‘एक विधान, एक निशान, एक प्रधान’ – डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के गुंजायमान आह्वान को याद करते हुए उपराष्ट्रपति ने उनके बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि अर्पित की
‘एक विधान, एक निशान, एक प्रधान’ – डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के गुंजायमान आह्वान को याद करते हुए उपराष्ट्रपति ने उनके बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि अर्पित की
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “यह हमारे देश के इतिहास का एक महान दिन है। हमारे देश के सबसे बेहतरीन सपूतों में से एक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान दिवस है। उन्होंने नारा दिया था – एक विधान, एक निशान और एक प्रधान ही होगा, देश में दो नहीं होंगे। उन्होंने यह 1952 में जम्मू-कश्मीर के आंदोलन में कहा था।”
It is a great day in the history of our nation. Today marks the बलिदान दिवस of one of the finest sons of our soil — Dr. Shyama Prasad Mookerjee. He gave the resounding slogan: एक विधान, एक निशान, और एक प्रधान ही होगा — देश में दो नहीं होंगे।
He said this during the campaign in… pic.twitter.com/GTuUBP3hmU
श्री धनखड़ ने आगे कहा, “हम लंबे समय तक अनुच्छेद 370 से परेशान रहे। इसने हमें और जम्मू-कश्मीर को नुकसान पहुंचाया। अनुच्छेद 370 और सख्त कानून के अनुच्छेद 35ए ने लोगों को उनके बुनियादी अधिकारों और मौलिक अधिकारों से वंचित किया। हमारे पास एक दूरदर्शी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह हैं। अनुच्छेद 370 अब हमारे संविधान में मौजूद नहीं है। इसे 5 अगस्त 2019 को निरस्त कर दिया गया और 11 दिसंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट में कानूनी चुनौती विफल हो गई। अपने देश के सबसे बेहतरीन सपूतों में से एक को श्रद्धांजलि देने के लिए इससे अधिक उपयुक्त स्थान मेरे पास और कोई नहीं हो सकता। उन्हें मेरी श्रद्धांजलि।”
उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर में भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआईयू) द्वारा आयोजित कुलपतियों के 99वें वार्षिक सम्मेलन और राष्ट्रीय सम्मेलन (2024-2025) के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए, श्री धनखड़ ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर प्रकाश डालते हुए कहा, “मुझे आपके साथ कुछ ऐसा साझा करना है, जो 3 दशकों से अधिक समय के बाद हुआ है, जिसने वास्तव में हमारी शिक्षा के परिदृश्य को बदल दिया है। मैं ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ 2020 का संदर्भ दे रहा हूं। पश्चिम बंगाल राज्य के राज्यपाल के रूप में, मैं इससे जुड़ा था। इस नीति के बदलाव में हजारों लोगों ने अपना सहयोग दिया।”
The National Education Policy 2020 is a development that has truly transformed the landscape of our education system.
As Governor of West Bengal, I had the privilege of being associated with it. The policy was shaped by the inputs of thousands across the nation — a collective… pic.twitter.com/ileumIa2Ob
“यह नीति हमारी सभ्यतागत भावना, सार और लोकाचार के साथ प्रतिध्वनित होती है। यह देश की इस शाश्वत मान्यता की पुष्टि करता है कि शिक्षा से न केवल कौशल प्राप्त करना है, बल्कि स्वयं को जागृत करना है।”
“मेरा दृढ़ विश्वास है – शिक्षा समानता लाने वाली है। शिक्षा ऐसी समानता लाती है जो कोई अन्य तंत्र नहीं ला सकता। शिक्षा असमानताओं को खत्म करती है। वास्तव में, शिक्षा लोकतंत्र को जीवन देती है।”
उत्तर प्रदेश सरकार को बधाई देते हुए उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश सरकार को मेरी बधाई। मुख्यमंत्री ने एक बेहतरीन पहल की है। आईटी को ‘उद्योग का दर्जा’ दिया गया। इसका सकारात्मक विकास पर बहुत बड़ा असर पड़ा है। एक और पहलू जिसके लिए उत्तर प्रदेश को तेजी से पहचान मिल रही है, वह है स्कूली शिक्षा का स्तर। प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही इसकी पहचान बन रही है।”
My congratulations to the Government of Uttar Pradesh.
The Chief Minister has done a great initiative. IT was given ‘Industry Status’. That has a huge consequence for positive development.
UP is also getting increasingly recognized at the school education level. The… pic.twitter.com/SJiJP2EC5s
देश की राष्ट्रीय प्रगति की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, “देश अवसरों, उद्यमिता, स्टार्टअप और नवाचार के रूप में उभरा है। हर उस पैरामीटर पर जहां वृद्धि और विकास को मापा जा सकता है, हम आगे बढ़ रहे हैं।”
विश्वविद्यालयों की भूमिका पर उपराष्ट्रपति ने जोर देते हुए कहा, “हमारे विश्वविद्यालय केवल डिग्री बांटने के लिए नहीं हैं। विश्वविद्यालयों को विचारों, कल्पनाओं और नवाचार का केंद्र होना चाहिए। इन स्थानों को बड़े बदलाव को गति देनी चाहिए।”
Our universities are not merely meant to hand out degrees. The degrees must carry great weightage.
