आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ाना
आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ाना
नीचे दी गई तालिका से पता चलता है कि भारी इंजीनियरिंग उपकरणों और कैपिटल गुड्स सेक्टर के अलग-अलग सब-सेक्टर का प्रोडक्शन डेटा वर्ष 2019-20 में 2,87,233 करोड़ रुपये से बढ़कर वर्ष 2024-25 में 5,69,900 करोड़ रुपये हो गया है:
(रुपये करोड़ में)
क्र.सं.
सब–सेक्टर
2019-20
2020-21
2021-22
2022-23
2023-24
2024-25
1
मशीन टूल्स
6152
6602
9307
11956
13571
14286
2
डाइज, मोल्ड्स और प्रेस टूल्स
13682
12294
13128
13915
15600
18400
3
वस्त्र मशीनरी
5355
5093
11658
14033
14639
10461
4
प्रिंटिंग मशीनरी
12678
10058
13215
16107
23479
29716
5
अर्थमूविंग और खनन मशीनरी
31020
29021
28674
37551
73000
80750
6
प्लास्टिक प्रोसेसिंग मशीनरी
2350
3710
3850
3912
4310
4827
7
खाद्य प्रसंस्करण मशीनरी
7547
10250
12210
13203
13863
15249
8
प्रोसेस प्लांट उपकरण
29250
21938
24000
23415
27396
31505
9
भारी इंजीनियरिंग उपकरण
179199
167706
219158
258832
302900
364706
कुल
287233
266672
335200
392924
488758
569900
(स्रोत: IMTMA, TAGMA, TMMA, IPAMA, iCEMA, PMMAI, AFTPAI, PPMAI और IEEMA जैसे उद्योग संघ)
“भारतीय कैपिटल गुड्स सेक्टर में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने की स्कीम – फेज II” अखिल भारतीय मांग आधारित स्कीम है। इसके तहत देश के किसी भी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश से उद्योग साझेदार (रों) के साथ मिलकर परियोजना कार्यान्वयन संगठनों (PIOs) द्वारा परियोजना प्रस्तुत की जानी हैं।
इस स्कीम के तहत इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी (iCAT), मानेसर द्वारा “वेब बेस्ड टेक्नोलॉजी इनोवेशन प्लेटफॉर्म यानी, उद्योग, अनुसंधान और शिक्षा के लिए ऑटोमोटिव सॉल्यूशन पोर्टल (ASPIRE)” के विकास के लिए सामान्य इंजीनियरिंग सुविधा केंद्र (CEFC) स्थापित किया गया है। इस प्लेटफॉर्म का उद्देश्य उद्योग के समक्ष प्रौद्योगिकी से जुड़ी समस्याओं की पहचान करने और व्यवस्थित तरीके से उनके लिए समाधान खोजने के लिए शिक्षाविदों, विद्यार्थियों, शोधार्थियों और उद्योग को एक साथ लाना है। इसके अलावा, इस स्कीम के तहत पानीपत (टेक्सटाइल्स) और यमुनानगर (प्लाईवुड मशीनरी) से कोई प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है।
यह जानकारी भारी उद्योग राज्य मंत्री श्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।