Thursday, December 25, 2025
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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने पारदर्शी और नागरिक-केंद्रित प्रशासन को मजबूत करने के लिए पांच परिवर्तनकारी डिजिटल सुधारों का शुभारंभ किया

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने पारदर्शी और नागरिक-केंद्रित प्रशासन को मजबूत करने के लिए पांच परिवर्तनकारी डिजिटल सुधारों का शुभारंभ किया

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और प्रधानमंत्री कार्यालय,  कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने आज नई दिल्ली में सुशासन प्रथाएं 2025 पर राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन किया।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों, नीति निर्माताओं और हितधारकों को प्रतिवर्ष 25 दिसंबर को मनाए जाने वाले सुशासन दिवस के अवसर पर संबोधित करते हुए कहा कि सुशासन एक अमूर्त आदर्श नहीं बल्कि पारदर्शिता, जवाबदेही और नागरिक-केंद्रित वितरण पर आधारित एक दैनिक प्रशासनिक जिम्मेदारी है।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि देश पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती मना रहा है, जिन्होंने सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी की अवधारणा को संस्थागत रूप दिया और जनहितैषी शासन की नींव रखी। उन्होंने कहा कि सुशासन का विचार पहले भी व्यक्त किया गया था, लेकिन वर्ष 2014 के बाद से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में “न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन” के मंत्र के मार्गदर्शन में इसे अक्षरशः और भावपूर्ण ढंग से लागू किया गया है।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) इस सुशासन दिवस पर पांच प्रमुख पहलों की शुरूआत कर रहा है, जिनका उद्देश्य मुख्य शासन प्रक्रियाओं को मजबूत करना, प्रमुख हितधारक समूहों का समर्थन करना और तेजी से विकसित हो रहे प्रशासनिक परिदृश्य की चुनौतियों के लिए लोक सेवकों को तैयार करना है।

पहले डिजिटल सुधार में केंद्र सरकार में पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षण संबंधी दिशा-निर्देशों का एक संकलन शामिल है, जिसमें सभी मौजूदा निर्देशों को एक ही, अद्यतन और उपयोगकर्ता अनुकूल संदर्भ में समेकित किया गया है। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि यह कदम आरक्षण संबंधी लाभों की स्पष्टता, एकरूपता और समयबद्ध वितरण सुनिश्चित करके पूर्व सैनिकों की सेवा का सम्मान करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, साथ ही मंत्रालयों और विभागों में कार्यान्वयन में अस्पष्टता और त्रुटियों को कम करता है।

दूसरी पहल में एआई-संचालित भर्ती साधन शामिल है, जिसे भर्ती नियम निर्माण, संशोधन एवं निगरानी प्रणाली (आरआरएफएएमएस) पोर्टल के साथ एकीकृत किया गया है। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि भर्ती नियम निष्पक्ष भर्ती और करियर विकास का आधार है और यह नया एआई-सक्षम साधन सरल प्रश्नों के माध्यम से उपयोगकर्ताओं का मार्गदर्शन करके, उपयुक्त भर्ती विधियों का सुझाव देकर और निर्धारित प्रारूप में मसौदा नियम स्वचालित रूप से तैयार करके विभाग के दिशानिर्देशों के अनुरूप देरी और विसंगतियों को काफी हद तक कम करेगा।

तीसरी पहल में ई-एचआरएमएस 2.0  मोबाइल एप्लिकेशन शामिल है, जो एंड्रॉइड और आईओएस पर उपलब्ध है। यह एप्लिकेशन सरकारी कर्मचारियों को प्रमुख मानव संसाधन सेवाएं सीधे उपलब्ध कराता है। मिशन कर्मयोगी के एक प्रमुख स्तंभ के रूप में विकसित, ई-एचआरएमएस 2.0 सेवा रिकॉर्ड और पदोन्नति, तबादले, प्रतिनियुक्ति, प्रशिक्षण और सेवानिवृत्ति जैसी मानव संसाधन प्रक्रियाओं को एकीकृत करता है, साथ ही एसपीएआरआरडब्ल्यू पीएफएमएस और भविष्य जैसे प्लेटफार्मों से भी जुड़ा हुआ है। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि मोबाइल ऐप कागजी कार्रवाई को कम करेगा, अनुमोदन में तेजी लाएगा और कार्मिक प्रबंधन में पारदर्शिता बढ़ाएगा।

इन डिजिटल सुधारों में आईजीओटी कर्मयोगी प्लेटफॉर्म पर नई एआईसक्षम सुविधाएं उपलब्ध कराना शामिल है। इनमें प्रासंगिक शिक्षण संसाधनों की खोज के लिए आईजीओटी एआई सारथी, पाठ्यक्रम के दौरान व्यक्तिगत सहायता के लिए आईजीओटी  एआई ट्यूटर, महत्वपूर्ण क्षेत्रों में संरचित शिक्षण मार्ग प्रदान करने वाला आईजीओटी विशेषज्ञता कार्यक्रम और मंत्रालयों और राज्यों को भूमिकाओं, दक्षताओं और प्रशिक्षण आवश्यकताओं का व्यवस्थित रूप से आकलन करने में मदद करने के लिए एआईआधारित क्षमता निर्माण योजना उपकरण शामिल हैं।

पांचवीं पहल कर्मयोगी डिजिटल लर्निंग लैब 2.0 की शुरूआत आधुनिक तकनीकों जैसे एआर/वीआर, गेमिफिकेशन और इंटरैक्टिव सिमुलेशन का उपयोग करके उच्च गुणवत्ता वाली डिजिटल शिक्षण सामग्री तैयार करने के लिए की गई है। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि यह उन्नत कर्मयोगी डिजिटल लर्निंग लैब 2.0 लोक सेवाओं में सर्वोत्तम विधियों, सुधारों और कौशल के व्यापक प्रसार को सक्षम बनाएगी, जिससे जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन क्षमता मजबूत होगी।

कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की सचिव सुश्री रचना शाह ने कहा कि सुशासन दिवस अटल बिहारी वाजपेयी के कुशल, पारदर्शी और मानवीय शासन के दृष्टिकोण के अनुरूप है। सुशासन सप्ताह के दौरान चलाए गए राष्ट्रव्यापी प्रशासन गांव की ओरअभियान पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि इस पहल के तहत 700 से अधिक जिलों में जमीनी स्तर पर शिकायतों के निवारण, सेवा वितरण और सर्वोत्तम प्रथाओं के दस्तावेजीकरण को सुनिश्चित करने के लिए हजारों शिविर आयोजित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2021 से शुरू किए गए विशेष अभियानों ने प्रशासनिक संस्कृति को लंबित प्रक्रियाओं से परिणाम-उन्मुख शासन में बदल दिया है, जिससे दक्षता, स्थान अनुकूलन और राजस्व सृजन में मापने योग्य परिणाम प्राप्त हुए हैं।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि ये सभी पहल शासन में सुधार के लिए एक सुसंगत, भविष्योन्मुखी दृष्टिकोण को दर्शाती हैं। नागरिकों तथा लोक सेवकों को परिवर्तन के केंद्र में रखने वाली ये पहल प्रौद्योगिकी के माध्यम से संस्थानों को मजबूत बनाती हैं। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने विश्वास व्यक्त किया कि सुशासन दिवस के अवसर पर शुरू किए गए ये डिजिटल सुधार अटल बिहारी वाजपेयी की विरासत की सच्ची भावना के अनुरूप हैं और देश को अधिक उत्तरदायी और भविष्य के लिए तैयार शासन ढांचे की ओर अग्रसर करने में सहायक होंगे।

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