उप राष्ट्रपति श्री सी. पी. राधाकृष्णन ने सम्राट पेरुंबिदुगु मुथरैय्यर के सम्मान में स्मारक डाक टिकट जारी किया
उप राष्ट्रपति श्री सी. पी. राधाकृष्णन ने सम्राट पेरुंबिदुगु मुथरैय्यर के सम्मान में स्मारक डाक टिकट जारी किया
भारत के उपराष्ट्रपति श्री सी. पी. राधाकृष्णन ने आज नई दिल्ली में उपराष्ट्रपति भवन में तमिल सम्राट पेरुंबिदुगु मुथरैय्यर द्वितीय (सुवरण मारन) के सम्मान में एक स्मारक डाक टिकट जारी किया।
The Hon’ble Vice-President of India, Shri C. P. Radhakrishnan, released a commemorative postage stamp in honour of Emperor Perumbidugu Mutharaiyar II (Suvaran Maran) today at the Vice-President’s Enclave, New Delhi.
Speaking on the occasion, the Hon’ble Vice-President… pic.twitter.com/7olOi1x0Le
इस अवसर पर अपने सम्बोधन में उपराष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत सरकार द्वारा तमिल संस्कृति और भाषा के लिए निरंतर किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। उन्होंने काशी तमिल संगमम् जैसी पहलों की प्रशंसा की और उन तमिल राजाओं, नेताओं तथा स्वतंत्रता सेनानियों को पहचान और सम्मान देने के प्रयासों की भी भूरि-भूरि सराहना की, जिन्हें पहले पर्याप्त सम्मान और मान्यता नहीं मिली थी।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि सम्राट पेरुंबिदुगु मुथरैय्यर पर जारी किया गया यह स्मारक डाक टिकट तमिल विरासत को मान्यता प्रदान करने की इसी निरंतर प्रक्रिया का हिस्सा है।
सम्राट पेरुंबिदुगु मुथरैय्यर के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे प्राचीन तमिलनाडु के सबसे प्रतिष्ठित शासकों में से एक थे और वह प्रतिष्ठित मुथरैय्यर वंश से संबंध रखते थे, जिसने 7वीं से 9वीं सदी तक तमिलनाडु के केंद्रीय क्षेत्रों पर शासन किया। उन्होंने उल्लेख किया कि सम्राट ने लगभग चार दशक तक तिरुचिरापल्लि से शासन किया और उनका शासन प्रशासनिक स्थिरता, क्षेत्रीय विस्तार, सांस्कृतिक संरक्षण और सैन्य कौशल के कारण प्रमुख रूप से जाना जाता था।
सम्राट पेरुंबिदुगु मुथरैय्यर के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे प्राचीन तमिलनाडु के सबसे प्रतिष्ठित शासकों में से एक थे और वे उस सुप्रसिद्ध मुथरैय्यर वंश से संबंधित थे, जिसने 7वीं से 9वीं सदी सी ई काल में मध्य तमिलनाडु में शासन किया। उन्होंने यह भी बताया कि सम्राट ने लगभग चार दशक तक तिरुचिरापल्ली से शासन किया, और उनके शासनकाल को प्रशासनिक स्थिरता, क्षेत्रीय विस्तार, सांस्कृतिक संरक्षण और सैन्य कौशल जैसी विशेषताओं के लिए जाना जाता है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि तमिलनाडु में कई स्थानों पर पाए गए शिलालेख सम्राट मुथरैय्यर के मंदिरों के लिए किए गए कार्यों, सिंचाई से जुड़ी योजनाओं और तमिल साहित्य के प्रति उनके योगदान का प्रमाण प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने आगे यह भी कहा कि सम्राट का शासन दक्षिण भारतीय इतिहास में एक विशिष्ट स्थान रखता है।
‘2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने’ के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक विरासत और महान नेताओं की धरोहर का दस्तावेजीकरण, उनका सम्मान और उनकी विरासत का संरक्षण राष्ट्रीय प्राथमिकता है। उन्होंने आजादी का अमृत महोत्सव के दौरान तमिलनाडु सहित देश के सभी क्षेत्रों के स्वतंत्रता सेनानियों और महान शासकों को सम्मानित करने के सरकारी प्रयासों को रेखांकित किया। उपराष्ट्रपति ने यह भी बताया कि चोरी की गई लगभग 642 मूर्तियों और प्राचीन कलाकृतियों को 2014 के बाद वापस लाकर सुरक्षित किया गया है, जिनमें से कई तमिलनाडु से हैं। उप राष्ट्रपति ने इन प्रयासों को सराहनीय बताया।
इस अवसर पर केंद्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण; राज्यसभा के उपाध्यक्ष श्री हरिवंश; तथा सूचना एवं प्रसारण और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।