Wednesday, December 17, 2025
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आईआरडीएआई ने मोटर बीमा दावों के निपटान के लिए नियामक ढांचा मजबूत किया

आईआरडीएआई ने मोटर बीमा दावों के निपटान के लिए नियामक ढांचा मजबूत किया

बीमा क्षेत्र के नियामक, भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा के लिए विभिन्न नियामक उपाय किए हैं, जिनके अंतर्गत बीमा कंपनियों को पारदर्शी, समयबद्ध और निष्पक्ष दावा निपटान प्रक्रियाएं अपनानी अनिवार्य हैं। ये विनियम मोटर बीमा दावों के निपटान के दौरान मनमानी या जबरदस्ती की प्रथाओं को रोकने के लिए प्राथमिक कानूनी साधन हैं।

आईआरडीएआई (बीमाकर्ताओं के हितों, संचालन और संबद्ध मामलों की सुरक्षा) विनियम, 2024 में यह निर्धारित किया गया है कि बीमा कंपनियों के पास बोर्ड द्वारा अनुमोदित दावा निपटान नीतियां होनी चाहिए, बीमाधारक को सर्वेक्षकों/हानि मूल्यांकनकर्ताओं की भूमिकाओं, कर्तव्यों और नियुक्ति विवरणों का खुलासा करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी दावा कटौती और निपटान पारदर्शी, उचित और दस्तावेजी स्पष्टीकरण द्वारा समर्थित हों।

आईआरडीएआई ने बताया है कि वित्त वर्ष 2023-24 में कुल शिकायतों में मोटर क्षेत्र की शिकायतों का प्रतिशत 26.18 प्रतिशत था, जो वित्त वर्ष 2024-25 में घटकर 24.8 प्रतिशत हो गया है।

इसके अलावा, वित्तीय वर्ष 2022-23, 2023-24 और 2024-25 के दौरान मोटर बीमा श्रेणी के अंतर्गत बीमा लोकपाल को प्राप्त कुल 10,156 शिकायतों में से 9,943 का निपटारा (पुरस्कार दिया गया, वापस लिया गया और सुनवाई योग्य नहीं) किया गया और शेष प्रक्रियाधीन हैं।

पॉलिसीधारकों के हितों की सुरक्षा संबंधी मास्टर सर्कुलर, 2024 के प्रावधान के अनुसार, मोटर बीमा में 50,000 रुपये से कम के किसी भी नुकसान का पंजीकृत सर्वेक्षक द्वारा अनिवार्य रूप से सर्वेक्षण कराना आवश्यक नहीं है। बीमाकर्ता इसके लिए एआईआधारित मूल्यांकन के साथ ऐप आधारित पद्धति का उपयोग कर रहे हैं।

आईआरडीएआई (बीमा सर्वेक्षक और हानि मूल्यांकनकर्ता) विनियम, 2015 बीमाकर्ताओं द्वारा सर्वेक्षकों के प्रदर्शन की निगरानी का प्रावधान करता है, जिसमें निर्धारित आचार संहिता का पालन भी शामिल है। बीमाकर्ताओं को किसी भी रिपोर्ट किए गए विचलन की जांच करने, आवश्यक पूछताछ करने और स्थापित उल्लंघनों की रिपोर्ट प्राधिकरण को देने की आवश्यकता है। ऐसे मामलों की प्रक्रिया नियामक ढांचे के अनुसार की जाती है।

इसके अतिरिक्त, आईआरडीएआई विभिन्न आधारों पर सर्वेक्षक का लाइसेंस निलंबित कर सकता है, जैसे कि कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का संतोषजनक और पेशेवर तरीके से निर्वहन करना, विनियमों में निर्दिष्ट आचार संहिता का उल्लंघन करना, पॉलिसीधारकों के हितों के प्रतिकूल कार्य करना आदि।

आईआरडीएआई ने वित्त वर्ष 2022-23, 2023-24 और 2024-25 के दौरान निरीक्षण संबंधी टिप्पणियों पर की गई नियामक कार्रवाई के अंतर्गत विभिन्न सर्वेक्षकों को 53 चेतावनियाँ और सलाहें भी जारी की हैं।

वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री पंकज चौधरी ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

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