केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज अहमदाबाद, गुजरात में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल के जीवन पर आधारित पुस्तक “चुनौतियाँ मुझे पसंद हैं” के गुजराती संस्करण का विमोचन किया
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज अहमदाबाद, गुजरात में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल के जीवन पर आधारित पुस्तक “चुनौतियाँ मुझे पसंद हैं” के गुजराती संस्करण का विमोचन किया
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज अहमदाबाद, गुजरात में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल के जीवन पर आधारित पुस्तक “चुनौतियाँ मुझे पसंद हैं” के गुजराती संस्करण का विमोचन किया। इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल और उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि इस पुस्तक में आनंदीबेन के समूचे जीवन और उनके कार्यों का सुंदर आलेखन किया गया है। उन्होंने कहा कि पुस्तक में एक निम्न मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मी बेटी की यात्रा है। उस दौर में जब बेटियों को पढ़ाने-लिखाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ता था, उस समय से लेकर गुजरात जैसे प्रगतिशील राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने तक, देश की सांसद और तीन राज्यों की राज्यपाल रहने तक, और आज उत्तर प्रदेश – जो भारत का सबसे बड़ा राज्य है – वहाँ राज्यपाल के रूप में दायित्व निभाने तक की पूरी यात्रा को बहुत ही जीवंत तरीके से दर्शाया गया है। श्री शाह ने कहा कि आनंदीबेन के सारे संघर्षऔर संघर्ष के बीच मिली प्रेरणाइस पुस्तक में खूबसूरती से समाहित किए गए हैं। अगर एक वाक्य में इस पूरी यात्रा का सार कहना हो तो यही कहेंगे –“नेतृत्व पद के लिए, पोजिशन के लिए नहीं होता; नेतृत्व उद्देश्य के लिए, पर्पस के लिए होता है।”
श्री अमित शाह ने कहा कि किसी व्यक्ति का जन्म से मृत्यु तक एक ही सूत्र में बँधे रहना, एक ही ध्येय के पीछे निरंतर चलते रहना अपने आप में बहुत कठिन होता है। जब लक्ष्य स्वयं के लिए हो तब भी कठिन है, लेकिन जब वह लक्ष्य समाज के लिए हो तो और भी अधिक कठिन हो जाता है। उन्होंने कहा कि आनंदीबेन की जीवनयात्रा देखकर निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज के लिए निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने में समर्पित कर दिया है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि उस समय पूरे मेहसाणा जिले में विज्ञान के महज तीन कॉलेज थे और इनमें MScकी पढ़ाई सिर्फ एक कॉलेज में होती थी।उस दौर में हॉस्टल में रहकर कोई बेटी विज्ञान में एमएससी करे, यह साहस बेटी में तो होता था, पर माता-पिता में बहुत कम होता था। उन्होंने कहा कि उस कॉलेज के हॉस्टल में एकमात्र छात्रा आनंदीबेन ही थीं, बाकी सब छात्र थे।श्री शाह ने कहा कि उस दौर की कल्पना कीजिए जब समाज की मुख्य धारा के विपरीत जाकर आनंदीबेन ने अपनी पढ़ाई पूरी की।
