एग्रीटेक स्टार्टअप और डिजिटल कृषि मिशन का विकास
एग्रीटेक स्टार्टअप और डिजिटल कृषि मिशन का विकास
सरकार ने कृषि-तकनीक स्टार्टअप के त्वरित विकास के लिए और कृषि में नई और उभरती प्रौद्योगिकियों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), सटीक खेती, ड्रोन प्रौद्योगिकी और राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में जलवायु-स्मार्ट कृषि को अपनाने हेतु बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं, जैसे:
इसके अतिरिक्त, राज्यों/संघ राज्य क्षेत्र सरकारों के माध्यम से वर्ष 2014-15 से कृषि मशीनीकरण उप मिशन (एसएमएएम) कार्यान्वित किया जा रहा है। एसएमएएम को अब राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) की केंद्रीय प्रायोजित योजना के तहत कार्यान्वित किया जा रहा है। इस योजना का उद्देश्य महिला किसानों सहित छोटे और सीमांत किसानों को केंद्र में लाकर और ‘कस्टम हायरिंग सेंटर’ को बढ़ावा देकर, हाई-टेक और उच्च मूल्य वाले कृषि उपकरणों के लिए केंद्र बनाकर, विभिन्न कृषि उपकरणों का वितरण करके और प्रदर्शन और क्षमता निर्माण गतिविधियों के माध्यम से हितधारकों के बीच जागरूकता पैदा करके ‘पहुंच से वंचित लोगों तक पहुंच बनाना है।
सरकार ने कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण में बुदनी (मध्य प्रदेश), हिसार (हरियाणा), गारलाडिने (आंध्र प्रदेश) और बिश्वनाथ चरियाली (असम) में चार फार्म मशीनरी प्रशिक्षण एवं परीक्षण संस्थान स्थापित किए हैं। ये संस्थान किसान ड्रोन सहित कृषि मशीनीकरण की नवीनतम तकनीक पर विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों के तहत महिला किसानों/तकनीशियनों/इंजीनियरों/बेरोजगार युवाओं/मशीनरी निर्माताओं आदि सहित किसानों को प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं।
यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने आज राज्यसभा में एक लिखित जवाब में दी।
- कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार वर्ष 2018-19 से राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के तहत “नवाचार और कृषि-उद्यमिता विकास” कार्यक्रम कार्यान्वित कर रहा है, जिसका उद्देश्य वित्तीय सहायता प्रदान करके और देश में एक इनक्यूबेशन इकोसिस्टम का पोषण करके नवाचार और कृषि-उद्यमिता को बढ़ावा देना है। इस विभाग ने इस कार्यक्रम के तहत स्टार्टअप्स के कार्यान्वयन सहायता और इनक्यूबेशन के लिए देश भर से छह नॉलेज पार्टनर्स (केपी) और चौबीस आरकेवीवाई एग्रीबिजनेस इन्क्यूबेटर (आर-एबीआई) नियुक्त किए हैं।इस कार्यक्रम के तहत, आइडिया/प्री-सीड चरण के लिए, एक चयनित स्टार्ट-अप एक किस्त में अधिकतम पांच लाख रुपये की वित्तीय सहायता के लिए पात्र होगा। सीड स्टेज के लिए, एक चयनित स्टार्ट-अप चयन और निवेश समिति (एसआईसी) द्वारा दी गई सिफारिश के आधार पर 50% और 50% की दो किस्तों में पच्चीस लाख रुपये की अधिकतम वित्तीय सहायता के लिए पात्र होगा। प्रत्येक केपी अधिकतम 20-25 स्टार्ट-अप का चयन कर सकता है और प्रत्येक आर-एबीआई एक वित्तीय वर्ष में प्री–सीड और सीड चरण की प्रत्येक श्रेणी में अधिकतम 10-12 स्टार्ट-अप का चयन कर सकता है। स्टार्टअप्स को अपने उत्पादों, सेवाओं, व्यावसायिक प्लेटफार्मों आदि को बाजार में लॉन्च करने और व्यावसायिक व्यवहार्यता प्राप्त करने के लिए अपने उत्पादों और संचालन को बढ़ाने की सुविधा प्रदान करने के लिए प्रशिक्षण, तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इस कार्यक्रम के तहत अब तक केपी और आर-एबीआई द्वारा 6000 से अधिक कृषि-स्टार्टअप को प्रशिक्षित किया जा चुका है। वित्त वर्ष 2019-20 से 2025-26 के दौरान इस कार्यक्रम के तहत अब तक 2096 कृषि-स्टार्टअप को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा इन 2096 कृषि-स्टार्टअप को संबंधित केपी और आर-एबीआई को वित्त पोषण के लिए किस्तों में 168.14 करोड़ रूपये की अनुदान सहायता जारी की गई है। स्टार्ट-अप कृषि और संबद्ध क्षेत्रों जैसे सटीक कृषि जैसे विभिन्न क्षेत्र भी परियोजनाओं पर कार्य कर रहे हैं; जिनमें सेंसर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी), और ड्रोन, कृषि मशीनीकरण, फसलोपरांत, खाद्य प्रौद्योगिकी और मूल्य संवर्धन, आपूर्ति श्रृंखला और कृषि लॉजिस्टिक और कृषि इनपुट तथा अपशिष्ट से संपदा, कृषि और जैविक खेती में हरित ऊर्जा, संबद्ध क्षेत्र आदि शामिल हैं।
- एसएमएएम के तहत, कृषि में ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), कृषि मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थानों कृषि विज्ञान केन्द्र (केवीके), राज्य कृषि विश्वविद्यालय (एसएयू), राज्य और अन्य केन्द्र सरकार के कृषि संस्थानों/विभागों और कृषि कार्यकलापों में लगे हुए भारत सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) के तहत संस्थानों द्वारा इसकी खरीद और किसानों के खेतों पर प्रदर्शन के लिए ड्रोन की लागत के 100% की दर से अधिकतम 10 लाख रुपये प्रति ड्रोन तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को किसानों के खेतों पर अपने प्रदर्शनों के लिए किसान ड्रोन की लागत का 75% तक अनुदान प्रदान किया जाता है। किसानों को किराये के आधार पर ड्रोन सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए, किसानों की सहकारी समिति, एफपीओ और ग्रामीण उद्यमियों के तहत सीएचसी द्वारा ड्रोन की खरीद के लिए 40% की दर से अधिकतम 4.00 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। सीएचसी स्थापित करने वाले कृषि स्नातक प्रति ड्रोन अधिकतम 5.00 लाख रुपये तक ड्रोन की लागत के 50% की दर से वित्तीय सहायता प्राप्त करने के पात्र हैं। व्यक्तिगत स्वामित्व के आधार पर ड्रोन की खरीद के लिए, छोटे और सीमांत, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, महिलाओं और पूर्वोत्तर राज्य के किसानों को लागत के 50% की दर से अधिकतम 5.00 लाख रुपये तक और अन्य किसानों को प्रति ड्रोन 40% की दर से अधिकतम 4.00 लाख रुपये तक वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।