Tuesday, December 16, 2025
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औषधियों के लिए पीएलआई योजना

औषधियों के लिए पीएलआई योजना

औषधि विभाग द्वारा क्रियान्वित उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन यानी (पीएलआई) योजनाओं से देश में सक्रिय औषधीय अवयवों (एपीआई) और उनके प्रमुख प्रारंभिक सामग्रियों (केएसएम) तथा औषधि मध्यवर्ती उत्पादों (डीआई) के कुल ₹3,591 करोड़ मूल्य के आयात की बचत की गई है। यानी इन उत्पादों की हमारी आयात निर्भरता में कमी आई है। इन बचत का योजना-वार विवरण निम्नानुसार हैं:

भारत में महत्वपूर्ण केएसएम/डीआई/एपीआई के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई योजना: 

(सामान्य रूप से यह बल्क ड्रग्स के लिए पीएलआई योजना के रूप में जानी जाती है):

इस योजना का लक्ष्य एकल स्रोत पर अत्यधिक निर्भरता के कारण होने वाले आपूर्ति व्यवधान के जोखिम को कम करके, विकल्पों के अभाव वाली महत्वपूर्ण दवाओं के निर्माण के लिए प्रयुक्त महत्वपूर्ण सामग्री एपीआई की आपूर्ति को निरंतर बनाए रखना है। सितंबर 2025 तक देश में 26 केएसएम/एपीआई के लिए विनिर्माण क्षमता का सृजन किया गया है। इसमें योजना की शुरुआत से अब तक ₹2,315 करोड़ की संचयी बिक्री हुई है, जिसमें ₹508 करोड़ के निर्यात शामिल हैं और जाहिर है इससे ₹1,807 करोड़ के आयात की बचत हुई है।

औषधियों के लिए पीएलआई योजना: 

यह योजना दवाओं के क्षेत्र में निवेश और उत्पादन को बढ़ाकर तथा औषधि क्षेत्र में उच्च-मूल्य वाली वस्तुओं की उत्पाद विविधीकरण में योगदान देकर भारत की विनिर्माण क्षमताओं को सशक्त बनाने का लक्ष्य रखती है। यह बायोफार्मास्यूटिकल्स, जटिल जेनेरिक दवाओं, पेटेंटेड दवाओं या पेटेंट समाप्ति के निकट दवाओं, ऑटो-इम्यून दवाओं, एंटी-कैंसर दवाओं जैसे उच्च-मूल्य वाली दवाओं के उत्पादन को प्रोत्साहित करती है। साथ ही बल्क ड्रग्स के लिए पीएलआई योजना के तहत अधिसूचित केएसएम/डीआई/एपीआई के अलावा अन्य केएसएम/डीआई/एपीआई के उत्पादन को भी प्रोत्साहन प्रदान कर आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देती है। 

योजना के तहत पहली बार 191 केएसएम/डीआई/एपीआई का उत्पादन किया गया है, जिससे योजना की शुरुआत से सितंबर 2025 तक ₹8,110 करोड़ की संचयी बिक्री दर्ज हुई है। इसमें ₹6,326 करोड़ के निर्यात शामिल हैं और जाहिर है इससे ₹1,784 करोड़ के आयात की बचत हुई है।

पीआरआईपी योजना के तहत निम्नलिखित के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है:

इसके अंतर्गत उद्योग, एमएसएमई और स्टार्टअप्स के उत्पादों (आउटपुट्स)और प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) का समर्थन किया जाता है। शोध व विकास (आरएंडडी) तथा आउटपुट्स के त्वरित सत्यापन के लिए बाजार लॉन्चिंगओर बड़े पैमाने पर व्यावसायीकरण के लिए तीन प्राथमिकता वाले क्षेत्रों अर्थात् नई दवाओं, जटिल जेनेरिक्स और बायोसिमिलर्स, तथा नवीन चिकित्सा उपकरणों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। बायोसिमिलर्स संदर्भ उत्पादों से निर्मित संरेखित जैविक उत्पाद हैं। ये गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभावकारिता के संदर्भ में भारत में लाइसेंस प्राप्त या अनुमोदित संदर्भ जैविक उत्पाद या अंतर्राष्ट्रीय समन्वय परिषद (आईसीएच) सदस्य देशों में अनुमोदित किसी भी इनोवेटर उत्पाद के समान होते हैं। इस प्रकार, बायोसिमिलर्स में वे दवाएँ शामिल हो सकती हैं जो पेटेंट समाप्ति के निकट वाली दवाओं के समरूप हों। इसी प्रकार, नवीन चिकित्सा उपकरणों में उन्नत उपचार उपकरण शामिल हो सकते हैं।

