क्षमता विकास आयोग (सीबीसी) ने कर्मयोगी गुणवत्ता ढाँचे पर राष्ट्रीय परामर्श कार्यशाला का आयोजन किया
क्षमता विकास आयोग (सीबीसी) ने कर्मयोगी गुणवत्ता ढाँचे पर राष्ट्रीय परामर्श कार्यशाला का आयोजन किया
क्षमता विकास आयोग (सीबीसी) ने आज नई दिल्ली में आईजीओटी पाठ्यक्रमों के लिए गुणवत्ता ढांचे पर एक राष्ट्रीय परामर्श कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला में मिशन कर्मयोगी के तहत डिजिटल शिक्षा के लिए गुणवत्ता आश्वासन तंत्र को मजबूत करने पर विचार–विमर्श करने हेतु शिक्षण पारिस्थितिकी तंत्र के प्रमुख हितधारक एक साथ आए।
इस कार्यशाला का उद्देश्य सरकारी अधिकारियों के लिए डिजिटल शिक्षा में गुणवत्ता के मायने समझने के लिए एक साझा दृष्टिकोण विकसित करना था। साथ ही आईजीओटी कर्मयोगी प्लेटफॉर्म पर आयोजित पाठ्यक्रमों के लिए एक सामान्य और मजबूत गुणवत्ता आश्वासन ढांचा (क्यूएएफ) तैयार करने की दिशा में काम करना था।
इस अवसर पर, क्षमता विकास आयोग की अध्यक्ष श्रीमती एस. राधा चौहान ने इस बात पर जोर दिया कि सक्षम, कुशल और भविष्य के लिए तैयार सिविल सेवकों के निर्माण के लिए एक मजबूत गुणवत्ता ढांचा अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो विकसित भारत की अपेक्षाओं को प्रभावी ढंग से पूरा कर सकें। उन्होंने आगे कहा कि शिक्षार्थियों की बड़ी संख्या और विविधता हमें कई तरह से चुनौती देती है कि हम आईजीओटी को प्रत्येक शिक्षार्थी की विशिष्टता को पूरा करने के लिए तैयार करें। उन्होंने सभी हितधारकों से सहयोग की इस श्रृंखला का हिस्सा बनने और आईजीओटी प्लेटफॉर्म पर पाठ्यक्रमों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए एक साझा मिशन के रूप में स्वाभाविक रूप से विकसित होने के लिए एक सामान्य समझ तक पहुंचने का आग्रह किया।
2022 में शुरुआत के बाद से, आईजीओटी कर्मयोगी भारत देश का सबसे बड़ा सरकारी डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्म बन गया है, जो व्यवहारिक, क्षेत्रीय और कार्यात्मक दक्षताओं से संबंधित 3,900 से अधिक पाठ्यक्रम उपलब्ध करा रहा है और लाखों सरकारी कर्मचारियों के लिए सतत शिक्षा को बढ़ावा दे रहा है। इस व्यापक पैमाने और राष्ट्रीय महत्व को देखते हुए, शिक्षण सामग्री की निरंतरता, प्रासंगिकता, शिक्षार्थी सहभागिता और वास्तविक दुनिया में उपयोगिता सुनिश्चित करना एक प्रमुख प्राथमिकता बन गया है।
इस परामर्श कार्यशाला ने प्रशिक्षण संस्थानों, मंत्रालयों और विभागों, ज्ञान के साझेदारों, विषय विशेषज्ञों, डिजिटलीकरण साझेदारों और आईजीओटी के उपयोगकर्ताओं को मौजूदा गुणवत्ता ढाँचों पर सामूहिक रूप से विचार–विमर्श करने और अधिगम चक्र में गुणवत्ता को सुदृढ़ और संस्थागत बनाने के व्यावहारिक तरीकों पर चर्चा करने के लिए एक मंच प्रदान किया।
उद्घाटन सत्र में, प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए सीबीसी की सलाहकार (अधिगम उत्पाद और गुणवत्ता मूल्यांकन) श्रीमती उमा एस. ने चेकलिस्ट–आधारित अनुपालन से “डिजाइन द्वारा गुणवत्ता” की ओर बढ़ने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, जहाँ अधिगम परिणाम, दक्षताएँ और वास्तविक दुनिया की भूमिका संबंधी आवश्यकताएँ पाठ्यक्रम डिजाइन और वितरण में सहज रूप से एकीकृत होती हैं।
कर्मयोगी भारत की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) श्रीमती छवि भारद्वाज ने आईजीओटी सामग्री और उभरती चुनौतियों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने कर्मयोगी सक्षमता मॉडल (केसीएम) और विभिन्न सेवाओं और भूमिकाओं में उपयोगकर्ताओं की आवश्यकताओं के अनुरूप शिक्षण उत्पादों को तैयार करने के महत्व पर बल दिया।
कार्यशाला में डिज़ाइन द्वारा गुणवत्ता, सक्षमता–आधारित शिक्षण प्रभाव और डिजिटल शिक्षण एवं सहभागिता में सर्वोत्तम प्रथाओं पर विशेषज्ञ सत्र आयोजित किए गए, जिसमें अग्रणी शिक्षाविदों और उद्योग जगत के विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए। प्रतिभागियों ने संरचित चर्चा सत्रों में भाग लेकर कमियों की पहचान की, मापने योग्य गुणवत्ता संकेतक परिभाषित किए और निरंतर गुणवत्ता समीक्षा के लिए शासन तंत्र प्रस्तावित किए।
उम्मीद है कि यह कार्यशाला आईजीओटी पाठ्यक्रमों के लिए कर्मयोगी गुणवत्ता ढांचे को परिष्कृत करेगी और मंत्रालयों, विभागों और राज्यों के सिविल सेवकों के लिए एक अधिक सुसंगत, स्थिर और शिक्षार्थी–केंद्रित डिजिटल शिक्षण पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने में योगदान देगी।
कार्यक्रम का समापन सीबीसी के पूर्व अध्यक्ष श्री आदिल ज़ैनुलभाई के समापन भाषण से हुआ। उन्होंने गुणवत्ता आश्वासन को निरंतर विकसित प्रक्रिया बनाए रखने के लिए विभिन्न संस्थानों के बीच सतत सहयोग के महत्व पर बल दिया। उन्होंने पाठ्यक्रम निर्माण और विकास में प्लेटफ़ॉर्म के गुणवत्ता ढांचे में सुधार के सुझाव दिए। उन्होंने पाठ्यक्रमों के निरंतर सुधार पर ज़ोर दिया।
सीबीसी के सचिव श्री श्यामा प्रसाद रॉय ने कर्मयोगी गुणवत्ता ढांचे के लिए गठित किए जाने वाले चार कार्य समूहों के बारे में जानकारी दी:
1. सीक्यूएफ – कंटेंट क्वालिटी फ्रेमवर्क
2. कंटेंट ऑनबोर्डिंग के लिए मानक प्रक्रिया (एसओपी)
3. कंटेंट के लिए गतिशील स्वास्थ्य जांच
4. समवर्ती कंटेंट ऑडिट/समीक्षा
राष्ट्रीय परामर्श कार्यशाला मिशन कर्मयोगी के तहत डिजिटल क्षमता निर्माण की नींव को मजबूत करने और सुशासन, संस्थागत उत्कृष्टता और नागरिक–केंद्रित सेवा वितरण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।