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गुणवत्ता नियंत्रण आदेश

गुणवत्ता नियंत्रण आदेश

वस्त्र मंत्रालय नियमित रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका और विश्व के अन्य देशों को भारत के वस्त्र एवं परिधान (हस्तशिल्प सहित) के निर्यात पर नज़र बनाए हुए है और वस्त्र क्षेत्र की सभी श्रेणियों पर अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव का आकलन कर रहा है। अप्रैल-अक्टूबर 2025 के दौरान भारत का वस्त्र एवं परिधान निर्यात (हस्तशिल्प सहित) 20,401.95 मिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जो विगत वर्ष की इसी अवधि के निर्यात (20,728.05 मिलियन अमेरिकी डॉलर) की तुलना में 1.8 प्रतिशत की मामूली गिरावट को दर्शाता है। यह वैश्विक टैरिफ संबंधी और अन्य बाहरी चुनौतियों के बावजूद निर्यात प्रदर्शन में समग्र रूप से स्थिरता का संकेत देता है। अप्रैल-अक्टूबर 2025 की अवधि के दौरान सभी वस्त्र श्रेणियों में रेडीमेड गारमेंट्स (आरएमजी) और जूट निर्मित उत्पादों जिनमें फ्लोर कवरिंग भी शामिल हैं, के निर्यात में सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई। हालांकि, कपास और मानव निर्मित फाइबर (एमएमएफ) उत्पादों (जैसे कि यार्न, फैब्रिक और मेड-अप्स) के साथ-साथ कालीनों जैसे कुछ अन्य प्रमुख क्षेत्रों में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में मामूली गिरावट देखी गई। (स्रोत – त्वरित अनुमान, वाणिज्य विभाग)।

2. अप्रैल-अक्टूबर 2025 के दौरान 100 से अधिक देशों में भारत के निर्यात में विगत वर्ष की तुलना में सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई जिनमें संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन, जर्मनी, स्पेन, फ्रांस, इटली, चीन, सऊदी अरब, मिस्र और जापान जैसे प्रमुख बाजार शामिल हैं। यह भारतीय वस्त्र उद्योग की सामर्थ्य और विविधता लाने के प्रयासों को दर्शाता है। (स्रोत- डीजीसीआईएस )

3. सरकार देश में भारतीय वस्त्र एवं परिधान क्षेत्र को बढ़ावा देने और इसकी प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए विभिन्न योजनाओं/पहल को लागू कर रही है: –

(i) प्रमुख योजनाओं/पहलों में आधुनिक, एकीकृत, विश्व स्तरीय वस्त्र अवसंरचना के निर्माण के लिए प्रधानमंत्री मेगा एकीकृत वस्त्र क्षेत्र एवं परिधान (पीएम मित्रा) पार्क योजना, बड़े पैमाने पर विनिर्माण को बढ़ावा देने और प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने के लिए एमएमएफ कपड़े, एमएमएफ परिधान और तकनीकी वस्त्रों पर केंद्रित उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना, अनुसंधान, नवाचार और विकास, संवर्धन और बाजार विकास पर केंद्रित राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन, मांग-आधारित, रोजगारोन्मुखी, कौशल विकास कार्यक्रम प्रदान करने के उद्देश्य से वस्त्र क्षेत्र में क्षमता निर्माण के लिए समर्थ योजना, रेशम उत्पादन मूल्य श्रृंखला के व्यापक विकास के लिए सिल्क समग्र-2, हथकरघा क्षेत्र को पूर्ण समर्थन प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम शामिल हैं। वस्त्र मंत्रालय हस्तशिल्प को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय हस्तशिल्प विकास कार्यक्रम और व्यापक हस्तशिल्प क्लस्टर विकास योजना भी कार्यान्वित कर रहा है।

(ii) वस्त्र क्षेत्र में अनिवार्य गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ) के अंतर्गत आने वाले इनपुट के लिए अग्रिम अनुमोदन योजना के अंतर्गत निर्यात दायित्व (ईओ) अवधि को छह (6) महीने से बढ़ाकर अठारह (18) महीने कर दिया गया है।

(iii) सरकार ने उद्योग जगत की चुनौतियों का समाधान करने, व्यापार में सुगमता बढ़ाने और इस क्षेत्र में नए निवेश को प्रोत्साहित करने आदि के लिए एमएमएफ परिधान, एमएमएफ कपड़े और तकनीकी वस्त्रों के उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में महत्वपूर्ण संशोधन किए हैं। इन संशोधनों में पात्र उत्पादों का विस्तार, नई कंपनियों की स्थापना में छूट, निवेश की न्यूनतम सीमा में कमी और वृद्धिशील व्यवसाय मानदंड शामिल हैं। संशोधन का उद्देश्य प्रवेश संबंधी बाधाओं और वित्तीय सीमाओं को कम करना है जिससे कार्यान्वयन तेजी से संभव हो सके।

(iv) सरकार ने वस्त्र उद्योग के लिए इनपुट सामग्री लागत घटाने, पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने, निर्यात प्रतिस्पर्धा में सुधार करने और समग्र उद्योग दक्षता बढ़ाने के लिए एचएस 5201 के तहत कपास पर आयात शुल्क में 31.12.2025 तक छूट दी है।

(v) सरकार ने संरचनात्मक विसंगतियों को दूर करने, लागत घटाने, मांग में वृद्धि, निर्यात को समर्थन देने और रोजगार बनाए रखने के लिए वस्त्र मूल्य श्रृंखला में जीएसटी दर को युक्तिसंगत बनाया है।

