केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने दिल्ली-एनसीआर के लिए आयोजित समीक्षा बैठकों की श्रृंखला के अंतर्गत गुरुग्राम और फरीदाबाद की वायु प्रदूषण निवारण कार्य योजनाओं की उच्च स्तरीय समीक्षा की अध्यक्षता की
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने दिल्ली-एनसीआर के लिए आयोजित समीक्षा बैठकों की श्रृंखला के अंतर्गत गुरुग्राम और फरीदाबाद की वायु प्रदूषण निवारण कार्य योजनाओं की उच्च स्तरीय समीक्षा की अध्यक्षता की
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने आज राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के गुरुग्राम और फरीदाबाद में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए तैयार की गई कार्य योजनाओं की विस्तृत समीक्षा के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। यह एनसीआर में शहर-विशिष्ट कार्य योजनाओं की समीक्षा के लिए आयोजित बैठकों की श्रृंखला में इस तरह की दूसरी बैठक थी, जो मंत्री द्वारा 03.12.2025 को हुई पिछली समीक्षा बैठक में दिए गए निर्देशों के अनुसार निर्धारित मानकों और निर्धारित प्रारूप में आयोजित की गई।
बैठक के दौरान श्री यादव ने शहरी बाहरी इलाकों में लगातार बनी रहने वाली समस्याओं जैसे कि अपशिष्ट निपटान, यातायात जाम, ग्रामीण सड़कों की खराब स्थिति और भवन निर्माण संबंधी नियमों के उल्लंघन पर चिंता व्यक्त की, जो एनसीआर में पर्यावरण के क्षरण में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। उन्होंने अधिकारियों को व्यापक क्षेत्रीय निरीक्षण करने और प्रदूषण के स्रोतों को समाप्त करने में स्पष्ट और मापने योग्य परिणाम सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। मंत्री ने प्रदूषण के प्रमुख क्षेत्रों की पहचान करने, इसके मूल कारणों को समझने और लक्षित सुधारात्मक उपायों को लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि संबंधित अधिकारियों द्वारा मासिक आधार पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट मंत्रिस्तरीय समीक्षा के लिए प्रस्तुत की जाए।
मंत्री ने गुरुग्राम और फरीदाबाद में निर्माण और विध्वंस (सी एंड डी) अपशिष्ट संग्रहण स्थलों और प्रसंस्करण सुविधाओं की पर्याप्त कमी को उजागर किया। उन्होंने दोनों शहरों के नगर आयुक्तों को नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (एमएसडब्ल्यू)/पुराने कचरे के लंबे समय से लंबित मुद्दे को संबोधित करने के लिए एकीकृत कार्य योजना तैयार करने और सड़क की धूल को कम करने के लिए सड़कों के पूर्णतः पक्का करने में तेजी लाने का निर्देश दिया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे सड़कों पर चल रहे अपंजीकृत और पंजीकरण रद्द किए गए वाहनों की पहचान करें और उनके खिलाफ कार्रवाई करें। श्री यादव ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) को फरीदाबाद और नूह के कुछ हिस्सों में तेल निकालने के लिए बेकार टायरों को जलाने वाली अवैध इकाइयों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया। दोनों शहरों में सतत परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली (सीएएक्यूएमएस) केंद्रों की संख्या बढ़ाने पर भी जोर दिया गया।
श्री यादव ने इस बात पर जोर दिया कि प्रदूषण से लड़ना एक साझा जिम्मेदारी है और मिशन के उद्देश्यों को प्राप्त करने में जनभागीदारी की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने सुझाव दिया कि स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) और जन प्रतिनिधियों के साथ समन्वय स्थापित करके कई शहरी टीम बनाकर मिशन मोड में शहरी स्वच्छता अभियान चलाए जाएं। मंत्री ने विशेष रूप से युवाओं के बीच जनभागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए तकनीकी समाधान अपनाने, सफाई कर्मचारियों की क्षमता निर्माण करने और सार्वजनिक व्यवहार परिवर्तन की पहलों को मजबूत करने का आह्वान किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सूचना, शिक्षा एवं संचार शिक्षा (आईईसी) की गतिविधियों को प्रासंगिक कानूनों और नियमों की जानकारी के साथ विशिष्ट लक्षित समूहों के अनुरूप तैयार किया जाना चाहिए।
मंत्री ने गुरुग्राम और फरीदाबाद में खुले स्थानों को हरा-भरा बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। नगरपालिका अधिकारियों को राज्य वन विभाग के साथ साझेदारी में काम करने और स्वदेशी, उच्च तापमान सहिष्णु तथा कम जल की आवश्यकता वाली झाड़ियों और घास की किस्मों का रोपण करने के निर्देश दिए गए। उन्होंने अधिकारियों को यातायात जाम के प्रमुख स्थानों की पहचान करने और वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को कम करने के लिए आसानी से लागू किए जा सकने वाले अल्पकालिक उपायों को लागू करने के भी निर्देश दिए, जिसमें अनावश्यक पुलिस अवरोधक को हटाना, अवैध पार्किंग को समाप्त करना और व्यवस्थित पार्किंग सुविधाओं का प्रावधान करना शामिल है। वाहनों से होने वाले प्रदूषण से निपटने के लिए व्यापक दीर्घकालिक योजनाएं तैयार करने के भी निर्देश दिए गए।
श्री यादव ने फरीदाबाद की ‘पॉटहोल एम्बुलेंस इनिशिएटिव’ सहित कई बेहतरीन प्रथाओं की सराहना की, जो 72 घंटों के भीतर गड्ढों पर सुधारात्मक कार्रवाई सुनिश्चित करती है और एनसीआर के सभी शहरों में इसे अपनाने का सुझाव दिया। चर्चा में शामिल अन्य पहलों में नगरपालिका के ठोस कचरे को हटाकर सार्वजनिक पार्कों और खुले स्थानों का पुनरुद्धार, मियावाकी वृक्षारोपण तकनीकों को अपनाना, हरित अंतिम संस्कार स्थलों की स्थापना और सार्वजनिक वृक्षारोपण में सिंचाई के लिए उपचारित सीवेज जल का पुन: उपयोग शामिल था।
मंत्री ने उल्लेख किया कि ऑनलाइन सतत उत्सर्जन निगरानी प्रणाली (ओसीईएम) स्थापित करने में चूक करने वाले उद्योगों में से लगभग 50 प्रतिशत – 2,254 इकाइयों में से 1,151 इकाइयां – हरियाणा में स्थित हैं। उन्होंने नियमों का पालन नहीं करने वाली इकाइयों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए। उन्होंने कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) गतिविधियों के माध्यम से गुरुग्राम में जल निकायों और पार्कों की पहचान एवं पुनरुद्धार करने और पुरानी बस्तियों की सफाई और उन्नयन पर ध्यान केंद्रित करने का भी निर्देश दिया।
इस बैठक में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के अध्यक्ष, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के वरिष्ठ अधिकारी, उत्तर प्रदेश एसपीसीबी के अध्यक्ष, गुरुग्राम, फरीदाबाद और मानेसर के जिलाधिकारी और नगर आयुक्त उपस्थित थे।