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एनबीए ने आंध्र प्रदेश वन विभाग को पहुंच और लाभ साझाकरण (एबीएस) निधि के रूप में 14.88 करोड़ रुपये जारी किए

एनबीए ने आंध्र प्रदेश वन विभाग को पहुंच और लाभ साझाकरण (एबीएस) निधि के रूप में 14.88 करोड़ रुपये जारी किए

राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (एनबीए) ने आंध्र प्रदेश वन विभाग को 14.88 करोड़ रुपये (16 लाख 50 हजार अमेरिकी डॉलर) की राशि जारी करके पहुंच और लाभ साझाकरण (एबीएस) वितरण का अपना सिलसिला जारी रखा है। यह धनराशि लाल चंदन से संबंधित संरक्षण, संवर्धन, पुनर्जनन, अनुसंधान और विकास, जागरूकता सृजन और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के लिए निर्धारित की गई है, जो 29 फॉर्म-I आवेदनों से प्राप्त लाभ-साझाकरण अंशदान के रूप में है।

इस राशि के जारी होने के साथ, एबीएस के तहत कुल वितरण 143 करोड़ रुपये (एक करोड़ 58 लाख डॉलर) से अधिक हो गया है। अब तक, एनबीए ने आंध्र प्रदेश राज्य को लाल चंदन संरक्षण तथा लाभार्थियों के लिए 104 करोड़ रुपये (एक करोड़ 25 लाख डॉलर) से अधिक और तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा और तेलंगाना जैसे विभिन्न राज्यों को 15 करोड़ रुपये (18 लाख डॉलर) से अधिक राशि जारी की है।

लाल चंदन (टेरोकार्पस सैंटालिनस) अपनी विशिष्ट गहरे लाल रंग की लकड़ी के लिए विश्व स्तर पर मूल्यवान है। यह पेड़ पूर्वी घाट के सीमित क्षेत्रों, विशेष रूप से आंध्र प्रदेश के अनंतपुर, चित्तूर, कडपा, प्रकासम और कुरनूल जिलों में ही पाया जाता है। राजस्व खुफिया निदेशालय द्वारा जब्त की गई और बाद में केंद्रीय सरकारी एजेंसियों, जिनमें स्टेट ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, एमएमटीसी लिमिटेड और पीईसी लिमिटेड शामिल हैं, द्वारा नीलाम की गई 1,115 टन लाल चंदन की लकड़ी से लाभ-साझाकरण अंशदान प्राप्त हुए हैं।

यह उल्लेखनीय है कि लाल चंदन के लिए उपलब्ध कराए गए संसाधनों और लाभ-साझाकरण राशि के माध्यम से, एनबीए ने आईसीएफआरई-आईएफजीटीबी, आईसीएफआरई-आईडब्ल्यूएसटी, सीएसआईआर-आईआईसीबी जैसे प्रतिष्ठित सरकारी अनुसंधान संस्थानों के माध्यम से संरक्षण, सतत उपयोग, आनुवंशिक सुधार और मूल्यवर्धन को शामिल करने वाली लाल चंदन अनुसंधान परियोजनाओं का समर्थन किया।

आंध्र प्रदेश के वन प्रभागों में किए गए क्षेत्रीय सर्वेक्षणों के परिणामस्वरूप भौगोलिक संदर्भों के साथ 1,513 आनुवंशिक संसाधनों का दस्तावेजीकरण किया गया और 15,000 से अधिक खड़े वृक्षों की विविधता और प्रजनन व्यवहार का आकलन किया गया। उत्कृष्ट संसाधनों से प्राप्त बीजों को स्थानीय संरक्षण के लिए एकत्रित किया गया और राष्ट्रीय लाल चंदन क्षेत्र जीन बैंक की स्थापना के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। मानकीकृत ऊतक संवर्धन, बेहतर अंकुरण और उच्च सफलता दर वाली वानस्पतिक प्रवर्धन विधियों के माध्यम से प्रवर्धन प्रौद्योगिकियों को सुदृढ़ किया गया। दीर्घकालिक स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए प्रारंभिक बीज उत्पादन क्षेत्र दिशानिर्देश भी विकसित किए गए।

छाल और भीतरी लकड़ी से साबुन, क्रीम, होंठों पर लगाने वाले (लिप केयर) उत्पाद और लकड़ी की कोटिंग जैसे मूल्यवर्धित उत्पाद सफलतापूर्वक विकसित किए गए। विशेष रूप से, रॉयलसीमा आरएस साबुन® को ट्रेडमार्क (ट्रेडमार्क संख्या 5870030) के रूप में पंजीकृत किया गया और रॉयल रेड लिपस्टिक भारतीय मानक ब्यूरो के विनिर्देशों पर खरी उतरी, जो आईसीएफआरई – इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेस्ट जेनेटिक्स एंड ट्री ब्रीडिंग, कोयंबटूर द्वारा किए गए शोध को व्यावहारिक अनुप्रयोगों में रूपांतरित करने का प्रमाण है।

यह पहल जैव विविधता प्रबंधन में निष्पक्ष और समान लाभ बंटवारे, अवैध व्यापार की रोकथाम और सामूहिक कार्रवाई को मजबूत करने के प्रति एनबीए की निरंतर प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है। एनबीए एबीएस से प्राप्त आय को संरक्षण, वैज्ञानिक नवाचार और समुदाय-आधारित विकास में पुनर्निवेश करके लाल चंदन के पारिस्थितिक, आनुवंशिक और सामाजिक-आर्थिक मूल्यों की दीर्घकालिक सुरक्षा सुनिश्चित कर रहा है। ये सामूहिक प्रयास वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए इस स्थानिक प्रजाति की रक्षा करते हैं और जैव विविधता प्रबंधन में भारत के नेतृत्व को मजबूत करते हैं।

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