(vi) सरकार परिधान/वस्त्र और तैयार कपड़ों के लिए राज्य और केंद्रीय करों और लेवी की छूट (आरओएससीटीएल) और अन्य वस्त्र उत्पादों के लिए निर्यातित उत्पादों पर शुल्क और करों की छूट (आरओडीटीईपी) की दो योजनाएं भी चला रही है।

(vii) भारत ने 15 मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) पर हस्ताक्षर किए हैं जिनमें भारत-यूके व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (सीईटीए) भी शामिल है जिस पर 24 जुलाई 2025 को हस्ताक्षर किए गए थे। इन एफटीए का उद्देश्य भारतीय निर्यातकों को साझेदार बाजारों में अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए शुल्क और गैर-शुल्क बाधाओं को कम करना, प्रक्रियाओं को सरल बनाना और संरचनात्मक मुद्दों पर ध्यान देना है।

(viii) इसके अतिरिक्त, मंत्रालय ने भारतीय वस्त्र निर्यात के उद्देश्य से उच्च क्षमता वाले वैश्विक गंतव्यों की पहचान करते हुए 40 देशों के लिए संबंधित व्यापक और विविधतापूर्ण बाजार रणनीति तैयार की है। निर्यात संवर्धन परिषदों (ईपीसी), उद्योग प्रतिनिधिमंडलों और विदेशों में भारतीय दूतावासों के समन्वित प्रयासों के सहयोग से इन बाजारों में व्यवस्थित और लक्षित पहुंच का उद्देश्य बाजार पर नियंत्रण के जोखिमों को कम करना, भारत की निर्यात हिस्सेदारी को बढ़ाना और भारतीय वस्त्र उद्योग के लिए अधिक मजबूत और टिकाऊ वैश्विक उपस्थिति स्थापित करना है।

(ix) सरकार ने निर्यात संवर्धन मिशन (ईपीएम) को स्वीकृति दे दी है जो वाणिज्य विभाग, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और वित्तीय संस्थानों, निर्यात संवर्धन परिषदों, कमोडिटी बोर्डों, उद्योग संघों और राज्य सरकारों सहित अन्य प्रमुख हितधारकों को शामिल करने वाले सहयोगात्मक ढांचे पर आधारित है।

यह मिशन दो एकीकृत उप-योजनाओं के माध्यम से संचालित होगा:

(i) निर्यात प्रोत्साहन ब्याज अनुदान, निर्यात फैक्टरिंग, संपार्श्विक गारंटी, ई-कॉमर्स निर्यातकों के लिए क्रेडिट कार्ड और नए बाजारों में विविधता के लिए क्रेडिट संवर्धन समर्थन जैसे विभिन्न साधनों के माध्यम से एमएसएमई के लिए सस्ते व्यापार वित्त तक पहुंच में सुधार पर ध्यान केंद्रित करता है।

(ii) निर्यात दिशा गैर-वित्तीय सहायक कारकों पर ध्यान केंद्रित करता है जो बाजार की तैयारी और प्रतिस्पर्धा की स्थिति को बढ़ाते हैं जिनमें निर्यात गुणवत्ता और अनुपालन सहायता, अंतरराष्ट्रीय ब्रांडिंग, पैकेजिंग और व्यापार मेलों में भागीदारी, निर्यात भंडारण और रसद, अंतर्देशीय परिवहन प्रतिपूर्ति तथा व्यापार आसूचना और क्षमता निर्माण पहल शामिल हैं।

(x) सरकार ने निर्यातकों के लिए ऋण गारंटी योजना (सीजीएसई) को स्वीकृति दी है जिसके अंतर्गत राष्ट्रीय ऋण गारंटी न्यासी कंपनी लिमिटेड (एनसीजीटीसी) की ओर से ऋण देने वाली सदस्य संस्थाओं (एमएलआई) को पात्र निर्यातकों जिनमें सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) भी शामिल हैं, को 20,000 करोड़ रुपये तक की अतिरिक्त ऋण सुविधाएं प्रदान करने के लिए 100 प्रतिशत ऋण गारंटी कवरेज प्रदान की जाएगी। इस योजना का उद्देश्य भारतीय निर्यातकों की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना और नए एवं उभरते बाजारों में विविधता को बढ़ावा देना है।

महत्वपूर्ण एमएमएफ कच्चे माल पर से गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों (क्यूसीओ) को हटाना घरेलू कीमतों में स्थिरता लाने और एमएमएफ क्षेत्र के प्रमुख कच्चे माल की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सरकार की ओर से उठाए गए प्रत्यक्ष सहायक उपायों में से एक है। इसके अतिरिक्त, परिचालन दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से एमएमएफ मूल्य श्रृंखला में वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) की संरचना को युक्तिसंगत बनाया गया है ताकि एमएमएफ फाइबर और यार्न पर जीएसटी की दर कम होकर 5 प्रतिशत तक आ सके। इसके परिणामस्वरूप एमएमएफ उत्पादों की कुल लागत कम हो गई है। पीएलआई में हाल की पहलों का उद्देश्य प्रवेश बाधाओं और वित्तीय सीमाओं को घटाना है, जिससे कार्यान्वयन तेजी से संभव हो सके।

यह जानकारी वस्त्र राज्य मंत्री श्री पबित्रा मार्गेरिटा ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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