उपराष्ट्रपति श्री सीपी राधाकृष्णन ने काशी तमिल संगमम 4.0 को वर्चुअली संबोधित किया
उपराष्ट्रपति श्री सीपी राधाकृष्णन ने काशी तमिल संगमम 4.0 को वर्चुअली संबोधित किया
उपराष्ट्रपति श्री सी.पी. राधाकृष्णन ने काशी और तमिलनाडु के बीच अटूट सांस्कृतिक संबंध का उत्सव मनाने वाले काशी तमिल संगमम के चौथे संस्करण के अवसर पर एक विशेष वीडियो संदेश दिया।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि 2022 में आज़ादी का अमृत महोत्सव के दौरान काशी तमिल संगमम के शुभारंभ के बाद से यह पहल एक प्रमुख राष्ट्रीय मंच के रूप में विकसित हुई है जो गंगा की संस्कृति और कावेरी की परंपराओं को एक साथ लाती है और ये उत्तर और दक्षिण की सांस्कृतिक एकता और उनकी साझा सभ्यतागत विरासत का प्रतीक है। उन्होंने 30 नवंबर को प्रसारित मन की बात में प्रधानमंत्री की हालिया टिप्पणियों को याद किया, जिसमें प्रधानमंत्री ने संगमम को दुनिया की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक और दुनिया के सबसे प्राचीन जीवित शहरों में से एक के बीच ‘संगम’ के रूप में वर्णित किया था।
उपराष्ट्रपति ने संतोष व्यक्त किया कि तमिल को उसका उचित सम्मान और निरंतर राष्ट्रीय समर्थन मिल रहा है। उन्होंने इस वर्ष की थीम, “आइए तमिल सीखें” का स्वागत किया, जो भाषाई और सांस्कृतिक सद्भाव को सुदृढ़ करती है।
उन्होंने चेन्नई के केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान द्वारा प्रशिक्षित पचास हिंदी भाषी तमिल शिक्षकों और समन्वयकों की पहल की सराहना की, जो 15 दिनों की अवधि में पचास सरकारी और निजी स्कूलों के 1,500 से अधिक छात्रों को बुनियादी तमिल पढ़ाने के लिए वाराणसी पहुंचे हैं।
तमिलनाडु और काशी के बीच प्राचीन सांस्कृतिक मार्गों को फिर से खोजने के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए उपराष्ट्रपति ने तेनकासी से काशी तक प्रतीकात्मक अगथियार यात्रा का उल्लेख किया, जिसकी शुरूआत 2 दिसंबर को शुरू हुई और 10 दिसंबर को समाप्त होगी। यह यात्रा पांड्य राजा अथिवीरा पराक्रम पांडियन द्वारा फैलाए गए एकता के संदेश का स्मरण कराती है, जिनकी यात्राओं ने तमिलनाडु को काशी से जोड़ा और तेनकासी-तमिलनाडु का एक शहर जिसके नाम का अर्थ ‘दक्षिणी काशी’ को उसकी पहचान दी है।
उन्होंने उस पहल का भी स्वागत किया जिसके तहत उत्तर प्रदेश के 300 छात्र दस समूहों में केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान सहित तमिलनाडु के प्रमुख संस्थानों की यात्रा करेंगे और इससे दोतरफा सांस्कृतिक समझ और आदान-प्रदान मजबूत होगा।
संगमम को ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ का प्रतीक बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि काशी और तमिलनाडु भारत की प्राचीन सभ्यता के उज्जवल दीपस्तंभ हैं, जो अपनी सांस्कृतिक समृद्धि से राष्ट्र को आलोकित करते हैं।
उपराष्ट्रपति ने इस सांस्कृतिक एकता कार्यक्रम को इतने भव्य तरीके से आयोजित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के शिक्षा मंत्रालय और अन्य केंद्रीय मंत्रालयों की सराहना की।
उपराष्ट्रपति ने काशी तमिल संगमम के लिए अपनी शुभकामनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि यह एक भव्य सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और बौद्धिक उत्सव बने। उन्होंने इस उम्मीद के साथ अपनी बात समाप्त की कि संगमम सदैव इसी प्रकार आलोकिक रहेगा, काशी और तमिलनाडु के बीच यह संबंध हज़ारों वर्षों तक और प्रगाढ़ होगा और यह एकता की भावना प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व द्वारा परिकल्पित भारत की दिशा में राष्ट्र का मार्गदर्शन करेगी।