Universities have to be sanctuaries of ideas and ideation, crucibles of innovation. They have to catalyse big change. That responsibility rests on the Vice-Chancellors in… pic.twitter.com/X8Lwpw2ESW
“यह जिम्मेदारी विशेष रूप से कुलपतियों और सामान्य रूप से शिक्षाविदों पर है। मैं आपसे अपील करता हूं कि असहमति, वाद-विवाद, संवाद और चर्चा के लिए जगह होनी चाहिए। इससे मस्तिष्क की कोशिकाएं सक्रिय होती हैं। अभिव्यक्ति, वाद-विवाद – ये हमारी सभ्यता, हमारे लोकतंत्र के अविभाज्य पहलू हैं।”
ज्ञान के क्षेत्र में देश की अग्रणी भूमिका की संभावना पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “जब आप दुनिया को देखेंगे, तो आपको इसका महत्व समझ में आएगा। शिक्षा की स्थिति न केवल शिक्षाविदों की स्थिति को परिभाषित करती है, बल्कि राष्ट्र की स्थिति को भी परिभाषित करती है। हम पश्चिमी नवाचार के छात्र नहीं बने रह सकते, जब हमारी जनसांख्यिकीय लाभ की स्थिति दुनिया के ज्ञान के केंद्र के रूप में कही जाती है।”
“और जब हम अपने प्राचीन इतिहास को देखते हैं, तो हमें अपने समृद्ध अतीत की याद आती है। अब समय आ गया है कि भारत को विश्वस्तरीय संस्थान बनाने चाहिए, न केवल पढ़ाने के लिए, बल्कि अग्रणी होने के लिए। ये केवल अनुशासन नहीं हैं। ये आने वाले समय में हमारी संप्रभुता के आश्वासन के केंद्र हैं।”
The state of education defines not only the state of academics, but the state of the nation.
When we look back to our ancient history, we are reminded of our rich past. It is time Bharat must build world-class institutions, not just to teach, but to pioneer.
We cannot remain… pic.twitter.com/tIyPl8hgXT
उच्च शिक्षा के न्यायसंगत विस्तार का आह्वान करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, “हमारे बहुत से संस्थान ब्राउन-फील्ड बने हुए हैं। आइए हम वैश्विक रफ़्तार के साथ चलें। ग्रीनफील्ड संस्थान ही समान वितरण लाते हैं। महानगरों और श्रेणी-1 शहरों में क्लस्टरीकरण है। कई क्षेत्र अछूते रह गए हैं।”
“आइए ऐसे क्षेत्रों में ग्रीनफील्ड संस्थानों की स्थापना करें। कुलपति न केवल निगरानीकर्ता हैं, बल्कि शिक्षा के वस्तुकरण और व्यावसायीकरण के खिलाफ अभेद्य सुरक्षा कवच भी हैं। हमारा एक मूलभूत उद्देश्य आम लोगों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की सामर्थ्य और पहुंच सुनिश्चित करना है।”
उभरते क्षेत्रों में नेतृत्व स्थापित करने के आह्वान के साथ अपने संबोधन का समापन करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, “उभरते क्षेत्रों – कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जलवायु परिवर्तन, जलवायु प्रौद्योगिकी, क्वांटम विज्ञान, डिजिटल इथिक्स – में बेजोड़ उत्कृष्टता के संस्थान स्थापित करें – फिर देश नेतृत्व करेगा, अन्य देश उसका अनुसरण करेंगे। यह एक चुनौती है।”
“शिक्षा सिर्फ़ जनहित के लिए नहीं है। यह हमारी सबसे रणनीतिक राष्ट्रीय संपत्ति है। यह न सिर्फ़ बुनियादी ढांचे या अन्य किसी मामले में हमारी विकास यात्रा से जुड़ी है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का भी आश्वासन देती है।”
“दोस्तों, मैं शिक्षाविदों के सामने हूँ और इसलिए मैं आपके विश्लेषण के लिए अपनी विचार प्रक्रिया को थोड़ा और आलोचनात्मक रूप से प्रकट करूँगा। असंभव विकल्प हमारे चरित्र और ताकत को परिभाषित करते हैं। हमें आसान रास्ता नहीं अपनाना चाहिए। असंभव विकल्प यह परिभाषित करते हैं कि हमारे पास वास्तव में एक महान विरासत है। आसान रास्ता अपनाने का मतलब है सामान्यता में जाना, और फिर अप्रासंगिकता और महत्वहीनता में जाना।”
“विश्वविद्यालय ऐसे विकल्प बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है। वे मस्तिष्क तैयार करते हैं। वे लोगों को साहसी बनने के लिए तैयार करते हैं – असंभव विकल्प चुनने के लिए।”
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार के आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्री श्री सुनील कुमार शर्मा, एमिटी एजुकेशन एंड रिसर्च ग्रुप के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार चौहान, एआईयू के अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पाठक, एआईयू की महासचिव डॉ. (श्रीमती) पंकज मित्तल और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।