जेजेएम उन्नत क्षेत्रीय निगरानी एवं तृतीय-पक्ष जांच
जेजेएम उन्नत क्षेत्रीय निगरानी एवं तृतीय-पक्ष जांच
भारत सरकार अगस्त 2019 से देश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार के लिए नल जल कनेक्शन का प्रावधान करने के लिए राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों की भागीदारी से जल जीवन मिशन (जेजेएम) – हर घर जल का कार्यान्वयन कर रही है। ‘पेयजल‘ राज्य का विषय है और इसलिए, जेजेएम के तहत आने वाली योजनाओं सहित पेयजल आपूर्ति योजनाओं की आयोजना, अनुमोदन, कार्यान्वयन, संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकारों की है। भारत सरकार तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करके राज्यों का सहायता करती है।
जेजेएम की आयोजना और प्रभावी कार्यान्वयन में राज्यों की सहायता करने के लिए, जेजेएम के तहत बनाए गए बुनियादी ढांचे की योजना, निष्पादन, गुणवत्ता आश्वासन, निगरानी और स्थिरता के सभी पहलुओं को कवर करते हुए विस्तृत कार्यसंबंधी दिशानिर्देश राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के साथ साझा किए गए हैं। इसके अलावा, भारत सरकार मिशन के शीघ्र कार्यान्वयन के लिए कार्यान्वयन और निगरानी को सुदृढ़ बनाने हेतु क्षेत्रों का उल्लेख करने के लिए समीक्षा बैठकों तथा बहु–विषयक टीमों के दौरों के माध्यम से संबंधित राज्य सरकारों के साथ नियमित रूप से कार्यान्वयन की समीक्षा कर रही है। जेजेएम के तहत, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाता है। जेजेएम–एकीकृत प्रबंधन सूचना प्रणाली (आईएमआईएस) पर वास्तविक और वित्तीय प्रगति की सूचना दी जाती है तथा प्रदान किए गए सभी नल जल कनेक्शनों को परिवार के मुखिया के आधार नंबर से जोड़ा जाना होता है। जेजेएम के तहत सृजित परिसंपत्तियों की जियो–टैगिंग के लिए भी प्रावधान किए गए हैं।
जेजेएम के कार्यान्वयन के लिए कार्यसंबंधी दिशानिर्देशों के तहत कार्य की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए, भुगतान से पहले तीसरे पक्ष का निरीक्षण और प्रमाणन अनिवार्य है। इस प्रयोजन के लिए, राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को एजेंसियों द्वारा निष्पादित कार्य की गुणवत्ता, निर्माण के लिए उपयोग की गई सामग्री की गुणवत्ता और प्रत्येक योजना में संस्थापित मशीनरी की गुणवत्ता की जांच करने के लिए तीसरे पक्ष की निरीक्षण एजेंसियों (टीपीआईए) को सूचीबद्ध करने का अधिकार प्रदान किया गया हैं।
जेजेएम के तहत निगरानी तंत्र को और सुदृढ़ बनाने और सुधारात्मक कार्रवाई करने के साथ–साथ समय पर अनियमितताओं का पता लगाने के लिए भारत सरकार द्वारा कई पहल भी की गई हैं, जिनमें अन्य बातों के साथ–साथ निम्नलिखित शामिल हैं:
अप्रैल 2025 से, राज्य क्षेत्र–स्तरीय निगरानी को सुदृढ़ बनाने के लिए पेयजल एवं स्वच्छता विभाग (डीडीडब्ल्यूएस) द्वारा अनिर्धारित रूप से सौंपी गई चार योजनाओं का मासिक निरीक्षण कर रहे हैं। राज्य स्तरीय टीमें निर्माण की गुणवत्ता, समय–सीमा के अनुपालन, सेवाओं की उपलब्धता, समस्याओं के समाधान आदि का मूल्यांकन करने के लिए निरीक्षण करती हैं।
राष्ट्रीय वॉश विशेषज्ञों (एनडब्ल्यूई) के लिए प्रभावी पर्यवेक्षण सुनिश्चित करने के लिए टीपीआई हेतु संशोधित विचारार्थ विषयों (टीओआर) के साथ–साथ निष्पादन की गुणवत्ता पर जोर देने वाली एक संशोधित और व्यापक जांच-सूची के माध्यम से निगरानी ढांचे को सुदृढ़ करके जमीनी सत्यापन को बेहतर बनाया गया है।
सूचना प्रौद्योगिकी निगरानी संरचना का भी विस्तार किया गया है राज्य स्तरीय पहुंच के अलावा, जिला जल एवं स्वच्छता मिशन (डीडब्ल्यूएसएम) के अधिकारियों और ग्राम पंचायत स्तरीय पदाधिकारियों को आईएमआईएस में शामिल किया जा रहा है, ताकि विकेन्द्रीकृत निगरानी और जमीनी स्तर पर बेहतर निगरानी की जा सके।
समीक्षा बैठकों के दौरान नियमित आधार पर जेजेएम में सूचित की गई अनियमितताओं भले वे गुणवत्ता से संबंधित हो या वित्तीय के बारे में हो, राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को उनके प्रति संवेदनशील बनाया जा रहा है। राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को किसी भी वित्तीय, प्रक्रियात्मक या गुणवत्ता संबंधी उल्लंघनों के प्रति जीरो–टॉलरेंस दृष्टिकोण अपनाने की बार–बार सलाह दी गई है। सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को यह सुनिश्चित करने की सलाह भी दी गई है कि मिशन की पारदर्शिता और जवाबदेही बनाए रखने के लिए प्रत्येक शिकायत की विधिवत जांच की जाए, क्षेत्र सत्यापन तुरंत किया जाए और बिना किसी अपवाद के सभी आवश्यक अनुशासनात्मक, संविदात्मक तथा कानूनी कार्रवाई की जाए। 32 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा सूचित किए गए आंकड़ों के अनुसार, राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को विभिन्न स्रोतों जैसेकि मीडिया रिपोर्ट, स्वत: संज्ञान, जन प्रतिनिधियों, नागरिकों, शिकायत पोर्टल आदि से जल जीवन मिशन (जेजेएम) के तहत वित्तीय अनियमितताओं और कार्यों की खराब गुणवत्ता संबंधित कुल 17,036 शिकायतें प्राप्त हुई हैं। राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा दी गई सूचना के अनुसार, 621 विभागीय अधिकारियों, 969 ठेकेदारों और 153 तृतीय पक्ष निरीक्षण एजेंसियों (टीपीआईए) के विरुद्ध कार्रवाई की गई है।
यह सूचना जल शक्ति राज्यमंत्री श्री वी. सोमण्णा द्वारा राज्यसभा में लिखित प्रश्न के उत्तर में प्रदान की गई है।