देश के सात राष्ट्रीय औषधीय शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थानों में इनकी स्थापना के माध्यम से अनुसंधान की बुनियादी संरचना को सशक्त बनाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

जिन तीन बल्क ड्रग पार्कों को मंजूरी दी गई है, उनकी योजना की अवधि मार्च 2027 तक है। तीन पार्कों के संबंध में प्रगति का विवरण संलग्नक में दिया गया है।

दोनों औषधि की पीएलआई योजना की शुरुआत से सितंबर 2025 तक ₹3,19,112 करोड़ की संचयी बिक्री की गई है। इसमें ₹2,04,238.12 करोड़ मूल्य के निर्यात शामिल हैं, जो इनकी वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को दर्शा रही है।

संलग्नक

आंध्र प्रदेश, गुजरात और हिमाचल प्रदेश में बल्क ड्रग पार्कों के प्रोत्साहन के लिए इस योजना के तहत स्वीकृत परियोजनाओं के कार्यान्वयन की प्रगति का विवरण:

आंध्र प्रदेश (अगस्त 2025 तक की स्थिति):

आंतरिक सड़कों, बिजली, पानी, जल निकासी और अन्य उपयोगिता भवनों के विकास के लिए निविदा जारी की गई है और कार्यस्थल पर लगभग 30% कार्य पूरा हो चुका है।

29.3 किमी की लंबाई में बाड़ के खंभे लगाए गए हैं और बाहरी पानी की पाइपलाइन खरीद ली गई है जिसे बिछाने का कार्य प्रगति पर है।

गुजरात (अक्टूबर 2025 तक की स्थिति):

यहां सड़क, जल निकासी, जल अवसंरचना, अपशिष्ट संग्रहण और रैक प्रणाली के विकास के लिए सभी सामान्य अवसंरचना सुविधा (सीआईएफ) संबंधी कार्यों के लिए निविदाएँ जारी की गई हैं और कार्यस्थल पर लगभग 75% कार्य पूरा हो चुका है।

सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्र, सॉल्वेंट रिकवरी, उपचार भंडारण और निपटान सुविधाओं के विकास के लिए सीआईएफ उपयोगिता निविदाएँ अक्टूबर 2024 में जारी की गई हैं । यहां कार्यस्थल पर लगभग 16% कार्य पूरा हो चुका है।

यहां उत्कृष्टता केंद्र के लिए तकनीकी विनिर्देशों को अंतिम रूप देने और निविदा तैयार करने के लिए एक तकनीकी सलाहकार नियुक्त किया गया है।

गुजरात सरकार ने 4 किमी लंबी पहुंच सड़क का निर्माण पूरा कर लिया है और पार्क स्थल से लगभग 40 किमी दूर स्थित नर्मदा नहर से सतह जल खींचने के लिए जल पाइपलाइन स्थापना आरंभ कर दी है।

हिमाचल प्रदेश (अक्टूबर 2025 तक की स्थिति):

यहां आंतरिक सड़कों, जल निकासी, पुलों और जल अवसंरचना के विकास के लिए निविदा जारी की गई है और कार्य प्रगति पर है।

साइट चिह्नीकरण, ग्रेडिंग और भूमि समतलीकरण के लिए निविदा जारी की गई है, और 900 एकड़ क्षेत्र को कवर करने वाले पार्क क्षेत्र का कार्य प्रगति पर है।

यह जानकारी रसायन और उर्वरक मंत्रालय में राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल द्वारा आज राज्यसभा में लिखित उत्तर में दी गई।

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