श्री अमित शाह ने कहा कि आनंदीबेन के साथ उन्होंने काफी काम किया है। 2014 में जब पार्टी विस्तार का लक्ष्य तय हुआ, तब हमने 1 लाख 86 हजार बूथों में कहाँ कमी है, यह पता लगाया, सदस्यता बढ़ाई और आज कश्मीर से कन्याकुमारी, द्वारका से कामाख्या तक हमारी पार्टी की पहुँच है। इसका मूल आधार बूथ का काम ही था। जो काम असंभव-सा लगता था, वह एक छोटी-सी शुरुआत से संभव हुआ। इसका मूल विचार मोदी जी ने उस समय के संगठन पर्व में रखा था। उस संगठन पर्व में आनंदीबेन इंचार्ज थीं। हमने मिलकर उस काम को आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा कि कभी-कभी रात को अकेले बैठकर अक्सर सोचता हूँ कि उस समय से आज तक बूथ संरचना में कितना परिवर्तन हुआ और पार्टी कहाँ से कहाँ पहुँच गई। “बूथ का डॉक्यूमेंटेशन होना चाहिए, कौन-सा बूथ कमजोर है उसकी नोटिंग होनी चाहिए” – यही विचार पार्टी के विकास का सबसे बड़ा प्रेरणास्रोत बना। बाद में “विचारधारा युक्त बूथ, विचारधारा युक्त कार्यकर्ता” का संकल्प लेकर 2014 से पार्टी ने अपना सफर और तेज किया।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आनंदीबेन के जीवन में छात्र के रूप में तो संघर्ष था ही, शिक्षिका बनने के बाद, समाजसेविका के रूप में और राजनीति में आने के बाद भी हर कदम पर संघर्ष आए। उन्होंने कहा कि आनंदीबेन विधायक बनीं, गुजरात में शिक्षा मंत्री, राजस्व मंत्री, मुख्यमंत्री और फिर तीन राज्यों की राज्यपाल बनीं।
श्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने राज्यपालों को बहुत सारे रचनात्मक कार्य सौंपे हैं। संवैधानिक रूप से राज्यपालों को निर्देश नहीं दिए जा सकते, केवल सूचित किया जा सकता है, लेकिन राज्यपालों ने उस रचनात्मक सूचना को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि मोदी जी ने राज्यपाल संस्था को जीवंत बनाया – टीबी उन्मूलन, ड्रॉपआउट रेशियो कम करना, स्कूलों में 100% एनरोलमेंट, स्वच्छता, प्राकृतिक खेती जैसे अनेक कामों से जोड़ा। उन सभी विचारों को लागू करने की टीम भी मैंने ही तैयार की थी।लेकिन आनंदीबेन जहाँ-जहाँ राज्यपाल रहीं, उन्होंनेएक शिक्षिका की तरह परफेक्शन और अनुशासन के साथ उन सारे कामों को उत्कृष्ट रूप से किया। इसके कारण उन राज्यों के सामाजिक जीवन में गुणात्मक परिवर्तन आया। उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य में शिक्षा का स्तर उठाना, सभी यूनिवर्सिटी को NAAC रजिस्ट्रेशन करवाना, और सबसे ज्यादा NAAC A+ ग्रेड वाली यूनिवर्सिटी उत्तर प्रदेश में होना, यह बहुत बड़ी उपलब्धि है।
केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि नर्मदा परियोजना को पूरा करने का काम मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने और आनंदीबेन के मुख्यमंत्री रहते हुए हुआ। जब आनंदीबेन राजस्व मंत्री थीं, तब भूमि अधिग्रहण का काम इतनी कुशलता से हुआ कि पूरे भारत में किसी भी बड़े प्रोजेक्ट के लिए सबसे कम खर्च में सबसे बड़ी मात्रा में भूमि अधिग्रहण का रिकॉर्ड आज भी नर्मदा प्रोजेक्ट के नाम पर है। अनेक विघ्नों को पार करते हुए, अनुकूल समय में बांधकी ऊँचाई पूरी हुई, दरवाजे लगे और पानी न केवल कच्छ,बल्कि राजस्थान तक पहुँचा – इसका मूल श्रेय उस समय की राजस्व मंत्री आनंदीबेन को जाता है।
श्री अमित शाह ने कहा इस पुस्तक में अनेक प्रकार के मार्मिक प्रसंग वर्णित किए गएहैं। हर प्रसंग में आनंदीबेन की क्षमता, दृढ़ता और अपार स्नेह का परिचय मिलता है।उन्होंने कहा कि आनंदीबेन आज 85 वर्ष की आयु में भी जिस गति और ऊर्जा से उत्तर प्रदेश में काम कर रही हैं, वह हर किसी के लिए बड़ी प्रेरणा है। मुझे विश्वास है कि यह पुस्तक जब लाखों-करोड़ों लोगों तक पहुँचेगी, तो निश्चित रूप से उनके लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगी।