Tuesday, December 16, 2025
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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जे.पी. नड्डा ने जमीनी स्तर पर टीबी-मुक्त भारत अभियान में तेजी लाने के लिए तमिलनाडु के सांसदों के साथ संवाद किया

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जे.पी. नड्डा ने जमीनी स्तर पर टीबी-मुक्त भारत अभियान में तेजी लाने के लिए तमिलनाडु के सांसदों के साथ संवाद किया

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा ने आज पार्लियामेंटेरियंस चैंपियनिंग ए टीबी-मुक्त भारतपहल के तहत, टीबी उन्मूलन के प्रयासों में तमिलनाडु के योगदान को और मजबूत करने के लिए वहां के सांसदों के साथ एक विशेष संवाद सत्र आयोजित किया। इस बैठक में समुदाय स्तर पर जागरूकता बढ़ाने, टीबी से जुड़ी सामाजिक वर्जनाओं को दूर करने और बीमारी की जल्द पहचान व समय पर उपचार सुनिश्चित करने में जनप्रतिनिधियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया गया। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान संसद भवन एनेक्सी (ईपीएचए) में आयोजित यह बैठक, विभिन्न राज्यों के सांसदों के साथ शुरू की गई ब्रीफिंग श्रृंखला का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य टीबी के खिलाफ भारत की लड़ाई में सामूहिक नेतृत्व को सशक्त बनाना है। इससे पहले पिछले सप्ताह श्री नड्डा ने उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात के सांसदों के साथ भी इसी तरह की बैठकें की थीं।

 

 

इस बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल भी उपस्थित रहीं। सांसदों और वरिष्ठ अधिकारियों का स्वागत करते हुए, श्री नड्डा ने इस बात को दोहराया कि टीबी अभी भी दुनिया की सबसे गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक बनी हुई है। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में, निरंतर राजनीतिक प्रतिबद्धता, वैज्ञानिक नवाचार और सशक्त जन-भागीदारी के माध्यम से भारत टीबी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में एक अग्रणी देश के रूप में उभरा है।

 

 

भारत की प्रगति पर प्रकाश डालते हुए, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि देश में टीबी के मामलों में 21 प्रतिशत की गिरावट आई है। साल 2015 से 2024 के बीच यह दर 237 से घटकर 187 मामले प्रति लाख आबादी हो गई है, जो कि लगभग 12 प्रतिशत की वैश्विक औसत गिरावट की तुलना में दोगुनी है। उन्होंने जानकारी दी कि टीबी से होने वाली मृत्यु दर में लगभग 25 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि उपचार कवरेज 92 प्रतिशत को पार कर गया है, जो वैश्विक मानकों से कहीं बेहतर है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ये उपलब्धियाँ एक व्यापक रणनीति का परिणाम हैं, जिसका मुख्य केंद्र मामलों की जल्द पहचान करना, संवेदनशील आबादी और भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में अपफ्रंट एनएएटीपरीक्षण करना और निरंतर जन-भागीदारी सुनिश्चित करना है। इसी जन-भागीदारी ने टीबी-मुक्त भारत अभियानको एक वास्तविक जन-आंदोलन में बदल दिया है।

श्री नड्डा ने टीबी से जुड़े नवाचारों में भारत के नेतृत्व पर भी प्रकाश डाला, जिसमें देश भर में एआई आधारित हैंडहेल्ड एक्स-रे उपकरणों का विस्तार और 9,300 से अधिक मशीनों का व्यापक एनएएटी नेटवर्क शामिल है, जो देश के सभी ब्लॉकों को कवर करता है। उन्होंने ‘BPaL-M’ जैसे कम अवधि वाले और अधिक प्रभावी उपचार के तरीकों की ओर ध्यान आकर्षित किया, जिन्होंने दवा-प्रतिरोधी टीबी के उपचार की अवधि को 9-12 महीने से घटाकर केवल छह महीने कर दिया है। पोषण को देखभाल का एक मुख्य स्तंभ बताते हुए उन्होंने कहा कि निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी रोगियों के लिए मासिक पोषण सहायता को 500 से बढ़ाकर 1,000 कर दिया गया है। साथ ही, 2018 से अब तक 1.3 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को 4,400 करोड़ से अधिक की राशि सीधे उनके खातों में स्थानांतरित की जा चुकी है।

तमिलनाडु के संदर्भ में, केंद्रीय मंत्री ने टीबी नियंत्रण में राज्य के निरंतर प्रयासों की सराहना की, हालांकि उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि शहरी झुग्गियों-बस्तियों, आदिवासी एवं प्रवासी आबादी और असंगठित औद्योगिक श्रमिकों के बीच चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं। उन्होंने मधुमेह जैसी बढ़ती गैर-संचारी बीमारियों के साथ-साथ तंबाकू के सेवन और शराब की लत जैसे जोखिम कारकों को भी चिन्हित किया, जो टीबी के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाने वाले मुख्य कारक हैं।

तमिलनाडु में जन-भागीदारी के सशक्त मॉडल की सराहना करते हुए श्री नड्डा ने टीबी उन्मूलन के प्रयासों में सांसदों, विधायकों, पंचायती राज संस्थानों और माय भारतस्वयंसेवकों की सक्रिय भूमिका पर विशेष जोर दिया। उन्होंने आग्रह किया कि सामुदायिक जागरूकता, जांच के लिए लोगों को प्रेरित करने और मरीजों की सहायता के लिए इन स्वयंसेवकों का पूरी तरह से उपयोग किया जाना चाहिए। उन्होंने आगे यह स्पष्ट किया कि टीबी नोटिफिकेशन की उच्च दर कार्यक्रम की बेहतर पहुंच को दर्शाती है और संक्रमण की कड़ी को तोड़ने तथा ऐसी मौतें जिन्हें समय पर इलाज से रोका जा सकता है, के लिए हर मामले की जल्द पहचान करना अनिवार्य है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने समुदायों को जागरूक करने और टीबी प्रभावित व्यक्तियों की सहायता करने में तमिलनाडु के सांसदों द्वारा दिखाए गए नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने सांसदों से आह्वान किया कि वे संवेदनशील आबादी की सक्रिय जांच, देखभाल के विभिन्न मॉडलों और जिला कलेक्टरों के साथ नियमित कार्यक्रम समीक्षा पर अपना विशेष ध्यान केंद्रित रखें। उन्होंने सांसदों को प्रोत्साहित किया कि वे दिशा की बैठकों में टीबी उन्मूलन को प्राथमिकता दें, स्वास्थ्य केंद्रों का दौरा करें, मरीजों और फ्रंटलाइन वर्कर्स के साथ संवाद करें, हैंडहेल्ड एक्स-रे मशीनों के उचित उपयोग को सुनिश्चित करें और निक्षय मित्रों सहित स्थानीय संसाधनों को एकजुट कर अंतिम छोर तक सेवाओं की पहुंच को मजबूत करें।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन निदेशक, श्रीमती आराधना पटनायक सहित स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर हुई प्रगति का विस्तृत विवरण साझा किया। साथ ही, उन्होंने संसदीय प्रतिनिधियों, राज्य स्वास्थ्य अधिकारियों और जिला स्तर की टीमों के बीच बेहतर तालमेल के माध्यम से तमिलनाडु में टीबी उन्मूलन की गति को और तेज करने की रणनीतियों की रूपरेखा प्रस्तुत की।

तमिलनाडु के सांसदों ने इस संवाद का स्वागत किया और अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में टीबी उन्मूलन अभियान का नेतृत्व करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने समुदायों और स्वास्थ्य प्रणाली के साथ मिलकर काम करने का संकल्प लिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि टीबी से पीड़ित प्रत्येक व्यक्ति की जल्द पहचान हो, उसका प्रभावी उपचार किया जाए और उसे हर संभव सहायता प्रदान की जाए। इस प्रकार, वे टीबी-मुक्त भारतके सपने को साकार करने में निर्णायक योगदान देने के लिए एकजुट हुए।

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