केंद्रीय पर्यावरण मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने ग्लोबल बिग कैट्स फोटोग्राफी प्रतियोगिता 2025 के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने ग्लोबल बिग कैट्स फोटोग्राफी प्रतियोगिता 2025 के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने आज नई दिल्ली में ग्लोबल बिग कैट्स फ़ोटोग्राफ़ी प्रतियोगिता 2025 के पुरस्कार समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ऊर्जावान नेतृत्व में राष्ट्र ने न केवल अपने संरक्षण ढांचे को मजबूत किया है, बल्कि यह भी परिभाषित किया है कि विकास और प्रकृति कैसे सह–अस्तित्व में रह सकते हैं।” आज सुबह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स‘ पर एक पोस्ट में, श्री भूपेंद्र यादव ने वन्यजीव सप्ताह 2025 पर वन्यजीव प्रेमियों के लिए प्रधानमंत्री का संदेश पोस्ट किया।
‘वन्य जीवों के लिए संरक्षित क्षेत्रों की संख्या में वृद्धि, वनों के संरक्षण हेतु प्रभावी नीतियाँ, तकनीकी साधनों के उपयोग और आधुनिक विज्ञान संयोजन से आज भारत दुनिया को जैव विविधता व संरक्षण का मार्ग दिखा रहा है…’
वन्यजीव सप्ताह 2025 पर प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी का… pic.twitter.com/1b7YpOG4Nm
पुरस्कार समारोह का आयोजन केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) द्वारा इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस (आईबीसीए), आर्ट्स मैस्ट्रो और उत्तर प्रदेश इकोटूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड के सहयोग से 2026 में बिग कैट संरक्षण पर आगामी वैश्विक शिखर सम्मेलन के पूर्व–शिखर सम्मेलन के रूप में किया गया था।
श्री भूपेंद्र यादव ने सभा को संबोधित करते हुए बताया कि कैसे भारत के संपन्न इको–सिस्टम इसके संपन्न वन्यजीवन की नींव हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दशक में भारत का वन और वृक्ष आवरण 1,445 वर्ग किलोमीटर बढ़ा है, जिसमें अब 25.17 प्रतिशत हरित आवरण है। उन्होंने कहा कि संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क बढ़कर 1,022 हो गया है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 5.43 प्रतिशत है। उन्होंने हिमाचल प्रदेश में शीत मरुस्थल बायोस्फीयर रिजर्व को यूनेस्को वर्ल्ड नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिजर्व में शामिल करने की जानकारी दी। इसे भारत के प्रथम अत्यधिक ऊंचाई वाले शीत मरुस्थल बायोस्फीयर रिजर्व के रूप में मान्यता मिली है, जो इस नेटवर्क के तहत भारत में 13वां है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, 487 पर्यावरण–संवेदनशील क्षेत्र अब वन्यजीवों की आवाजाही के लिए महत्वपूर्ण गलियारों के रूप में कार्य करते हैं।

बिग कैट्स के संरक्षण में भारत की सफलता को साझा करते हुए, श्री यादव ने पिछले दशक में बाघों की आबादी में 30 प्रतिशत की वृद्धि के बारे में बताया कि देश में 84,000 वर्ग किलोमीटर में फैले 58 टाइगर रिजर्व हैं। उन्होंने उपस्थित लोगों को बताया कि दूरदर्शी टाइगर@2047 योजना के तहत, हम भारत की स्वतंत्रता के 100वें वर्ष तक हर संभावित बाघ परिदृश्य को सुरक्षित करने के लिए काम कर रहे हैं। एशियाई शेरों के बारे में बात करते हुए, श्री यादव ने कहा कि वे अब 35,000 वर्ग किलोमीटर में फल–फूल रहे हैं और 2020 से उनकी संख्या 32 प्रतिशत बढ़कर 891 तक पहुंच गई है। भारत में अन्य बिग कैट्स प्रजातियों के संरक्षण के प्रयासों के बारे में बात करते हुए श्री यादव ने बताया कि कैसे प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड स्थानीय समुदायों को हिमालय के इन शानदार प्रहरी की रक्षा के लिए एक साथ लाता है। उन्होंने प्रोजेक्ट चीता की सफलता के बारे में बताया और भारतीय धरती पर पैदा हुए पहले चीता शावक के वयस्क होने की भी चर्चा की, जो इस प्रजाति के लिए आशा का प्रतीक है।
