आवारा कुत्ते
आवारा कुत्ते
अनुच्छेद 243(W) के अनुसार, नगर पालिकाओं को आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने का अधिकार है। इसके अनुसार नगर पालिकाएँ आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम लागू कर रही हैं। कुत्तों की आबादी के प्रभावी प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार ने पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के अंतर्गत, दिनांक 10 मार्च 2023 के जीएसआर 193(ई) के माध्यम से पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियम, 2023 को अधिसूचित किया है, जो पूर्ववर्ती एबीसी (कुत्ता) नियम, 2001 का स्थान लेता है। ये नियम जनसंख्या स्थिरीकरण के साधन के रूप में आवारा कुत्तों की नसबंदी और रेबीज रोधी टीकाकरण पर केंद्रित हैं।
इसके अलावा, भारत सरकार के पशुपालन एवं डेयरी विभाग (डीएएचडी) ने 11.11.2024 को राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों/प्रशासकों को एक परामर्श जारी किया था जिसमें स्थानीय निकायों के माध्यम से एबीसी कार्यक्रम और संबंधित गतिविधियों को लागू करने का आग्रह किया गया था। इसका उद्देश्य बच्चों, विशेषकर छोटे बच्चों की आवारा कुत्तों के हमलों से सुरक्षा सुनिश्चित करना था।
इसके अतिरिक्त, भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (एडब्ल्यूबीआई) ने आवारा कुत्तों से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए कई सलाह और दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिनमें शामिल हैं:
भारत सरकार का स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कुत्तों के काटने और रेबीज़ से संबंधित मानव स्वास्थ्य संबंधी पहलुओं पर निगाह रखता है। राष्ट्रीय रेबीज़ नियंत्रण कार्यक्रम (एनआरसीपी) के अंतर्गत, निम्नलिखित पहल की गई हैं:
पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023, जो 2001 के नियमों के स्थान पर अधिसूचित किए गए हैं, माननीय सर्वोच्च न्यायालय और माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देशों को समाहित करते हैं। एबीसी नियम, 2023 का नियम 20 सामुदायिक पशुओं के आहार से संबंधित है, जिसमें पशु कल्याण समितियों के गठन सहित, निवासी कल्याण संघों (आरडब्ल्यूए), अपार्टमेंट मालिक संघों (एओए) या स्थानीय निकायों को ज़िम्मेदारी सौंपी गई है।
सामुदायिक पशुओं के भोजन से संबंधित शिकायतें प्राप्त होने पर, एडब्ल्यूबीआई संबंधित आरडब्ल्यूए, एओए या स्थानीय निकायों को उचित कार्रवाई के लिए पत्र लिखता है। 2024-25 और जून 2025 तक, बोर्ड ने ऐसे 166 पत्र जारी किए हैं।
उच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों का पालन न करने पर आरडब्ल्यूए को दंडित करने का कोई प्रावधान नहीं है।
पशुपालन एवं डेयरी विभाग हर पाँच साल में पशुधन की गणना करता है जिसमें आवारा कुत्तों की गणना भी शामिल होती है। हालाँकि, एबीसी नियम, 2023 के अनुसार, नगरपालिकाएँ स्थानीय संख्या निर्धारित करने के लिए प्रतिवर्ष अपनी स्वयं की गणना कर सकती हैं।
राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) द्वारा राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से कुत्ते के काटने के कुल दर्ज मामलों और संदिग्ध मानव रेबीज मौतों का डेटा एकत्र किया जाता है। एनसीडीसी ने 2024 के लिए नीचे दी गई तालिका में जानकारी प्रदान की है:
वर्ष
2024
कुल कुत्ते के काटने के मामले
3717336
कुल संदिग्ध मानव रेबीज मौतें
54
विभाग पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत पशु रोग नियंत्रण हेतु राज्य सहायता (एएससीएडी) घटक के अंतर्गत आवारा कुत्तों सहित पशुओं के लिए रेबीज रोधी टीकों की खरीद हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करता है। पिछले पाँच वर्षों में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को स्वीकृत धनराशि का विवरण इस प्रकार है:
पिछले पांच वर्षों के दौरान एएससीएडी के तहत एंटी-रेबीज वैक्सीन की खरीद के लिए स्वीकृत निधि का विवरण
(लाख रुपए में)
साल
खुराक की संख्या
(लाखों में)
कुल स्वीकृत राशि (सीएस+एसएस)
केंद्रीय शेयर स्वीकृत
वित्त वर्ष 2020-21
25.56
275.28
213.35
वित्त वर्ष 2021-22
41.76
281.60
244.46
वित्त वर्ष 2022-23
18.44
475.00
338.19
वित्त वर्ष 2023-24
64.55
1080.57
716.85
वित्त वर्ष 2024-25
80.19
1423.41
956.92
कुल
230.5
3535.86
2469.77
यह जानकारी केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने 22 जुलाई, 2025 को लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।