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कपास पर आयात शुल्क और कम कीमत

कपास पर आयात शुल्क और कम कीमत

सरकार को जानकारी है कि कपास पर 11 प्रतिशत आयात शुल्क की छूट देने ने घरेलू कीमतों में कमी आयी है। शुल्क में छूट मिलने बाद से, समतुल्य एस-6 कपास की अंतरराष्ट्रीय कीमतें जो दिनांक 19.08.2025 मेंलगभग 79.15 अमेरिकी सेंट प्रति पाउंड थी वह दिसंबर 2025 में गिरकर लगभग 73.95 अमेरिकी सेंट प्रति पाउंड हो गईं, जो वैश्विक स्तर पर गिरावट को दर्शाता है। घरेलू स्तर पर भी कपास की कीमतों में इसी प्रकारर की कमी देखी गई है, जो लगभग 57,000 रुपये प्रति कैंडी से घटकर लगभग 52,500 रुपये प्रति कैंडी हो गई है। यह कमी अंतरराष्ट्रीय कीमतों में आए बदलावों के अनुरूप है। घरेलू कीमतें वैश्विक एवं घरेलू मांग-आपूर्ति की स्थितियों, विनिमय दर और गुणवत्ता संबंधी कारकों से प्रभावित होती हैं। 2024-25 मौसम के दौरान कपास का आयात कुल घरेलू खपत का लगभग 13.93 प्रतिशत था। छूट के बाद से कीमतें कम हो गई हैं, जो वर्तमान में प्रति कैंडी 51,500 रुपये से 52,500 रुपये के बीच हैं, जिससे उद्योग के लिए किफायती है जबकि एमएसपी-आधारित समर्थन किसानों को सुरक्षा प्रदान करता है।

सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के माध्यम से कपास किसानों को सहायता प्रदान करती है, जिसके अंतर्गत उत्पादन लागत पर कम से कम 50 प्रतिशत लाग मिलता है। 2025-26 मौसम के लिए, मध्यम रेशे वाली कपास के लिए एमएसपी 7,710 रुपये प्रति क्विंटल और लंबे रेशे वाले कपास के लिए 8,110 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है, जो 2024-25 की तुलना में 589 रुपये प्रति क्विंटल ज्यादा है। किसानों को मजबूरी में कपास बेचने से रोकने के लिए, भारतीय कपास निगम लिमिटेड ने 11.12.2025 तक एमएसपी के अंतर्गत 11 राज्यों के 149 जिलों में 570 खरीद केंद्रों के माध्यम से लगभग 31.19 लाख गांठें खरीदी हैं, जिनकी कीमत 13,492 करोड़ रुपये है।

भारत के घरेलू वस्त्र उद्योग की गुणवत्ता एवं आपूर्ति संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अमेरिका से कपास का आयात बढ़ा है, जो भारत की लगभग 94 प्रतिशत कपास की खपत करता है। अगस्त-सितंबर 2025 की अवधि के दौरान, जिसमें 11 प्रतिशत आयात शुल्क की अस्थायी छूट प्रदान करने के बाद की अवधि भी शामिल है, अमेरिका से कपास का आयात उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप रहा है। कुल मिलाकर, भारत में कपास का आयात 2023-24 में 15.20 लाख गांठों से बढ़कर 2024-25 में 41.40 लाख गांठें रहा, जिससे मांग एवं आपूर्ति के बीच के अंतर को पाटने में मदद मिली। ये आयात विशेष प्रकार की कपास उपलब्धता सुनिश्चित करते हैं और निर्यात-उन्मुख उत्पादन को बढ़ावा देते हैं, जिससे भारत के वस्त्र क्षेत्र की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ती है।

भारतीय कपास निगम लिमिटेड किसानों के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कपास की खरीद करता है। एमएसपी द्वारा किसानों को मूल्य अस्थिरता से बचाने एवं उचित लाभ सुनिश्चित किया जाता है।

पिछले पांच वर्षों में उत्पादन के मुकाबले एमएसपी के अंतर्गत खरीदी गई मात्रा को दर्शाने वाला विवरण निम्नलिखित है:

कपास का मौसम

उत्पादन (लाख गांठ)

एमएसपी के अंतर्गत खरीदी गई मात्रा (लाख गांठें)

खरीदी गई मात्रा (उत्पादन का %)

2025-26

292.15

24.92*

8.53*

2024-25

297.24

100.16

33.70

2023-24

325.22

32.84

10.10

2022-23

336.60

2021-22

311.17

2020-21

352.48

99.33

28.18

कपास मौसम 2021-22 और 2022-23 में कपास की कीमतें एमएसपी से ऊपर थीं। इसलिए किसानों को एमएसपी सहायता की आवश्यकता नहीं थी।

* 8.12.2025 तक

 

यह जानकारी कपड़ा राज्य मंत्री श्री पबित्रा मार्गेरिटा ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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