श्री भूपेंद्र यादव ने हमारे संस्थानों द्वारा किए जा रहे उत्कृष्ट कार्यों का भी जिक्र किया, जो इस परिवर्तन की रीढ़ रहे हैं। एनटीसीए ने स्मार्ट गश्ती शुरू की और दुनिया के सबसे बड़े कैमरा–ट्रैप सर्वेक्षण का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया, जबकि भारतीय वन्यजीव संस्थान एआई–आधारित निगरानी, आधुनिक अनुसंधान और सुदृढ़ विज्ञान के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा, “संरक्षण के संदर्भ में विज्ञान द्वारा संचालित, मूल्यों द्वारा निर्देशित यह नया भारत है।” श्री यादव ने वन्यजीव संरक्षण में सफलता सुनिश्चित करने में जनभागीदारी की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने लद्दाख में हिमाल रक्षक, मध्य प्रदेश में चीता मित्र और गुजरात में वन्य प्राणी मित्र जैसे कार्यक्रमों का उदाहरण दिया, जो सामुदायिक नेतृत्व की शक्ति का प्रतीक हैं।
श्री यादव ने वैश्विक फोटोग्राफी प्रतियोगिता के महत्व के बारे में कहा कि इसका विशेष महत्व है, क्योंकि यह आगामी वैश्विक बिग कैट संरक्षण शिखर सम्मेलन से पहले होने वाले पूर्व–शिखर सम्मेलन कार्यक्रमों का हिस्सा है, जिसकी मेजबानी भारत 2026 में करेगा। उन्होंने यह भी कहा, “यह शिखर सम्मेलन सात राजसी बिग कैट प्रजातियों – बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, जगुआर, चीता और प्यूमा के भविष्य को सुरक्षित करने के सामूहिक वैश्विक प्रयासों में एक महत्वपूर्ण क्षण होगा, जो मिलकर हमारी धरती की भव्यता और पारिस्थितिक समृद्धि का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह आयोजन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह 8 अक्टूबर को भारत में वन्यजीव सप्ताह के उपलक्ष्य में मनाया जा रहा है। यह एक ऐसा समय है जब हम अपने बहुमूल्य वनस्पतियों और जीवों के संरक्षण के लिए अपनी सामूहिक प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं।” श्री यादव ने सभी विजेताओं और प्रतिभागियों को बधाई देते हुए कहा, “वन्यजीवों के प्रति आपका जुनून और बिग कैट की भव्यता को चित्रित करने की आपकी प्रतिबद्धता वैश्विक संरक्षण के बड़े मिशन में महत्वपूर्ण योगदान देती है।“
ग्लोबल बिग कैट्स फोटोग्राफी प्रतियोगिता न केवल कलात्मक उत्कृष्टता की प्रतियोगिता के रूप में, बल्कि प्रकृति, वन्य जीवन और प्राकृतिक दुनिया के साथ गहरे मानवीय जुड़ाव के उत्सव के रूप में भी इस मिशन का पूरक है। इस वर्ष की प्रतियोगिता में 1,000 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिसमें दुनिया के कुछ सबसे विविध वन्य क्षेत्रों की हज़ारों आकर्षक तस्वीरें प्रदर्शित की गईं। कठिन मूल्यांकन के बाद, अंतिम जूरी चयन के लिए 456 प्रविष्टियों का चयन किया गया, जिसके परिणामस्वरूप विजेता तस्वीरों को मान्यता मिली। प्रतियोगिता के विजेताओं को श्री यादव द्वारा बिग कैट रेंज देशों के राजदूतों, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, उत्तर प्रदेश इको–टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड और विभिन्न संरक्षण संगठनों के अधिकारियों की गरिमामयी उपस्थिति में सम्मानित किया गया।
प्रतियोगिता के विजेता हैं :




यह आयोजन वन्यजीव सप्ताह 2025 के उत्सव का एक अभिन्न हिस्सा भी रहा, जिसने भारत की समृद्ध वनस्पतियों और जीवों के संरक्षण के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता की पुष्टि की। वन्यजीव सप्ताह की भावना इस बात पर जोर देती है कि जैव विविधता का संरक्षण न केवल एक पर्यावरणीय आवश्यकता है, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए पारिस्थितिक संतुलन और स्थिरता सुनिश्चित करने का एक नैतिक दायित्व भी है।