डॉ. जितेंद्र सिंह ने पंचकुला में विज्ञान महोत्सव का उद्घाटन करते हुए कहा कि आईआईएसएफ उत्सव, संचार एवं करियर पर आधारित है
डॉ. जितेंद्र सिंह ने पंचकुला में विज्ञान महोत्सव का उद्घाटन करते हुए कहा कि आईआईएसएफ उत्सव, संचार एवं करियर पर आधारित है
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज हरियाणा के पंचकूला में भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएस) का उद्घाटन किया। उन्होंने इसे तीन “सी”, उत्सव, संचार और करियर, के इर्द-गिर्द परिभाषित किया। उन्होंने इस कहा कि भारत की वैज्ञानिक प्रगति प्रयोगशालाओं से आगे बढ़ना चाहिए और नागरिकों, छात्रों एवं युवा पेशेवरों को सार्थक रूप से इसमें शामिल होना चाहिए। इस महोत्सव का 11वां संस्करण 06 से 09 दिसंबर तक आयोजित किया जा रहा है।
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव को एक सामान्य अकादमिक सभा के रूप में नहीं, बल्कि एक खुले, जन-केंद्रित मंच के रूप में स्वीकार किया गया है जो विज्ञान को लोगों के समीप लाता है। उन्होंने कहा कि यह महोत्सव वैज्ञानिकों एवं वैज्ञानिक अनुसंधान के लक्षित लाभार्थियों के बीच वार्तालाप को प्रोत्साहित करता है, जो विज्ञान मंत्रालयों एवं विभागों के बीच अधिक समन्वय एवं एकता पर सरकार के दृष्टिकोण को दर्शाता है।
मंत्री ने तीन ‘सी‘ पर विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि आईआईएसएफ भारत की वैज्ञानिक यात्रा एवं विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धियों का उत्सव है, शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थानों के बाहर वैज्ञानिक ज्ञान को फैलाता है और युवा प्रतिभागियों के लिए एक करियर खोज मंच के रूप में कार्य करता है। उन्होंने कहा कि छात्र, शोधकर्ता और पहली बार सीखने वाले छात्रों को महोत्सव के दौरान आयोजित सत्रों के साथ-साथ अनौपचारिक नेटवर्किंग के माध्यम से अनुसंधान, स्टार्टअप और उद्योग में उभरते अवसरों की जानकारी प्राप्त करने का अवसर मिलता है।
विकसित भारत 2047 के व्यापक राष्ट्रीय दृष्टिकोण में आईआईएसएफ को शामिल करने के संदर्भ में, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आर्थिक विकास और सामाजिक परिवर्तन की नींव हैं। उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में भारत ने विज्ञान के लिए एक मिशन-आधारित दृष्टिकोण अपनाया है, जिसमें सुधारों, अवसंरचना में निवेश को बढ़ावा देने एवं प्रतिभा विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक प्रगति अब सीधे प्रशासन एवं सार्वजनिक सेवा का समर्थन करती है, जिसमें बेहतर मौसम पूर्वानुमान और चेतावनी प्रणाली से लेकर ध्रुवीय अनुसंधान और डिजिटल तकनीक भी शामिल हैं।
आईआईएसएफ 2025 का विषय “विज्ञान से समृद्धि: आत्मनिर्भर भारत की ओर” का उल्लेख करते हुए, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विज्ञान में आत्मनिर्भरता धीरे-धीरे आकार ले रही है। उन्होंने स्वदेशी स्तर पर प्रमुख वैज्ञानिक परिसंपत्तियों के निर्माण की पहलों पर प्रकाश डाला, जिनमें एक बहुउद्देशीय, सभी मौसमों में काम करने वाला अनुसंधान पोत, जिसके 2028 में चालू होने की संभावना है, और देश का वर्तमान में चल रहा मानव पनडुब्बी कार्यक्रम शामिल है। उन्होंने आगे कहा कि भारतीय संस्थान जलवायु डेटा और मॉडल भी प्रदान कर रहे हैं जिनका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपयोग किया जाता है।
डा. जितेन्द्र सिंह ने नवाचार, अनुसंधान उत्पादन एवं उद्यमिता में भारत की बेहतर वैश्विक स्थिति को रेखांकित किया, जिसमें उन्होंने स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र की वृद्धि, देश के लोगों द्वारा पेटेंट दायर करने में वृद्धि तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के उभरते क्षेत्रों में मान्यता का उल्लेख किया। उन्होंने चंद्रयान-3 मिशन, कोविड-19 महामारी के दौरान स्वदेशी वैक्सीन विकास एवं जैव प्रौद्योगिकी में प्रगति जैसी उपलब्धियों का उल्लेख अनुसंधान के ठोस परिणाम देने वाले उदाहरणों के रूप में किया।
युवाओं तक पहुंच बढ़ाने पर बल देते हुए, मंत्री ने कहा कि आईआईएसएफ की गतिविधियों का एक बड़ा हिस्सा स्कूली बच्चों, कॉलेज के छात्रों और युवा शोधकर्ताओं के लिए डिज़ाइन किया गया है। उन्होंने विज्ञान से जुड़े करियर के बारे में लोगों की समझ को व्यापक बनाने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि आज अवसर सरकारी रोज़गार से कहीं आगे बढ़कर स्टार्टअप, उद्योग-आधारित अनुसंधान और अनुप्रयुक्त नवाचार तक फैले हुए हैं। उन्होंगे कहा कि क्वांटम तकनीक, जैव प्रौद्योगिकी, नीली अर्थव्यवस्था और गहन तकनीकी उद्यमिता जैसे क्षेत्रों पर सत्र इस वर्ष के कार्यक्रम का हिस्सा हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने सार्वजनिक अनुसंधान संस्थानों एवं निजी उद्योग के बीच मज़बूत सहयोग के महत्व पर भी बल दिया और कहा कि जब नीतिगत समर्थन, वित्त पोषण और उद्यम मिलकर काम करते हैं, तो नवाचार फलता-फूलता है। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष, स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी और उन्नत विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में निजी भागीदारी को और अधिक बढ़ाने की अनुमति देने वाले हालिया नीतिगत उपायों का उद्देश्य एक अधिक सक्षम नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है।
उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान, मंत्री ने विज्ञान-प्रौद्योगिकी-रक्षा-अंतरिक्ष प्रदर्शनी और “विज्ञान पर एक क्षेत्र” प्रदर्शनी का उद्घाटन किया, जो इंटरैक्टिव डिस्प्ले के माध्यम से वैज्ञानिक क्षमताओं और चल रहे अनुसंधान को प्रदर्शित करती है। उन्होंने अंटार्कटिका में भारत के अनुसंधान केंद्र, भारती के शोधकर्ताओं के साथ लाइव इंटरफ़ेस के माध्यम से बातचीत भी की और चरम ध्रुवीय परिस्थितियों में किए जा रहे वैज्ञानिक कार्यों की समीक्षा की, जिसमें भारत के बढ़ते ध्रुवीय अनुसंधान प्रयासों और स्वदेशी क्षमताओं पर प्रकाश डाला गया।
अगले चार दिनों में आयोजित होने वाले प्रदर्शनियों, व्याख्यानों और संवादात्मतक सत्रों के साथ, भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव का उद्देश्य विज्ञान के साथ जनता की सहभागिता को गहरा करना है, साथ ही अनुसंधान, नवाचार एवं मानव संसाधन विकास में दीर्घकालिक राष्ट्रीय उद्देश्यों में योगदान देना है।



