक-संचालित सेवा वितरण की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है।”

श्री कृष्णमूर्ति ने बताया कि आगामी ईपीएफओ 3.0 प्लेटफॉर्म कार्यकुशलता और सुगमता को और बेहतर बनाएगा। साथ ही सरलीकृत निकासी श्रेणियों और विश्वास योजना जैसी नई पहलों ने नियोक्ताओं के लिए अनुपालन को आसान बनाया है। उन्होंने यह भी कहा, “हमारा ध्यान विश्वास को मज़बूत करने, ईपीएफओ सदस्‍यता का विस्तार करने और यह सुनिश्चित करने पर है कि प्रत्येक कर्मचारी ईपीएफओ को प्रगति में एक भागीदार के रूप में अनुभव करे।”

इस अवसर पर, डॉ. मांडविया ने कर्मचारी नामांकन योजना 2025 का शुभारम्‍भ किया, जिसका उद्देश्य नियोक्ताओं को पात्र कर्मचारियों की स्वेच्छा से घोषणा और नामांकन के लिए प्रोत्साहित करना है। 1 नवंबर 2025 से लागू होने वाली इस योजना के तहत, यदि पहले कटौती नहीं की गई है, तो नियोक्ताओं को कर्मचारी के हिस्से का अंशदान वापस करने की आवश्यकता नहीं होगी, और केवल 100 रूपये का नाममात्र दंडात्मक हर्जाना लागू होगा। इस योजना का उद्देश्य कार्यबल के औपचारिकीकरण और व्यवसाय करने में आसानी को बढ़ावा देना है।

डॉ. मांडविया ने कार्यक्रम के दौरान, ईपीएफओ की यात्रा और उपलब्धियों पर आधारित एक कॉफी टेबल बुक “स्टेट प्रोफाइल 2025” और “रीइमेजिनिंग गवर्नेंस” का भी विमोचन किया। इस अवसर पर एक विशेष डाक कवर का भी अनावरण किया गया।

ईपीएफओ ने डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र जमा करने के लिए इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आईपीपीबी) और डेटा साझा करने के लिए गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) के साथ समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान किया। उत्कृष्ट प्रदर्शन और नवाचार के लिए क्षेत्रीय, जोनल और जिला कार्यालयों को भविष्य निधि पुरस्कार 2025 प्रदान किए गए।

इस समारोह में ईपीएफओ अधिकारियों, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अधिकारियों, बहुपक्षीय संस्थानों, बैंकों और मीडिया के प्रतिनिधियों सहित 700 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस समारोह का समापन ईपीएफओ के सरलीकृत, पारदर्शी और प्रौद्योगिकी-सक्षम सामाजिक सुरक्षा सेवाएं प्रदान करने के मिशन की पुनः पुष्टि के साथ हुआ, जो 2047 तक भारत के विकसित भारत के विज़न में योगदान देगा।

Visitor Counter : 278