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उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए पर्यटन सर्किट

उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए पर्यटन सर्किट

पर्यटन स्थलों और पर्यटन उत्पादों की पहचान, विकास और प्रचार-प्रसार, जिसमें पीपीपी सहयोग भी शामिल है, मुख्य रूप से संबंधित राज्य सरकार/केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन द्वारा किया जाता है। पर्यटन मंत्रालय ने 2014-15 में स्वदेश दर्शन (एसडी) योजना शुरू की थी, जिसका उद्देश्य देश में चिन्हित थीम आधारित सर्किटों के तहत पर्यटन अवसंरचना और अनुभव विकसित करना था। स्वदेश दर्शन योजना के तहत देश में स्वीकृत पर्यटन सर्किट परियोजनाओं का विवरण, जिसमें उत्तर पूर्वी राज्य भी शामिल हैं, अनुलग्नक-I में दिया गया है।

सतत और जिम्मेदार पर्यटन स्थलों के विकास के उद्देश्य से स्वदेश दर्शन योजना को स्वदेश दर्शन 2.0 (एसडी2.0) के रूप में नया रूप दिया गया है। मंत्रालय स्वदेश दर्शन 2.0 की उप-योजना चैलेंज बेस्ड डेस्टिनेशन डेवलपमेंट (सीबीडीडी)के तहत राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासनों को पर्यटन अवसंरचना और अनुभवों के विकास के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान करता है। देश भर में, पूर्वोत्तर राज्यों सहित, एसडी2.0 और सीबीडीडी योजनाओं के तहत स्वीकृत परियोजनाओं का विवरण अनुलग्नक – II में दिया गया है ।

इसके अतिरिक्त, मंत्रालय तीर्थयात्रा पुनरुद्धार एवं आध्यात्मिक विरासत संवर्धन अभियान (प्रसाद)के तहत पर्यटन अवसंरचना और अनुभवों के विकास के लिए राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेश प्रशासनों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है। पूर्वोत्तर राज्यों सहित देश भर में प्रशासित योजना के तहत स्वीकृत परियोजनाओं का विवरण अनुलग्नक-III में दिया गया है

भारत सरकार ने राज्यों को पूंजी निवेश हेतु विशेष सहायता (एसएएससीआई) – वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित पर्यटन केंद्रों का विकासयोजना के तहत देश में 40 परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इसका मुख्य उद्देश्य देश के प्रतिष्ठित पर्यटन केंद्रों का व्यापक विकास करना, उनकी वैश्विक स्तर पर ब्रांडिंग और विपणन करना है। एसएएससीआई योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार, परियोजनाओं का कार्यान्वयन और प्रबंधन संबंधित राज्य सरकार द्वारा किया जाता है और इन्हें अधिकतम 2 वर्ष की अवधि में विकसित और पूरा किया जाना है। भारत सरकार इस योजना के तहत 31 मार्च, 2026 तक धनराशि जारी करेगी। पूर्वोत्तर राज्यों सहित देश में एसएएससीआई योजना के तहत स्वीकृत परियोजनाओं का विवरण अनुलग्नक- IV में दिया गया है।

जनजातीय क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, पर्यटन मंत्रालय ने हाल ही में प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान (पीएमजेयूजीए) के अंतर्गत जनजातीय क्षेत्रों में होमस्टे का विकास‘ (स्वदेश दर्शन योजना की एक उप-योजना) के लिए राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासनों द्वारा प्रस्ताव तैयार करने हेतु दिशा-निर्देश और सांचा जारी किए हैं। इस पहल का उद्देश्य जनजातीय क्षेत्रों में होमस्टे विकसित करके उत्तरदायी पर्यटन को बढ़ावा देना और जनजातीय समुदायों के लिए आजीविका के अवसरों को बढ़ाना है। हालांकि, पर्यटन मंत्रालय ग्रामीण पर्यटन उद्यमों, जैसे होमस्टे, नेचर-ट्रेल (प्रकृति पथ) क्लस्टर और समुदाय-आधारित पर्यटन कार्यक्रमों, विशेष रूप से पारिवारिक आय में वृद्धि और रोजगार सृजन के संदर्भ में, प्राप्त होने वाले मापने योग्य सामाजिक-आर्थिक परिणामों का विवरण नहीं रखता है।

केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने यह जानकारी आज राज्यसभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में दी।

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